Tuesday, April 30, 2024
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राम मंदिर बचाने के लिए AIMIM के इस सांसद ने अपनी जान दांव पर लगा दी

चोटिल होने के बावजूद इम्तियाज डरे नहीं और लगातार भीड़ को हटाने की कोशिश में लगे रहे। दंगाई मंदिर पर पथराव कर रहे थे, मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगा भगवा कपड़ा दंगाई फाड़ने की कोशिश कर रहे थे।

Dinesh Mourya Reported By: Dinesh Mourya @dineshmourya4
Published on: March 31, 2023 23:29 IST
एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील- India TV Hindi
Image Source : इंडिया टीवी एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील

संभाजी नगर : रामनवमी से महज कुछ घंटे पहले संभाजी नगर के राम मंदिर के पास दो गुटों में मामूली बहस हुई। यह बहस पल भर में झगड़े में तब्दील हो गई। किसी तरह इस झगड़े को शांत किया गया। लेकिन 1 घंटे बाद करीब 500 लोगों की भीड़ राम मंदिर की तरफ बढ़ती है। इन लोगों के हाथ में बड़े-बड़े पत्थर, लाठी-डंडे और आगजनी का सामान था। दंगाइयों की भीड़ मंदिर के पास पहुंचती है और वहां मौजूद पुलिस पर पथराव शुरू हो जाता है। पुलिस की गाड़ियों को जलाया जाता है, लाठी-डंडों से गाड़ियों को तोड़ा जाता है। दंगाइयों की भीड़ में शामिल कुछ उपद्रवी मंदिर में घुसने की कोशिश करते हैं लेकिन मंदिर लॉक था, मंदिर का गेट काफी बड़ा था इसलिए दंगाई अंदर नहीं जा पाते हैं। तब दंगाई बाहर से ही मंदिर पर पथराव शुरू करते हैं। उस वक्त मंदिर के बाहर सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी कम संख्या में थे जबकि बाहर करीब 500 दंगाइयों की भीड़ थी...हालात बेकाबू हो रहे थे। ऐसे में स्थानीय सांसद इम्तियाज जलील को इस घटना की जानकारी मिलती है और महज कुछ मिनट में वो घटनास्थल पर पहुंच जाते हैं। 

दंगाईयों ने मुझे पत्थर मारा, लाठी से मारा

इम्तियाज जलील ने इंडिया टीवी से कहा, मंदिर के बाहर सैकड़ों लोगों की उग्र भीड़ देखकर वह भी हैरान हो गए क्योंकि, दंगों में शामिल कुछ लोग बाहरी नज़र आ रहे थे जिन्होंने नकाब पहना था। हालात की गंभीरता को देखते हुए मैंने दंगाइयों को समझाने की कोशिश की। जब दंगाई नहीं माने तब पुलिस के साथ मिलकर हमने सख्ती भी बरती। पुलिस के साथ मिलकर जब हम दंगाइयों को तितर-बितर करने की कोशिश कर रहे थे तभी दंगाईयों ने मुझपर भी हमला कर दिया। एक पत्थर मेरे सिर पर लगा, एक दंगाई ने पीछे से मेरे पीठ पर लाठी मारी। 

चोटिल होने के बावजूद इम्तियाज डरे नहीं और लगातार भीड़ को हटाने की कोशिश में लगे रहे। दंगाई मंदिर पर पथराव कर रहें थे, मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगा भगवा कपड़ा दंगाई फाड़ने की कोशिश कर रहे थे। इम्तियाज के मुताबिक, उन्हें अहसास हो गया था की अगर मंदिर को बचाया नहीं गया तो ना सिर्फ महाराष्ट्र पूरे देश में ये आग भड़क उठेगी।

मैं सांसद इत्मियाज जलील हूं.. गेट खोलो

इत्मियाज जलील ने आगे कहा, मैंने पता किया की उस समय मंदिर में कौन सा कर्मचारी मौजूद है। उस कर्मचारी का नाम पता चलने के बाद मैं मंदिर के गेट पर गया और बाहर से जोर-जोर से चिल्लाने लगा की मैं सांसद इत्मियाज जलील हूं। आपकी मदद के लिए आया हूं..गेट खोलो.. मेरी आवाज सुनकर एक कर्मचारी दौड़ते हुए आया और उसने मुझे अंदर लिया। उस समय मंदिर के पहली मंजिल पर बने कार्यालय में कुछ लोग अपनी जान बचाने के लिए छिपे हुए थे। मंदिर परिसर में कुछ पुलिसकर्मी भी मौजूद थे। सभी डरे हुए थे। इम्तियाज सभी को हौसला देते हुए कहते हैं कि 'आप चिंता मत करिए, जब तक मैं हूं तब तक भगवान राम के इस मंदिर को कुछ नहीं होने दूंगा'। इम्तियाज मंदिर के भीतर से ही एक बड़े पुलिस अधिकारी को फोन लगाते हैं और एडिशनल फोर्स भेजने की विनती करते हैं।

