मुंबईः महाराष्ट्र सरकार राज्य विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र में धर्मांतरण रोकने के लिए एक सख्त कानून पेश करने की योजना बना रही है। गृह राज्य मंत्री (ग्रामीण) पंकज भोयर ने विधान परिषद में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून में अन्य राज्यों के समान कानूनों की तुलना में कड़े प्रावधान होंगे। लागू होने के बाद महाराष्ट्र ऐसा कानून लागू करने वाला भारत का 11वां राज्य बन जाएगा।
धर्मांतरण विरोधी कानून शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा
पंकज भोयर ने सदन को बताया कि पुलिस महानिदेशक के नेतृत्व में एक पैनल का गठन किया गया है जो धर्मांतरण के खिलाफ एक ऐसा कानून तैयार करेगा जो बाकी 10 राज्यों की तुलना में अधिक सख्त होगा। इस मुद्दे पर पुलिस महानिदेशक द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है और आगामी (शीतकालीन) सत्र में यह कानून पारित कर दिया जाएगा।
राज्य विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आमतौर पर दिसंबर में महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी नागपुर में आयोजित किया जाता है।
धर्मांतरण विरोधी कानून वाले 10 राज्यों की सूची
- राजस्थान
- उत्तर प्रदेश
- मध्य प्रदेश
- ओडिशा
- आंध्र प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- गुजरात
- हिमाचल प्रदेश
- झारखंड
- उत्तराखंड
आदिवासियों का धर्मांतरण करने के लगते रहे हैं आरोप
बता दें कि भाजपा-शिवसेना-राकांपा सरकार द्वारा इस तरह के कानून की ओर यह कदम भाजपा विधायकों द्वारा लगाए गए आरोप के बाद उठाया गया है कि विदेशी धन से निर्मित अवैध चर्चों के माध्यम से आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है। भाजपा के अनूप अग्रवाल ने दावा किया कि पालघर और नंदुरबार जैसे आदिवासी ज़िलों में अवैध चर्चों की संख्या बेहद बढ़ रही है। उन्होंने दावा किया कि लगभग 2,000 की आबादी वाले गांवों में आधा दर्जन चर्च हैं। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि धर्मांतरण धमकी और चिकित्सा सहायता के लालच के ज़रिए किया जाता है।
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने कथित जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मार्च में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में "लव जिहाद" कानून की आवश्यकता की वकालत करते हुए कहा था कि सरकार को ऐसे मामलों की 1,00,000 से ज़्यादा शिकायतें मिली हैं।
(पीटीआई इनपुट के साथ)