Explainer: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने हाल ही में फील्ड मार्शल बनाए गए असीम मुनीर को औपचारिक रूप से पाकिस्तान का पहला रक्षा प्रमुख (CDF) नियुक्त किया है, जिसके बाद अब असीम मुनीर देश की तीनों सेनाओं के प्रमुख बन गए हैं और इस पद पर उनका कार्यकाल अब पांच साल का होगा। पाकिस्तान में संविधान का संशोधन करने के बाद इस पद के सृजन को लेकर मुहर लगी है, जो अब इस देश का शक्तिशाली सैन्य पद है। असीम मुनीर सीडीएफ के साथ ही अब तीनों सेनाओं के प्रमुख का पद भी संभालेंगे। बता दें कि असीम मुनीर जनरल अयूब खान के बाद फील्ड मार्शल की उपाधि पाने वाले देश के इतिहास में दूसरे सैन्य अधिकारी हैं।
असीम मुनीर हुए ताकतवर, इमरान का क्या होगा
सीडीएफ बनते ही असीम मुनीर अब पाकिस्तान में बहुत ताकतवर शख्सियत हो गए हैं। लेकिन उनकी नियुक्ति पर फाइनल मुहर लगने से पहले पाकिस्तान में गुप्त रूप से तख्तापलट की तैयारी हो चुकी थी और पीएम शहबाज शरीफ की सत्ता खतरे में पड़ गई थी। वजह थे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, जो रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं। उन्हें प्रताड़ना दिए जाने के बाद उनके मौत की अफवाह उड़ी थी। इसके बाद इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ के समर्थकों का हुजूम रावलपिंडी कूच कर गया था। भीड़ को देखते हुए जेल प्रशासन ने इमरान खान की बहन को उनसे मिलने की इजाजत दी थी, जिसके बाद अफवाह पर लगाम लगी थी।
पाक सेना के प्रवक्ता ने दी चेतावनी
जेल से इमरान खान ने असीम मुनीर पर तीखा हमला बोला था। लेकिन अब मुनीर देश की सुप्रीम कोर्ट से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं और पाकिस्तान की सेना ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर सख्त रुख अपनाने के संकेत दिए हैं। असीम मुनीर के सीडीएफ बनने के कुछ घंटे बाद ही पाक सेना के प्रवक्ता जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने अपने बयान में कहा, इमरान खान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। चौधरी ने इमरान को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी को भी सेना के खिलाफ लोगों को भड़काने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
सुप्रीम बन गए हैं असीम मुनीर
सीडीएफ और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, दोनों पद अपने पास रखकर मुनीर पाकिस्तान के हालिया इतिहास में सबसे ताकतवर मिलिट्री अफसर बन गए हैं। लेकिन उनके प्रमोशन का देश विदेश हर जगह विरोध हो रहा है। यूएन ने इसे पाकिस्ताान का गलत कदम करार दिया है और वहीं अमेरिका ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। इसमें खास बात है कि फील्ड मार्शल के विशेष प्रावधान की वजह से असीम मुनीर ने खुद को प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर कर लिया है।
क्या है सीडीएफ का पद
सीडीएफ का पद न केवल तीनों सेनाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) पर उनके अधिकार को मजबूत करता है, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय सामरिक कमान की भी निगरानी का अधिकार देता है, जो देश के परमाणु हथियारों और मिसाइल प्रणालियों का प्रबंधन करती है, जिससे मुनीर देश के सबसे शक्तिशाली सैन्य अधिकारी बन जाते हैं। इस नए पद ने मुनीर को देश के राष्ट्रपति के समकक्ष कानूनी सुरक्षा भी प्रदान की।
पहले फील्ड मार्शल और फिर सीडीएफ बन जाने के बाद असीम मुनीर पर आजीवन किसी भी तरह की जांच नहीं होगी ना ही कोई अभियोग चलाया जा सकेगा। इस तरह से असीम मुनीर को दोहरी अथॉरिटी मिलने से पाकिस्तान का सैन्य ढांचा ही नहीं बदलेगा बल्कि आने वाले समय के लिए पूरा सैन्य ढांचा एक ही वर्दी में बंद हो जाएगा और सबसे खास कि सीडीएफ ही तीनों सेनाओं का प्रमुख होगा।
कितने ताकतवर हो गए हैं असीम मुनीर
- सेना प्रमुख का पद पहली बार संविधान में स्थायी रूप से सर्वोच्च सैन्य शक्ति के रूप में दर्ज हो गया है।
- अब तीनों सेनाओं की असल ताकत सीडीएफ के पास ही होंगी। सेना उनके ही इशारे पर चलेगी।
- सीडीएफ को ही परमाणु हथियारों और मिसाइलों का कंट्रोल दिया जाएगा और अब इसकी जिम्मेदारी पीएम शहबाज की जगह असीम मुनीर के पास होगी।
- पाकिस्तान के संविधान में 1973 के बाद 27वां संशोधन कर सीडीएफ का पद सृजित किया गया जिसे पाकिस्तान के इतिहास में सबसे बड़ा और विवादास्पद प्रस्ताव कहा जा रहा है।
- संशोधन के बाद नेशनल स्ट्रैटजिक कमांड (NSC) का गठन किया गया है जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम की निगरानी और कंट्रोल करेगी।
- पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इन बदलावों से देश में सेना और ज्यादा ताकतवर हो जाएगी।
- सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने का जो काम पूर्व सैन्य शासक जनरल जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ जैसे ताकतवर शख्स अपने दौर में नहीं कर पाए, अब उस काम को शहबाज शरीफ की चुनी हुई सरकार और संसद ने किया है।
- यह संशोधन पाकिस्तान के लिए लंबे समय में घातक साबित हो सकता है। यह सेना को स्थायी वर्चस्व देगा, जो लोकतंत्र को कमजोर करेगा। इससे नेवी और एयर फोर्स में असंतोष बढ़ सकता है, जिससे आंतरिक विद्रोह या कमजोर समन्वय हो सकता है।
मुनीर के सीडीएफ बन जाने से क्या होगा
पाकिस्तान में अब न्यूक्लियर कमांड का एक व्यक्ति पर निर्भर होना मिसकैलकुलेशन बढ़ाएगा और इससे भारत या अफगानिस्तान के साथ तनाव और गहरा हो सकता है, जो मुनीर की महत्वकांक्षी व्यक्तिगत निर्णयों को बढ़ावा देगी। बता दें कि पाकिस्तान का इतिहास गवाह है कि अयूब खान और जिया-उल-हक, परवेज मुशर्रफ ने देश में पहले भी सैन्य शक्ति को अस्थिर किया था। मुनीर की ताकत इस तरह से बढ़ने से देश में आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार और विद्रोह बढ़ सकता है। मुनीर की बढ़ी शक्तियां पाकिस्तान की राजनीति और सुरक्षा प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही हैं।
सेना हो गई ताकतवर, फिर होगी मुश्किल
याद रखना चाहिए कि करोड़ों की आबादी और परमाणु शक्ति वाला पाकिस्तान, 1947 में अपने निर्माण के बाद से नागरिक और सैन्य शासन के बीच उतार-चढ़ाव से गुज़रता रहा है। देश पर खुले तौर पर शासन करने वाले अंतिम सैन्य नेता परवेज़ मुशर्रफ़ थे, जिन्होंने 1999 में तख्तापलट के ज़रिए सत्ता हथिया ली थी और 2008 तक राष्ट्रपति रहे थे और अब वही दोहराया जाना क्या फिर से देश की कमान सेना के हाथों में होगी और शहबाज सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी?