Monday, May 06, 2024
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... हम आपकी मदद नहीं कर सकते, EVM-VVPAT पर्ची की गिनती मामले पर कहा सुप्रीम कोर्ट ने

ईवीएम से वीवीपैट की पर्चियों की पूरी गिनती हो, इन मुद्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं पर आज कोर्ट ने बड़ी बात कही है। जानें अबतक इस केस में क्या हुआ?

Kajal Kumari Edited By: Kajal Kumari @lallkajal
Updated on: April 24, 2024 15:01 IST
supreme court decision today- India TV Hindi
Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट का आज अहम फैसला

चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के माध्यम से डाले गए वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की पर्चियों का मिलान करने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने बड़ी बात कही है। उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि वह चुनावों के लिए नियंत्रक प्राधिकारी नहीं है और संवैधानिक प्राधिकार, भारत के चुनाव आयोग के कामकाज को निर्देशित नहीं कर सकता है। यह टिप्पणी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर डाले गए वोटों का वीवीपीएटी प्रणाली के माध्यम से उत्पन्न कागजी पर्चियों के साथ गहन सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आई। कोर्ट ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि वह महज संदेह के आधार पर कार्रवाई नहीं कर सकती। याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब देते हुए, अदालत ने कहा, "यदि आप किसी विचार-प्रक्रिया के बारे में पूर्वनिर्धारित हैं, तो हम आपकी मदद नहीं कर सकते... हम यहां आपकी विचार-प्रक्रिया को बदलने के लिए नहीं हैं। " 

बता दें कि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने दो दिन की सुनवाई के बाद 18 अप्रैल को याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।लगभग दो दिनों तक चली इस मामले की सुनवाई के दौरान, पीठ ने ईवीएम की कार्यप्रणाली को समझने के लिए भारत के चुनाव आयोग (ECI) के एक अधिकारी के साथ व्यापक बात की थी।

कोर्ट ने कही थी ये बात

चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने अदालत को बताया था कि ईवीएम स्टैंडअलोन मशीनें हैं और उनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, लेकिन मानवीय त्रुटि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस बात पर जोर देते हुए कोर्ट ने कहा था कि पूरी चुनावी प्रक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए। मामले पर न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "आपको अदालत में और अदालत के बाहर दोनों जगह आशंकाओं को दूर करना होगा। किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जो कुछ अपेक्षित है वह नहीं किया जा रहा है।"

चुनाव आयोग की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा था कि हर चीज पर अत्यधिक संदेह करना एक समस्या है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं.के एक वकील से कहा था, "हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता। आप हर चीज की आलोचना नहीं कर सकते। अगर उन्होंने (ईसीआई ने) कुछ अच्छा किया है, तो आपको इसकी सराहना करनी होगी। आपको हर चीज की आलोचना नहीं करनी चाहिए।" 

16 अप्रैल को पहले की सुनवाई में, पीठ ने मैन्युअल गिनती प्रक्रिया के बारे में आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा था कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक "बहुत बड़ा काम" है और "सिस्टम को ख़राब करने" का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

क्या है वीवीपैट और कैसे करता है काम

वीवीपीएटी मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाता है कि वोट ठीक से डाला गया था और उस उम्मीदवार को गया था या नहीं,  जिसका वह समर्थन करता है। वीवीपीएटी एक कागज़ की पर्ची बनाता है जिसे एक सीलबंद कवर में रखा जाता है और कोई विवाद होने पर इसे खोला जा सकता है। वर्तमान में, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच चयनित ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन किया जाता है।

वीवीपैट से संबंधित याचिकाएं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई हैं। अपनी याचिका में अग्रवाल ने सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग की है। एडीआर की याचिका में अदालत से चुनाव आयोग और केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि मतदाता वीवीपैट के माध्यम से यह सत्यापित कर सकें कि उनका वोट "रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है"।

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