Wednesday, December 17, 2025
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झारखंड में जंगली हाथियों ने बरपाया कहर, दो महिलाओं समेत पांच की मौत, क्यों रिहायशी इलाकों को निशाना बना रहे हाथी? जानें

झारखंड में जंगली हाथियों ने जबरदस्त कहर बरपाया है। पिछले 24 घंटे के दौरान जंगली हाथियों के हमलों में दो महिलाओं समेत पांच लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Dec 17, 2025 12:32 pm IST, Updated : Dec 17, 2025 01:56 pm IST
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Image Source : PTI हाथियों का झुंड

रामगढ़/रांची: झारखंड में जंगली हाथियों ने जबरदस्त कहर बरपाया है। पिछले 24 घंटे के दौरान जंगली हाथियों के हमलों में दो महिलाओं समेत पांच लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार रात रामगढ़ जिले के सिरका वनक्षेत्र में तीन लोगों की मौत हो गई जबकि रांची के अंगारा में जिडू गांव में 36 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। 

वन अधिकारी ने क्या बताया?

रामगढ़ के संभागीय वन अधिकारी नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘ कुछ शवों की पहचान अभी नहीं हो पाई है। दो क्वीक रिएक्शन टीम (क्यूआरटी) और वन रक्षक क्षेत्र में हाथियों के झुंड की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं।’’ 

वीडियो बनाने गए शख्स को कुचला

कुमार ने कहा कि मंगलवार दोपहर अमित कुमार राजवर (32) वीडियो बनाने और तस्वीरें खींचने आठ जंगली हाथियों के एक झुंड के पास गया था, तभी हाथियों ने उसे कुचल दिया। 

रामगढ़ और बोकारो के जंगलों में कितने हाथी घूम रहे?

उन्होंने कहा कि अलग-अलग झुंड में विभाजित लगभग 42 हाथी रामगढ़ और बोकारो जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित जंगलों में घूम रहे हैं। अंगारा थाने के प्रभारी गौतम कुमार राजवर ने कहा कि संचारवा मुंडा नामक एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गई जबकि महिला समेत दो घायलों का इलाज जारी है। 

बता दें कि झारखंड में रिहायशी इलाकों पर जंगली हाथियों का हमला एक गंभीर समस्या बन चुका है। 2025 में अब तक कई घटनाएं हुई हैं, जहां हाथियों के झुंड या अकेले हाथी गांवों में घुसकर फसलों को नष्ट कर रहे हैं, घर तोड़ रहे हैं और लोगों पर हमला कर रहे हैं। वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2024 के बीच झारखंड में जंगली हाथियों के हमलों में 474 लोगों की मौत हुई।

रिहायशी इलाकों में आने के प्रमुख कारण

  1.  जंगल का सिकुड़ना और आवास का नुकसान-खनन (कोयला आदि), अनियोजित विकास, राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे लाइनें, बांध और मानव बस्तियों के विस्तार के चलते बड़े पैमाने पर जंगल काटे गए। इससे हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर (माइग्रेशन रूट) बाधित हो गए हैं।
  2. भोजन और पानी की तलाश:जंगलों में प्राकृतिक भोजन (पत्ते, फल) की कमी होने के चलते हाथियों के झुंड गांवों में धान, महुआ, अन्य फसलें और पानी के स्रोत आकर्षित करते हैं। 
  3. माइग्रेशन रूट में बाधाएं:पड़ोसी राज्यों (पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़) में ट्रेंच या बाड़ से हाथी वापस नहीं लौट पाते, झारखंड में ही फंस जाते हैं। जैसे हजारीबाग में पश्चिम बंगाल से आए हाथी झारखंड में डेरा जमाए हुए।
  4. झुंड से बिछड़ना:नर हाथी मादा के लिए झुंड में लड़ाई हारकर अलग हो जाते हैं और गुस्सैल होकर हमलावर हो जाते हैं। 2025 में रियाहशी इलाकों पर हमले में कई मौतों के पीछे यह वजह भी सामने आई है।
  5. मानव व्यवहार:लोग हाथियों के करीब जाकर रील/फोटो बनाने की कोशिश करते हैं । इससे गुस्सा होकर हाथी हमला करते हैं। वहीं जंगल के आसपास रहनेवाले लोग महुआ से शराब बनाते हैं। हाथियों को झुंड महुआ की गंध से आकर्षित होकर चले आते हैं। 
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