Sunday, April 28, 2024
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Navratri 2023 sixth day: नवरात्रि का छठवां दिन मां कात्यायनी को है समर्पित, जानें मां के दिव्य स्वरूप की महिमा कथा ? पूजा विधि और मंत्र

शारदीय नवरात्रि पर जानें देवी मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी के बारे में। उनकी पूजा करने से अनेक लाभ मिलते हैं और जीवन में कभी निराशा हाथ नहीं लगती है।

Aditya Mehrotra Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: October 20, 2023 12:51 IST
Maa Katyayani- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Maa Katyayani

Shardiya Navratri 2023 Maa Katyayani : मां दुर्गा का महापर्व शारदीय नवरात्रि इन दिनों चल रहा है। नवरात्रि के कुछ दिन बीत गए हैं और कुछ दिन अभी बाकी हैं। मां की उपासना में देवी भक्त इतने मग्न हो जाते हैं कि पता ही नहीं चलता, कब नवरात्रि शुरू हुई और कब नवरात्रि के पांचवें दिन का समापन हो गया। वैसे आपको बता दें की 20 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को नवरात्रि का छठवां दिन है।

नवरात्रि के छठवें दिन देवी मां के कात्यायनी स्वरूप की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहें हैं कि, मां कात्यायनी की पूजा सहीं ढंग से कैसे करें, क्या है मां के दिव्य स्वरूप की महिमा कथा, उनकी पूजा विधि से लेकर सही मंत्र तक।

मां कात्यायनी के भव्य स्वरूप का महिमामंडन

दरअसल ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य हैं। इनका रंग सोने के समान चमकीला है, तो इनकी चार भुजाओं में से ऊपरी बायें हाथ में तलवार और नीचले बायें हाथ में कमल का फूल है। जबकि इनका ऊपर वाला दायां हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे का दायां हाथ वरदमुद्रा में है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार मां कात्यायनी की उपासना से व्यक्ति को किसी प्रकार का भय या डर नहीं रहता है और उसे किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता है।

मां कात्यायनी ब्रज भूमि की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजी जाती हैं

भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिन्दी यमुना के तट पर मां कात्यायनी की पूजा की थी। इसलिए देवी मां को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी पूजा जाता है। देवी मां की उपासना उन लोगों के लिये बेहद ही लाभकारी है, जो बहुत समय से अपने लिये या अपने बच्चों के लिये शादी का रिश्ता ढूंढ रहे हैं। लेकिन उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पा रहा है। अगर आप भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं, तो आज मां कात्यायनी की उपासना करके आपको लाभ जरूर उठाना चाहिए।

मां कात्यायनी के मंत्र इस प्रकार

पहला मंत्र - सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

दूसरा मंत्र -  ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,
नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

तीसरा मंत्र -  पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।

मां कात्यायनी की पूजा विधि

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए जो विधि-विधान बताए गएं हैं उन्हें ध्यान रखते हुए हमें मां देवी के छठे रूप कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान करें और उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद आप पूजा करने का संकल्प लें। अपने पूजा घर में मां की चौकी बनाएं और इसके बाद मां कात्यायनी की प्रतिमा को वहां विराजित करें। इसके बाद आप पूजा घर में गंगा जल लेकर चारों और छिड़काव कर दें। ऐसा करने के बाद पीले पुष्प लेकर मां कात्यायनी के मंत्रों के साथ उनका आह्वान करें और मां के स्वरूप का मन में कुछ देर ध्यान करें। देवी मां को पीले रंग प्रिय हैं, तो पूजा में विशेष रूप से आप उनको पीले पुष्प चढ़ाएं, मां को धूप,अक्षत, पान, सुपारी,रोली और कुमकुम आदि वस्तुएं श्रद्धा से भेंट करें। उसके बाद मां कात्यायनी की आरती करें और उनकी प्रतिमा के सामने उन्हें दंडवत प्रणाम करें। इस विधि से पूजा करें और मां की असीम कृपा पाएं।

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