Friday, April 26, 2024
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Rajat Sharma’s Blog : यूपी पुलिस ने अयोध्या को दंगे की आग में झोंकने की साज़िश को कैसे नाकाम किया ?

इस वक्त जो माहौल है उसमें पुलिस को सावधान, प्रशासन को सचेत और जनता को संयमित रहने की बहुत ज्यादा जरूरत है। क्योंकि माहौल खराब करने की साजिश कई तरह से हो रही है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: April 29, 2022 18:09 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

अयोध्या को सांप्रदायिक आग में झोंकने की एक बड़ी साजिश को उत्तर प्रदेश पुलिस ने नाकाम कर दिया । पुलिस ने इस मामले में 48 घंटे के भीतर सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया । गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी हिंदू हैं। यह पूरी साजिश बहुत खतरनाक थी और इसे बेहद सावधानी के साथ अंजाम दिया गया था। 

दरअसल 26-27 अप्रैल की दरमियानी रात 11 युवक चार मोटरबाइक से अयोध्या की सड़कों पर निकले। इन लोगों ने मस्जिदों, ईदगाह और दरगाह के बाहर मांस के टुकड़े, भड़काऊ नारे वाले पर्चे-पोस्टर और पवित्र ग्रंथ को फाड़कर उनके टुकड़े वहां फेंके। अपनी पहचान को छिपाने के लिए सभी आरोपियों ने ऐसी टोपी पहन रखी थी जैसी आम तौर पर मुस्लिम समाज के लोग पहनते हैं। 

इनका मकसद था कि सुबह सूरज निकलने के बाद जब मुसलमान अपने घरों से निकलेंगे तो यह सब देखकर भड़क जाएंगे। वे सड़कों पर निकल पड़ेंगे और अयोध्या में दंगे भड़क उठेंगे। लेकिन अयोध्या पुलिस और जिला प्रशासन ने समय रहते इस पूरे मामले का पर्दाफाश करते हुए एक खतरनाक साजिश को नाकाम कर दिया। आरोपियों की पहचान कर ली गई और 11 में से 7 आरोपियों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया। इस साजिश के पीछे जो चेहरे सामने आए हैं वो हैरान और परेशान करने वाले हैं। जाली टोपी लगा कर, मुसलमान जैसे दिखने वाले ये सारे साजिशकर्ता हिन्दू थे। यह गिरोह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र शहर और भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या को कलंकित करना चाहता था।

अयोध्या पुलिस के मुताबिक इस संगठन का नाम हिंदू योद्धा संगठन है और इसका मास्टरमाइंड महेश मिश्रा नाम का शख्स है जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। यूपी पुलिस के आईजी के.पी. सिंह और अयोध्या के एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय ने पूरी साजिश के बारे में विस्तार से बताया जिसे पुलिस द्वारा नाकाम कर दिया गया।  महेश मिश्रा के अलावा प्रत्यूष श्रीवास्तव, नितिन कुमार, दीपक गौड़, बृजेश पांडे, शत्रुघ्न प्रजापति और विमल पांडे को भी गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि सुशील यादव, अनिल चौहान और बाबू मिश्रा पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। ये सभी अयोध्या के रहनेवाले हैं। 

गिरफ्तार लोगों ने यह कबूल किया कि इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड महेश मिश्रा था और वह दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती जुलूस पर पथराव का बदला लेना चाहता था। इनलोगों ने धार्मिक ग्रंथ की दो प्रतियां खरीदी, फ्लैक्स पोस्टर, जालीदार मुस्लिम टोपी खरीदने के बाद मांस का इंतजाम किया, इन्हें मस्जिद के बाहर फेंका जाना था। सभी आरोपी एक ढाबे पर इकट्ठा हुए और भोजन के बाद  दंगे का सामान बिखेरने के लिए अयोध्या की सड़कों पर निकल पड़े। 

पुलिस के मुताबिक सबसे पहले ये लोग कश्मीरी मोहल्ले की मस्जिद पर गए फिर इन लोगों ने टाटशाह मस्जिद , गुलाबशाह दरगाह, सिविल लाइंस ईदगाह और घोसियाना रामनगर मस्जिद के बाहर मांस, भड़काऊ पर्चे-पोस्टर और धार्मिक ग्रंथ के फटे पन्ने फेंके। बुधवार सुबह जब मस्जिद की देखरेख करनेवाले मौलवियों ने इन आपत्तिजनक चीजों को देखा तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी। पुलिस भी सूचना पाकर तुरंत हरकत में आ गई। लोग पहुंचते इससे पहले फायर ब्रिगेड और वाटर टैंक की मदद से मस्जिदों की सफाई करवाई गई और आपत्तिजनक चीजों को वहां से हटाया। लोगों के जगने से पहले पूरी ईदगाह को धोकर साफ किया गया और किसी को कानों-कानों खबर नहीं होने दी गई।

