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असम में आधार कार्ड बनवाने का बदला नियम, नए आवेदकों को जमा करनी होगी ये रसीद, सीएम बोले-बहुत सख्ती बरतेंगे

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार आधार कार्ड जारी करने में ‘‘बहुत सख्ती’’ बरतेगी। असम में आधार बनवाना आसान नहीं होगा।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: September 07, 2024 18:33 IST
Aadhar card- India TV Hindi
Image Source : FILE आधार कार्ड

गुवाहाटी: असम में अब आधार कार्ड बनवाना आसान नहीं रहेगा। सरकार ने काफी सख्त नियम लागू कर दिए हैं। इसका ऐलान मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को किया। उन्होंने कहा कि राज्य में आधार कार्ड के लिए सभी नए आवेदकों को अपनी एनआरसी आवेदन रसीद संख्या (एआरएन) जमा करनी होगी। शर्मा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आधार कार्ड के लिए आवेदनों की संख्या जनसंख्या से अधिक है। यह इंगित करता है कि संदिग्ध नागरिक हैं और हमने निर्णय लिया है कि नए आवेदकों को अपनी एनआरसी आवेदन रसीद संख्या (एआरएन) जमा करानी होगी।’’ 

उन्होंने कहा कि इससे ‘‘अवैध विदेशियों का आगमन रुकेगा’’ और राज्य सरकार आधार कार्ड जारी करने में ‘‘बहुत सख्ती’’ बरतेगी। शर्मा ने कहा, ‘‘असम में आधार बनवाना आसान नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा कि एनआरसी आवेदन रसीद संख्या जमा करना उन 9.55 लाख लोगों के लिए लागू नहीं होगा, जिनके बायोमेट्रिक्स राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) प्रक्रिया के दौरान लॉक कर दिए गए थे और उन्हें उनके कार्ड मिल जाएंगे। शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ‘‘अवैध विदेशियों की पहचान की प्रक्रिया तेज करेगी, क्योंकि पिछले दो महीनों में कई बांग्लादेशियों को पकड़ा गया और उन्हें पड़ोसी देश के अधिकारियों को सौंपा गया है।’’ 

असम में थानों को और अधिक जन-केंद्रित बनाने की जरूरत: हिमंत विश्व शर्मा 

हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि राज्य में उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में कमी आने के साथ ही थानों को अधिक जन-केंद्रित स्थानों में तब्दील करना होगा। शर्मा ने सार्वजनिक सेवा की जिम्मेदारियों में पुलिसकर्मियों की सहायता के लिए नागरिक समितियों की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन दशक से असम उग्रवाद से जूझ रहा है। पुलिस का ध्यान उग्रवाद-रोधी उपायों पर केंद्रित था। मैं यह नहीं कहूंगा कि उग्रवाद पूरी तरह से खत्म हो गया है, लेकिन घटनाएं कम हो रही हैं। थानों को अधिक जन-केंद्रित स्थानों में बदलना होगा।’’ 

मुख्यमंत्री राज्य के सभी 307 थानों की नागरिक समितियों के पहले राज्य-स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी की लंबी और कठिन प्रकृति उन्हें उनके नियमित व्यवहार में कठोर बनाती है। उन्होंने कहा कि नागरिक समितियों की भूमिका कर्मियों को नागरिक कार्यों में संलग्न होने में मदद करने से तनाव भी कुछ कम हो सकता है। 

शर्मा ने कहा कि समाज के भीतर पैदा सकारात्मकता ‘धीमे, लेकिन स्थायी’ सामाजिक परिवर्तन का कारक हो सकती है और समितियां पुलिस बल को सौंपी गई सार्वजनिक सेवा जिम्मेदारियों के निर्वहन में मदद कर सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस व्यवस्था के दो पहलू हैं- आपराधिक न्याय का प्रशासन और सार्वजनिक सेवा। पहले पहलू को भारतीय न्याय संहिता द्वारा निपटा जा सकता है। आपराधिक न्याय, आपराधिक जांच, आरोप-पत्र दाखिल करना, पहले पहलू में शामिल हैं, समितियों का इस संबंध में कोई लेना-देना नहीं है।’’ शर्मा ने कहा, ‘‘उन्हें (समितियों को) थानों और जनता के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने होंगे।’’ (भाषा)

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