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ट्रेन के महिला कोच में यात्रा करते 5 साल में 3 लाख से ज्यादा पुरुष दबोचे गए, RTI में खुलासा

पिछले पांच वर्षों में ट्रेन में महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे में अनाधिकृत रूप से यात्रा करने के लिए तीन लाख से ज्यादा पुरुषों को गिरफ्तार किया गया है। नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने जानकारी दी है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Feb 09, 2024 14:25 IST, Updated : Feb 09, 2024 14:25 IST
प्रतीकात्क फोटो - India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्क फोटो

भारतीय रेवले ने महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए ट्रेन में भी कुछ सविधाएं देता है। इनमें महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे की सविधा भी एक है। इसे लेकर आरटीआई में एक बड़ा खुलासा हुआ है। देश में पिछले पांच वर्षों के दौरान रेलगाड़ियों में महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में अनाधिकृत रूप से यात्रा करने के लिए तीन लाख से ज्यादा पुरुषों को गिरफ्तार किया गया। 

नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता ने पूछा

नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने शुक्रवार को बताया कि रेलवे बोर्ड ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन में यह जानकारी मुहैया कराई है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2019 में 1,13,501, 2020 में 23,361, 2021 में 25,026, 2022 में 63,741 और 2023 में 77,985 पुरुषों को रेलगाड़ियों के महिला कोच में अनाधिकृत रूप से यात्रा करने के लिए रेलवे अधिनियम की धारा 162 (महिलाओं के लिए आरक्षित किसी सवारी डिब्बे या अन्य स्थान में प्रवेश करना) के तहत गिरफ्तार किया गया। 

आरोपियों के खिलाफ आरपीएफ कार्रवाई करता है

जानकारी के मुताबिक, बीते पांच वर्षों के दौरान पश्चिम रेलवे में सर्वाधिक 63,542 आरोपियों को इस कानूनी प्रावधान के तहत गिरफ्तार किया गया। आरटीआई कानून के तहत प्राप्त जवाब के मुताबिक, महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में अनाधिकृत यात्रा के मामलों में आरोपियों के खिलाफ रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) कार्रवाई करता है। गौड़ ने अपने आरटीआई आवेदन में रेलवे बोर्ड से यह भी जानना चाहा था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान रेलगाड़ियों में महिलाओं के खिलाफ कितने अपराध दर्ज किए गए, जिसके जवाब में रेलवे बोर्ड ने संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' को राज्य का विषय बताकर जानकारी मुहैया नहीं करायी। 

आरटीआई जवाब में बताया गया कि रेलगाड़ियों में होने वाले अपराधों को लेकर राज्य सरकार की शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) या स्थानीय पुलिस द्वारा मामले दर्ज किए जाते हैं, जिनमें महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध भी शामिल हैं। (इनपुट- भाषा)

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