ऐसे करें पूजा
सुबह स्नान और नित्यकर्मो से निवृत्त होकर कलश की स्थापना करें। इस कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें। इसके आगे कुमकूम, केसर या हल्दी से रंग कर बनाया हुआ कच्चे डोरे का 14 गांठों वाला 'अनंत' भी रखें। इसकेो बाद अनंत भगवान की वंदना करके और भगवान विष्णु का आह्वान करते हुए गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें। इसके बाद अनंत भगवान का ध्यान करते हुए अनंत को अपनी दाहिनी भुजा पर बांध लें। साथ ही यह ध्यान रहे कि इस दिन पुराने वाले अनंत को हटा देना चाहिए औहर भगवान अनंत की कथा और फिर सत्यनारायण की कथी सुननी चाहिए, क्योंकि अनंत ही भगवान विष्णु का एक रूप है। बाद में इस व्रत का पारण किसी ब्राहम्ण को 14 चीजों का दान देकर करना चाहिए।
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