ऑन द स्पॉट रिपोर्टिंग कर अफवाह को रोका

लाख कोशिश के बावजूद दंगाइयों की भीड़ बाहर पत्थर बरसा रही थी, पुलिस की गाड़ियों को आग लगाया जा रहा था। दंगे को रोकने के लिए मंदिर के भीतर से ही इम्तियाज ने वीडियो रिलीज कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। इसके कुछ देर बाद इम्तियाज को जानकारी मिली की बाहर अफवाह उड़ गई है कि मंदिर में कुछ हिंदू फंसे हुए हैं और मंदिर को क्षति पहुंचाई गई है। इस अफवाह की जानकारी मिलते ही वो सुपर अलर्ट हो गए। इम्तियाज जलील ने एक पत्रकार की तरह स्पोर्ट रिपोर्टिंग कर अफवाह को खारिज करने का फैसला किया। उन्होने मंदिर परिसर में मौजूद कर्मचारी और लोगों को इकठ्ठा किया और एक लड़के को कहा मोबाईल से वीडियो बनाने के लिए। पत्रकार की तरह फिर उन्होंने स्पॉट रिपोर्टींग कर पूरा वीडियो रिकॉर्ड किया जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे मंदिर में सब कुछ सामान्य हैं, मंदिर को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और जनता से भी अपील की वो अफवाहों पर ध्यान ना दें। इम्तियाज राजनीति में आने से पहले पहले पत्रकार थे। करीब 2 दशक से लंबे समय तक उन्होंने पत्रकारिता की थी। तनाव के इस हालत में उन्होंने अपने पत्रकारिता के इसी अनुभव का इस्तेमाल करते हुए फैक्ट चेकिंग रिपोर्टिंग की और इसका असर ये हुआ कि अफवाह को फैलने से रोका जा सका। करीब 3 घंटों तक उपद्रव चलता रहा। पुलिस के साथ इम्तियाज मंदिर में डटे रहें और उन्होंने एक भी दंगाई को मंदिर में आने नहीं दिया।

संभाजी नगर बेहद संवेदनशील शहर है। इम्तियाज जानते थे कि सुबह होने के बाद जब लोग सड़कों पर पत्थर और जली गाड़ियां देखेंगे तब हालात फिर एक बार बिगड़ सकते हैं। इसीलिए उन्होंने सबसे पहले अपने साथ मंदिर में मौजूद लोगों को कहा कि वो फौरन मंदिर परिसर में जितने भी पत्थर गिरे है उसे हटा लें। इम्तियाज के आदेश के बाद दंगाईयों द्वारा फेंके गए सभी बड़े-बड़े पत्थरों को हटाकर मंदिर को साफ किया गया। इम्तियाज ने पुलिस से कहा कि पुलिस की जली हुई गाड़ियों को सड़क से हटाकर किसी ऐसे जगह रखा जाए जहां पर आम आदमी की नजर ना पड़े। इसके अलावा महानगरपालिका के बड़े अधिकारी को फोन कर तड़के सुबह पूरी सड़क साफ करने के लिए कहा ताकि दंगे के निशान सड़क पर ना दिखे। इम्तियाज की तरकीब काम आई। मंदिर के बाहर की पूरी सड़क को साफ कर दिया गया, गाड़ियों को हटा दिया गया। सूर्योदय होते-होते दंगे के लगभग हर निशान को हटा दिया गया। एडिशनल फोर्स भी तबतक घटनास्थल पर पहुंच चुकी थी। सुबह अन्य दलों के नेता भी मंदिर पहुंचे। इम्तियाज ने बीजेपी और अन्य दलों के नेताओं से विनती की कि हम सभी साथ मिलकर संयुक्त बयान देते हैं और शहर को सामान्य बनाने में पुलिस प्रशासन की मदद करते हैं। सबकुछ सामान्य होने के बाद ही इम्तियाज मंदिर से निकले।

मंदिर के कर्मचारी बालू ने इंडिया टीवी को बताया कि इम्तियाज जलील की वजह से मंदिर बचा। उन्हें चोट भी लगी लेकिन वह आखरी समय तक मंदिर बचाने के लिए उनके साथ खड़े रहे।

इम्तियाज ने इंडिया टीवी से कहा, उस समय मैंने अपने विवेक का इस्तेमाल किया। अगर मैं उस समय हिम्मत नहीं दिखाता तो बहुत बड़ा अनर्थ हो सकता था। मेरी कोशिश सिर्फ और सिर्फ अमन-चैन कायम करने की है। हमारे औरंगाबाद में सदियों से हिंदू-मुस्लिम सभी भाई साथ रहते हैं। हम एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते रहे हैं। ऐसे में कोई भी दाग मैं अपने शहर पर नहीं लगने दूंगा और शहर में दंगा होना यह समाज के किसी भी वर्ग के लिए के हित में नहीं होता है।

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