Thursday, May 16, 2024
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MP में नेता पुत्रों को टिकट देगी BJP? कई नेताओं के बेट खुद को मान रहे उम्मीदवारी के दावेदार

मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसे लेकर अभी से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच, बीजेपी के कई सीनियर नेता के बेटे आगामी चुनाव के लिए खुद को संभावित उम्मीदवार भी मान रहे हैं।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: November 13, 2022 9:33 IST
मध्य प्रदेश चुनाव में टिकट के दावेदार- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE मध्य प्रदेश चुनाव में टिकट के दावेदार

मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के कई सीनियर नेताओं के बेटे खुद को संभावित उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं। उनके पिता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनकी उम्मीदवारी की वकालत कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर पार्टी एक अघोषित गाइडलाइन पर काम कर रही है, जो एक ही परिवार के दो सदस्यों को चुनाव लड़ने से रोकेगी।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुषमुल झा, लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा ऐसे लोग हैं, जो टिकट के लिए दांव लगा सकते हैं।

एक नेता का बच्चा होना गलती नहीं है- जटिया

बीजेपी के संसदीय बोर्ड के सदस्य सत्यनारायण जटिया ने अपने एक बयान में कहा है कि एक नेता का बच्चा होना गलती नहीं है, सभी योग्य नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिलना चाहिए, इससे इन उम्मीदवारों को टिकट मिलने की उम्मीदों में इजाफा हुआ है। 

इससे पहले जटिया ने पार्टी में 'कोई उम्र नहीं मानदंड' को लेकर एक और बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी सही समय पर सही कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौंपती है। इस बयान के बाद पार्टी में कई चर्चाओं ने रफ्तार पकड़ ली, जिसमें पूर्व मंत्री कुसुम महदेले ने उनके और अन्य नेताओं को टिकट नहीं दिए जाने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया।

'वंशवाद के मुद्दे को छोड़ने का पार्टी का इरादा नहीं'

वंशवाद की राजनीति बीजेपी के लिए एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस मुद्दे पर वह कांग्रेस को घेरती है, उस मुद्दे को छोड़ने का पार्टी का इरादा नहीं है। उन्हें लगता है कि भगवा पार्टी भाई-भतीजावाद पर सवाल उठाकर अपने लिए परेशानी खड़ी नहीं करेगी। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि बीजेपी नेता अपनी अगली पीढ़ी को चुनावी राजनीति में लाने में पीछे नहीं रहेंगे।

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