मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि चुनावी घोषणाओं के चलते राज्यों की हालत खराब हो चुकी है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से राज्यों की मदद करने की बात कही है। शहरी विकास एवं आवास तथा संसदीय कार्य ने कहा कि चुनाव के दौरान किए गए बहुत सारे कमिटमेंट की वजह से राज्यों के बजट की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है। कैलाश विजयवर्गीय का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब जी राम जी बिल में राज्यों पर बजट का 40 फीसदी भार डालने पर विपक्ष के नेता केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं।
भोपाल में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने शहरी विकास मंत्रियों की क्षेत्रीय बैठक का आयोजन किया था। इसी बैठक में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राज्यों की बजट की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई है। राजनीतिक मजबूरी के कारण जो घोषणाएं की गई थीं, उनके कारण समस्या खड़ी हो रही है।
कैलाश विजयवर्गीय का बयान
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "राज्यों की राजनीतिक मजबूरियां हैं। चुनाव में बहुत सारे कमिटमेंट कर दिए। बजट अपेक्षा से परे जा रहा है और बजट बनाना मुश्किल हो रहा है। इस समय केंद्र की ओर देखना चालू कर दिया है। केंद्र की बहुत सारी योजनाएं हैं। राज्य की अमृत योजना, आवास योजना हो या जितनी भी योजनाएं हों। थोड़ा-थोड़ा काम हो चुका है। बाकी कामों में केंद्र सरकार मदद करे। राज्यों के बजट की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई है। राजनीतिक मजबूरी के कारण जो घोषणा की, उसके कारण तकलीफ है। हर राज्य की यह स्थिति है।
पैसे बांटने वाली योजनाएं बन रहीं बोझ
2023 से हर विधानसभा चुनाव में सभी दलों ने महिलाओं को मुफ्त पैसा देने वाली योजनाओं पर जोर दिया है। इसका असर यह रहा है कि अब राज्यों का बजट बिगड़ रहा है। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से ही हुई थी, जहां शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहन योजना की शुरुआत की। इसके दम पर उन्होंने बड़े अंतर से चुनाव जीता। मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में भी ऐसी ही योजनाओं के आधार पर चुनाव जीते गए। हालांकि, अब राज्यों के लिए इन योजनाओं को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।
जी राम जी बिल बढ़ाएगा परेशानी
जी राम जी बिल में सरकार ने कम से कम 125 दिन रोजगार देने का वादा किया है। इसका 60 फीसदी बजट केंद्र और 40 फीसदी बजट राज्यों को देना होगा। पहले इस योजना को मनरेगा एक्ट के नाम से जाना जाता था। हालांकि, अब तक पूरा बजट केंद्र सरकार देखती थी। अब इसमें राज्यों को भी शामिल किया गया है। यह कानून लागू होने पर राज्यों के ऊपर बोझ बढ़ेगा।
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