पुलिस ने कहा कि मुस्लिमों के बीच इस बात की खबर न पहुंचे इसके लिए ईदगाह और मस्जिद की देखरेख करनेवाले मौलवियों ने भरपूर सहयोग किया। पूरे मामले को दबाकर रखा। इस तरह से अयोध्या को दंगों की आग में झोंकने की एक बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया गया और शान्ति से आग लगाने के लिए डा़ली गई चिंगारी को बुझा दिया गया। आरोपियों ने साजिश को अंजाम देने के लिए उन मस्जिदों को चुना जहां दूर-दूर तक सीसीटीवी नहीं थे लेकिन एक जगह वे चूक गए। एक मस्जिद के पास सीसीटीवी लगा था और उसी कैमरे की वजह से पुलिस को साजिश करने वालों का अहम सुराग मिला। 

आरोपियों की साजिश तो पुख्ता थी लेकिन पुलिस ने समझदारी से काम लिया और मस्जिद के मौलवियों ने संयम का परिचय दिया। मरकजी जामा मस्जिद टाटशाह के मुतवल्ली जमाल अहमद खान ने बताया कि जैसे ही उन्हें मस्जिद के बाहर आपत्तिजनक पोस्टर लगे होने की खबर मिली उन्होंने अपने लोगों से कहा कि यह बात और किसी को मत बताना और जो लिखा है उसे मिटा दिया जाए। इसके बाद ये लोग सीधे पुलिस के पास पहुंचे। जमाल खान ने कहा कि जैसे ही उन्हें मस्जिद के बाहर मांस फेंके जाने का पता चला तब वो समझ गए कि यह एक गहरी साजिश है। क्योंकि ईद मनाने का मौका दो साल के बाद आया था। इस बार तैयारी जोरदार हो रही थी। वे पिछले दो साल से कोरोना महामारी के कारण पूरे उत्साह के साथ ईद नहीं मना पाए थे। अगर इस बार ईद के त्योहार में खलल पड़ता तो लोगों को गुस्सा भी बहुत ज्यादा होता। शायद इसीलिए इस तरह की हरकत की गई। 

वहीं पुलिस के लिए इन आरोपियों को पकड़ना आसान नहीं था क्योंकि उसके पास कोई ठोस सुराग नहीं था। और आरोपियों की पहचान करना मुश्किल था। लेकिन पुलिस ने 40 घंटे के अंदर पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया । इन आरोपियों ने अपनी हरकत कबूल कर ली। सात आरोपियों में से तीन का आपराधिक इतिहास रहा है। इस साजिश के मास्टरमाइंड महेश मिश्रा के खिलाफ पहले से ही तीन एफआईआर दर्ज हैं। 

गुरुवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने मास्टरमाइंड महेश मिश्रा को कैमरे पर यह कहते हुए दिखाया कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। वह योगी आदित्यनाथ की तारीफ भी करता है और खुद को हिन्दुओं का बहुत बड़ा हितैषी बताता है। मिश्रा ने कहा कि उसने जो किया वो मतिभ्रम था यानि उसका दिमाग खराब हो गया था, साथ ही यह भी कहता है कि हिन्दुओं को जगाना जरूरी है। 

जो खुद को हिन्दुओं का हितैषी बता रहा है असल में वो हिन्दुओं और हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए। अयोध्या पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ एनएसए जैसा सख्त कानून लगाकर अच्छा काम किया। अब ना इन्हें आसानी से जमानत मिलेगी और आजीवन कैद की सजा भी हो सकती है.। 

इन लोगों ने बहुत बड़ा गुनाह किया है। मुसलमानों जैसे भेष रखकर दंगा कराने की कोशिश की। लेकिन अयोध्या की पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया। न इनके साथ हमदर्दी दिखाई, न इनकी पहचान छुपाई। इन आरोपियों को सबके सामने पेश किया और जेल भेज दिया गया। 

यह खबर उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और असद्दुदीन ओवैसी जैसे नेताओं को जरूर देखनी चाहिए जो यह कहते हैं कि भारत में मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं। सरकारी सिस्टम के जरिए मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है। अयोध्या में गुनाह मुसलमान बनकर किया गया लेकिन पुलिस ने उन्हीं को पकड़ा जो गुनहगार हैं और वो सारे के सारे हिन्दू हैं। यह केस इस बात का सबसे सटीक उदाहरण है कि अपराधी अपराधी होता है। अपराधी का कोई मजहब नहीं होता, उसकी कोई जाति नहीं होती। आम लोग तो इस बात को समझते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि नेताओं को यह समझने की जरूरत है। 

वैसे इस वक्त जो माहौल है उसमें पुलिस को सावधान, प्रशासन को सचेत और जनता को संयमित रहने की बहुत ज्यादा जरूरत है। क्योंकि माहौल खराब करने की साजिश कई तरह से हो रही है। विदेशी ताकतें भारत की शांति भंग करने की कोशिश कर रही हैं। हिंदुओं के सबसे पवित्र शहर अयोध्या को निशाना बनाने की साजिश रची गई और अगर सांप्रदायिक दंगे भड़कते तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बदनामी हो सकती थी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 28 अप्रैल, 2022 का पूरा एपिसोड

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