Saturday, April 27, 2024
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अटल जी ने राष्ट्रपति बनने के सुझाव को क्यों ठुकराया, नरसिम्हा राव ने पर्ची में क्या लिखकर दिया? अशोक टंडन की किताब 'द रिवर्स स्विंग' में खुलासा

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रह चुके अशोक टंडन ने अपनी किताब द रिवर्स स्विंग: कॉलोनियलिज्म टू कोऑपरेशन में कई अहम खुलासा किया है।

Niraj Kumar Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: October 21, 2023 15:08 IST
अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रह चुके अशोक टंडन की किताब 'द रिवर्स स्विंग' का विमोचन हुआ।- India TV Hindi
Image Source : फाइल अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रह चुके अशोक टंडन की किताब 'द रिवर्स स्विंग' का विमोचन हुआ।

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रह चुके अशोक टंडन की किताब 'द रिवर्स स्विंग' में बड़ा खुलासा हुआ है। इस किताब में अशोक टंडन ने बताया है कि किस तरह से अटल बिहारी वाजपेयी के सामने जब राष्ट्रपति बनाए जाने का प्रस्ताव आया तो उन्होंने ठुकरा दिया था। इस किताब में अशोक टंडन ने उस वाकये का भी जिक्र किया है जब अटल बिहारी वाजपेयी को पीएम पद की शपथ लेने से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने एक पर्ची दी थी। इस पर्ची में उन्होंने उस खास कार्य का जिक्र किया था जिसे देशहित में किया जाना जरूरी था, लेकिन वे उसे पूरा नहीं कर पाए थे। 

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने किया विमोचन

अशोक टंडन की इस किताब का विमोचन पेट्रोलियम-प्राकृतिक गैस मंत्रालय और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में किया। अशोक टंडन ने इस किताब में अशोक टंडन ने इस किताब में ऐसी की कई अन्य घटनाओं का जिक्र किया है और विस्तार से बताया है। इस किताब में मूल रूप से उन्होंने सदियों से चली आ रही गुलामी की दर्दनाक यादों को पीछे छोड़ते हुए नए भारत के गौरव को दर्शान की कोशिश की है।

वाजपेयी ने प्रस्ताव खारिज किया

अशोक टंडन ने अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति बनाए जाने के प्रस्ताव की घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि उस वक्त वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। जैसे ही उन्हें यह प्रस्ताव मिला उन्होंने साफ तौर से इनकार कर दिया। उनके सामने यह प्रस्ताव दिया गया कि वे पीएम का पद छोड़ दें और राष्ट्रपति बन जाएं, उनकी (वाजपेयी) जगह  लालकृष्ण आडवाणी को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया जाए। 

संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं 

अशोक टंडन ने इस किताब में लिखा कि यह प्रस्ताव मिलते ही वाजपेयी ने कहा कि इससे संसदीय लोकतंत्र में अच्छा संकेत नहीं जाएगा और यह एक "बहुत खतरनाक मिसाल" स्थापित करेगा। अनुभवी पत्रकार अशोक टंडन 1998 से 2004 तक वाजपेयी के कार्यकाल में पीएमओ में मीडिया मामलों के प्रभारी थे। अनुभवी पत्रकार अशोक टंडन ने  अपनी किताब  द रिवर्स स्विंग: कॉलोनियलिज्म टू कोऑपरेशन में यह भी कहा है कि वो वाजपेयी ही थे जिन्होंने मुख्य विपक्षी दलों के सामने राष्ट्रपति के लिए पद के लिए एपीजे अब्दुल कलाम का जिक्र किया था । उस वक्त कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की इस पसंद पर हैरानी भी जताई थी।

नरसिम्हा राव के अधूरे कार्य को पूरा किया

अशोक टंडन ने लिखा है कि प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव को इस बात का अंदाजा था कि संसदीय चुनावों (1996) में  त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में अमेरिका अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद से वंचित करने की पैरवी करेगा। अशोक टंडन ने इसमें अमेरिकी दूतावास द्वारा भेजे गए कुछ अवर्गीकृत ईमेल का जिक्र किया है। नरसिम्हा राव दबाव के चलते परमाणु परीक्षण कर पाने में असफल रहे। लिहाजा जब अटल बिहारी वाजपेयी पीएम की शपथ ले रहे थे तो उस दौरान नरसिम्हा राव ने अटल जी के हाथ में एक पर्ची दी थी। इस पर्ची ने उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण के अधूरे काम का जिक्र किया था। लेकिन वाजपेयी की सरकार चल नहीं पाई और 13 दिनों में ही गिर गई। लेकिन बाद में जब वे फिर प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पोखरण में परमाणु परीक्षण को हरी झंडी दे दी और भारत ने ऐसा करके पूरी दुनिया को सकते में ला दिया था।

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