Friday, April 26, 2024
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S-400 Triumph: जंग के बीच भी अपना वादा निभाएगा रूस, भारत को 2023 के अंत तक देगा ये घातक हथियार, चीन और पाकिस्तान के छूटेंगे छक्के

S-400 Triumph: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि युद्ध के कारण एस-400 की डिलीवरी होने में समय लगेगा। हालांकि इस युद्ध के बावजूद भी भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति जल्द ही की जाएगी

Ravi Prashant Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: August 18, 2022 18:31 IST
S-400 Triumph- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO S-400 Triumph

Highlights

  • दोनों देशों के बीच 5.43 अरब डॉलर में डील साइन हुई थी
  • पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान के खिलाफ इस शक्तिशाली प्रणाली को तैनात किया गया है
  • अमेरिका ने भारत को कई बार प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी

S-400 Triumph: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि युद्ध के कारण एस-400 की डिलीवरी होने में समय लगेगा। हालांकि इस युद्ध के बावजूद भी भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति जल्द ही की जाएगी। एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2023 के अंत तक भारत को इस सिस्टम की सप्लाई शुरू हो जाएगी। इस वायु रक्षा प्रणाली को भारतीय वायु सेना के बेड़े में सबसे शक्तिशाली हथियार बताया जा रहा है। इस प्रणाली का सौदा भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण था कि उसने अमेरिका के खिलाफ जाकर ये सौदा किया था जबकि अमेरिका ने भारत को कई बार प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी। इस सिस्टम की पहली खेप दिसंबर 2021 में भारत आई थी। अब इस साल इसकी दूसरी खेप और फिर अगले साल के अंत तक शेष खेप भारत में आने की संभावना है। इस सिस्टम के प्रशक्षिण के लिए लोगों को रूस भेजा गया है, जिन्हें   सिस्टम को कैसे संचालित किया जाए उन्हें बताया जाएगा। इस प्रशिक्षण के लिए 400 एयरमैन को मास्को गए थे।

2023 कर मिल जाएंगे 5 रेजिमेंट 

S-400 Triumph SA ग्रोलर लंबी दूरी की मिसाइल रक्षा प्रणाली है जिससे दुश्मन को बुलाया जाता है। मॉस्को में जारी आर्मी 2022 इंटरनेशनल मिलिट्री-टेक्निकल फोरम में रूस की सरकारी एजेंसी मिलिट्री-टेक्निकल कॉरपोरेशन, इसके प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने मीडिया को इस बारे में अहम जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी एजेंसी शेड्यूल के मुताबिक होगी। रूस 2023 के अंत तक वायु रक्षा प्रणाली की सभी 5 रेजिमेंट वायु सेना को सौंप देगा। रूस की आधिकारिक निर्यात एजेंसी रोसोबोरानेएक्सपोर्ट के सीईओ अलेक्जेंडर मिखेव ने यह जानकारी दी है। साल 2018 में जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत का दौरा किया तो दोनों देशों के बीच 5.43 अरब डॉलर में डील साइन हुई थी। इस सौदे में भारत को 5 प्रणालियां मिलनी थी

पाकिस्तान सीमा पर तैनात
भारतीय वायु सेना के पास जहां एक ही रेजीमेंट है, वहीं पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तान के खिलाफ इस शक्तिशाली प्रणाली को तैनात किया गया है। इसकी दूसरी रेजिमेंट पूर्वी मोर्चे पर चीन के खिलाफ तैनात की जाएगी। इस प्रणाली के उपकरण रूस से हवाई और समुद्री मार्ग से भारत आए थे। यह प्रणाली न केवल निम्न स्तर पर दुश्मन के लक्ष्य को नष्ट कर सकती है, बल्कि उच्च स्तर पर दुश्मन जीवित नहीं रह सकता है। इसके अलावा यह एक साथ कई मिसाइलों का ऐसा घेरा बनाता है, जिससे लक्ष्य से बचना बहुत मुश्किल होता है। वायु रक्षा प्रणाली 92N6E इलेक्ट्रॉनिक रडार से लैस है। इस वजह से इसे ब्लॉक करना काफी मुश्किल होता है। यह वायु रक्षा प्रणाली दुश्मन के विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और पूर्व चेतावनी प्रणालियों को नष्ट कर सकती है। साथ ही इसकी रेंज 40 किमी से 400 किमी तक है।

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