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पिछले साल पांच अगस्त से कश्मीर में पथराव की घटनाओं में आई भारी कमी

जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त होने के बाद पथराव की घटनाओं में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि 2018 में पथराव की 944 घटनाएं सामने आई थीं जिनकी संख्या इस साल घटकर 211 रह गई है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Jul 29, 2020 08:30 pm IST, Updated : Jul 29, 2020 08:30 pm IST
Sharp decline in stone pelting incidents in JK since Aug 5, 2019: officials- India TV Hindi
Image Source : PTI Sharp decline in stone pelting incidents in JK since Aug 5, 2019: officials

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त होने के बाद पथराव की घटनाओं में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि 2018 में पथराव की 944 घटनाएं सामने आई थीं जिनकी संख्या इस साल घटकर 211 रह गई है। अधिकारियों के अनुसार सुरक्षा बलों और नागरिकों के घायल होने और मौत की संख्या में भी कमी आई है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती से आम लोगों में भरोसा बढ़ा है। 

उन्होंने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान समाप्त किए जाने से पहले बहुत से शरारती तत्वों की पहचान कर उन्हें जेल भेजा जा चुका था। अधिकारियों के अनुसार इस साल पथराव की घटनाओं में केवल एक नागरिक की मौत हुई। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत 2018 में 18 और 2019 के पहले छह महीनों में तीन नागरिकों की जान चली गई थी। 

इसी प्रकार 2018 के पहले छह महीनों में 549 नागरिक पथराव की घटनाओं में घायल हुए थे। उन्होंने कहा कि पथराव की घटनाओं में 2019 में 335 नागरिक घायल हुए और इस साल केवल 63 नागरिक घायल हुए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के घायल होने की घटनाओं की संख्या भी 2018 में 74 से घटकर इस साल 14 रह गई। 

अधिकारियों ने कुछ मानवाधिकार संगठनों के उन दावों को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि जम्मू कश्मीर पांच में अगस्त से संपूर्ण लॉकडाउन है। अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को निषेधाज्ञा लागू करने के बाद चरणबद्ध तरीके से संचार के माध्यमों से प्रतिबंध हटाए गए। 

उन्होंने कहा कि 17 अगस्त को लैंडलाइन फोन चालू कर दिए गए थे और अगले दिन लगभग पूरी तरह ढील दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि अगस्त के अंत तक प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल खोल दिए गए थे और लगभग सभी जिलों में लोगों की आवाजाही पर ढील दी गई थी। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में कश्मीर घाटी में पोस्ट पेड मोबाइल फोन पुनः चालू कर दिए गए थे और प्रखंड विकास परिषद के चुनाव कराए गए थे। 

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