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Kashi Vishwanath Temple: प्राचीन काल में कई बार तोड़ा गया काशी विश्वनाथ मंदिर, जानें AMU के पूर्व प्रोफेसर अली नदीम रिजवी ने और क्या कहा

उन्होंने कहा कि जयपुर के राजा मिर्जा जयसिंह ने अकबर के जमाने में इसको दोबारा बनवाया था। इसके बाद औरंगजेब के समय में इसके ऊपर कुछ ना कुछ हुआ और जहांगीर के समय में भी इससे जुड़ी कहानी मिलती है।

Written by: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : May 18, 2022 16:34 IST
Kashi Vishwanath Temple- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) Kashi Vishwanath Temple

Highlights

  • 'प्राचीन काल में कई बार तोड़ा गया काशी विश्वनाथ मंदिर'
  • AMU के पूर्व प्रोफेसर अली नदीम रिजवी का बयान
  • कहा- जयपुर घराने के लोगों ने आधे बन चुके मंदिर को मस्जिद में बदला

Kashi Vishwanath Temple: वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अली नदीम रिजवी का बयान सामने आया है। उन्होंने इस मंदिर की प्राचीन स्थिति को लेकर कहा है कि ये ऐसा मंदिर है जो कई बार तोड़ा गया और इस बारे में कोई दो राय नहीं है।

उन्होंने कहा कि जयपुर के राजा मिर्जा जयसिंह ने अकबर के जमाने में इसको दोबारा बनवाया था। इसके बाद औरंगजेब के समय में इसके ऊपर कुछ ना कुछ हुआ और जहांगीर के समय में भी इससे जुड़ी कहानी मिलती है। औरंगजेब के समय में एक कहानी बताई जाती है कि औरगंजेब अपने लश्कर के साथ एक बार इधर की ओर बढ़ रहे थे। जब उनको यह खबर मिली कि यहां के ब्राह्मणों ने किसी औरत के साथ अश्लील हरकत की है तो उस पर जांच बिठा दी।

जयपुर घराने के लोगों ने आधे बन चुके मंदिर को मस्जिद में बदला: रिजवी

कहानी में ये बात आती है कि ब्राह्मणों ने औरगंजेब के डर से इस जगह को छुपाने की कोशिश की। जयपुर घराने के लोग इस जगह के इंचार्ज थे और उन्होंने आधे बन चुके मंदिर को मस्जिद में बदल दिया। इसलिए तथ्य ये बताते हैं कि इसके एक हिस्से में कुछ ऐसे अवशेष मिलते हैं, जो यह गवाही देते हैं कि वहां किसी जमाने में मंदिर था। लेकिन जो स्ट्रक्चर वहां खड़ा हुआ है, वह एक मस्जिद का है। 

उन्होंने कहा कि आज हम ना औरगंजेब के जमाने में हैं और ना ही अकबर के जमाने में हैं। हम ऐसे मुल्क में रह रहे हैं, जो संविधान से चलता है और जो एक सेकुलर देश है। हमारा संविधान कहता है कि जो चीज जिस अंदाज में आजादी के वक्त थी, उसे वैसे ही रखा जाए और 1991 में इसक लेकर नियम भी बना कि बाबरी मस्जिद के बाद जितने भी पुराने स्ट्रक्चर हैं, उनको उसी हालत में मेंटेन किया जाएगा, जिस हालत में आजादी के वक्त 1947 में वह थे। 

अगर पुराने मुर्दे उखाड़ोगे तो शैव और वैष्णो मंदिर पर भी उठेंगे सवाल: रिजवी

उन्होंने कहा कि अगर पुराने मुर्दे उखाड़ने हैं तो मैं यह भी पूछना चाहता हूं कि जो प्राचीन काल में जैन और बुद्ध स्ट्रक्चर को गिराकर उन्हें शैव और वैष्णो बनाया गया, क्या आप उनको भी तोड़ेंगे? अगर ये सिलसिला शुरू हुआ तो क्या हिंदुस्तान में कोई स्ट्रक्चर बचेगा?

उन्होंने कहा कि साल 1947 में हमने शपथ ली थी कि हिंदू और मुसलमान मिलकर इस देश को चलाएंगे और यही बात हमें जिन्ना के कॉन्सेप्ट से अलग करती थी। दुर्भाग्य से हम आज कह रहे हैं कि शायद जिन्ना सही थे और मजहब के नाम से ही देश चलना चाहिए।

 
प्रोफेसर अली नदीम रिजवी ने ये भी कहा कि जयपुर के घराने के लोगों ने एक मंदिर बनाया था, जो काफी साल चला और बीच में औरगंजेब के समय में उसको किसी वजह से बदला गया। अगर इसको जबरदस्ती बदला गया तो ये खंडन करने के लायक है। कोई ऐसा काम नहीं है जिसकी तारीफ की जाए। लेकिन अगर आज भी आप वही काम रिपीट करेंगे तो किस मुंह से औरंगजेब को बुरा कहेंगे। (रिपोर्ट: प्रदीप)

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