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पितृ पक्ष की नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि को माना जाता है सबसे महत्वपूर्ण, जान लें क्या है इसकी वजह

पितृ पक्ष के दौरान नवमी, चतुर्दशी और अमवास्या तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दिनों में किन लोगों का श्राद्ध होता है और क्यों ये तिथिया इतनी खास हैं, आइए जान लेते हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Sep 19, 2024 7:58 IST, Updated : Sep 19, 2024 7:59 IST
Pitru Paksh 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Pitru Paksh 2024

पितृ पक्ष का हर दिन ही यूं तो बेहद महत्वपूर्ण होता है, और हर दिन ही हमें अपने पितरों को पितृ पक्ष के दौरान याद करना चाहिए। लेकिन सभी तिथियों में पितृ पक्ष की तीन तिथियों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ये तिथियां हैं पितृ पक्ष की नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या। इन तीन दिनों का पितृ पक्ष में इतना अधिक महत्व क्यों है और किन लोगों का श्राद्ध इन दिनों में किया जाता है, इसके बारे में आज हम आपको विस्तार से जानकारी देने वाले हैं। 

नवमी तिथि का श्राद्ध

नवमी श्राद्ध को हिंदू मान्यताओं के अनुसार विशेष श्राद्ध माना जाता है, यह दिन उन दिवंगत महिलाओं के लिए समर्पित होता है जिनका निधन अकाल मृत्यु या असामयिक परिस्थितियों में हुआ होता है, इसके साथ ही उन माताओं और बहनों का श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है सुहागिन रूप में देह त्याग करती हैं। वहीं अगर आपको किसी महिला की मृत्यु तिथि पता नहीं है, तब भी आप इस दिन श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। यह दिन उन माताओं, बहनों या अन्य महिलाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए विशेष माना जाता है, इसीलिए मातृ नवमी भी इस दिन को कहते हैं।

  • नवमी श्राद्ध से महिला पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति होती है। 
  • इस दिन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने से कुल वंश में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  • इस दिन किए गए कर्मकांडों से माता, बहनों का हमें आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख-शांति हमेशा बनी रहती है।

चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध

चतुर्दशी तिथि के श्राद्ध को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु हिंसक या अकाल परिस्थितियों में हुई हो, जैसे युद्ध, दुर्घटना, हत्या या किसी अप्राकृतिक स्थिति में। 

  • चतुर्दशी के श्राद्ध को लेकर मान्यता है कि, इस दिन श्राद्ध करने से घर के अन्य सदस्यों की सुरक्षा होती है और उन्हें अकाल मृत्यु का सामना नहीं करना पड़ता।
  • यह श्राद्ध करने से परिवार के लोगों को मानसिक शांति प्राप्त होती है और घर में शांति एवं समृद्धि आती है। इसलिए जिन लोगों के घरों में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो उनको चतुर्दशी का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। 
  • चतुर्दशी श्राद्ध करने से असमय मृत्यु को प्राप्त हुए सभी पितृ शांत हो जाते हैं।

अमावस्या का श्राद्ध 

अमावस्या श्राद्ध को श्राद्ध की सभी तिथियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्राद्ध करने से भूले बिसरे सभी पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। अमावस्या पितृ पक्ष की अंतिम तिथि है और इसे सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। खासकर उन लोगों का श्राद्ध इस दिन करना चाहिए, जिनकी मृत्यु तिथि का आपको पता न हो।

  • इस दिन सभी पितरों, चाहे उनकी मृत्यु किसी भी दिन या तिथि पर हुई हो, का श्राद्ध करने से आपके जीवन में समृद्धि आती है।
  • अमावस्या तिथि का श्राद्ध करने से आपके सभी पितृ शांत हो जाते हैं, और उनको मुक्ति का द्वार मिल जाता है। ऐसा करने से आपके जीवन में खुशहाली लौट आती है। 
  • जिन लोगों के परिवारों में पितृ दोष होता है, उनको इस दिन अवश्य श्राद्ध कर्म करना चाहिए और अपने सभी पितरों को याद करते हुए तर्पण देने चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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