Saturday, December 20, 2025
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Tulsi Vivah 2025 Shubh Muhurat LIVE: शाम इतने बजे से शुरू होगा तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त, जान लें पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ

Tulsi Vivah 2025 Shubh Muhurat Live: तुलसी विवाह उत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है। यानी कार्तिक महीने के आखिरी 5 दिन तुलसी विवाह संपन्न कराने के लिए सबसे शुभ होते हैं। ऐसे में आप 1 से 5 नवंबर तक में कभी भी तुलसी जी और शालिग्राम भगवान का विवाह करा सकते हैं।

Written By: Laveena Sharma @laveena1693
Published : Nov 01, 2025 10:56 am IST, Updated : Nov 05, 2025 11:37 am IST
tulsi vivah- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV तुलसी विवाह पूजा विधि और मुहूर्त

Tulsi Vivah 2025 Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Mantra, Aarti, Katha LIVE: तुलसी विवाह बेहद ही शुभ अनुष्ठान है जिसका आयोजन आप देवउठनी एकादशी (Dev Uthani) से लेकर कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) तक की अवधि में कभी भी करा सकते हैं। वैसे पंचांग अनुसार तुलसी विवाह के लिए कार्तिक शुक्ल द्वादशी का दिन सबसे शुभ माना जाता है जो इस बार 2 नवंबर 2025, रविवार को है। वैसे आप अपनी सुविधानुसार 1 से लेकर 5 नवंबर तक में कभी भी तुलसी जी और शालिग्राम भगवान (Shaligram Bhagwan) का विवाह करा सकते हैं। कई लोग तुलसी विवाह का आयोजन हर साल करते हैं तो कई जीवन में एक बार। वैसे ये अनुष्ठान हर किसी के लिए शुभ होता है लेकिन जिनकी कन्याएं नहीं हैं उन्हें तो अपने जीवन में एक बार जरूर ही तुलसी विवाह कराना चाहिए। चलिए अब बिना देर किए आपको बताते हैं तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा।

तुलसी विवाह कब है 2025 में (Tulsi Vivah Kab Hai 2025)

पंचांग अनुसार इस साल तुलसी विवाह का आयोजन 2 नवंबर 2025 को किया जाएगा। इस दिन कार्तिक शु्क्ल पक्ष की द्वादशी रहेगी जो इस आयोजन के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 2025 (Tulsi Vivah Shubh Muhurat 2025)

  • गोधूलि मुहूर्त - 05:35 PM से 06:01 PM
  • त्रिपुष्कर योग - 07:31 AM से 05:03 PM
  • सर्वार्थ सिद्धि योग - 05:03 PM से 06:34 AM, नवम्बर 03

Tulsi Vivah Puja Vidhi (तुलसी विवाह की पूजा विधि)

  • तुलसी विवाह कराने के लिए तुलसी के पौधे को साफ-सुथरे स्थान पर रखें और मंडप तैयार करें।
  • मंडप को फूलों, आम के पत्तों और केले के तनों से अच्छे से सजा लें।
  • पूजा स्थल पर गंगाजल, पंचामृत, तुलसी के पत्ते, कपूर, नारियल, मिठाई, पुष्प, धूप, दीप, फल, वस्त्र, रोली, चावल साथ लेकर बैठें।
  • सबसे पहले भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
  • इसके बाद तुलसी के पौधे को भी गंगाजल से स्नान कराएं।
  • शालिग्राम भगवान को वस्त्र अर्पित करें और तुलसी माता को चुनरी चढ़ाएं साथ में चूड़ियां पहनाएं।
  • इसके बाद भगवान शालिग्राम और तुलसी के पौधे को पुष्पमाला अर्पित करें।
  • फिर तुलसी और शालिग्राम के बीच विवाह संस्कार कराएं और सबसे पहले दोनों को हल्दी लगाएं। फिर कुमकुम लगाएं।
  • फिर शालिग्राम भगवान की प्रतिमा को हाथ में लेकर तुलसी के चारों तरफ 7 बार परिक्रमा करें। ये रस्म तुलसी जी और शालिग्राम भगवान के सार फेरों का प्रतीक मानी जाती है। 
  • विवाह के बाद आरती करें और भगवान को भोग लगाएं।
  • फिर प्रसाद सभी में बांट दें।

तुलसी विवाह की पौराणिक कथा

FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: Tulsi Vivah किस देवता से होता है?

तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से होता है।

Q2: तुलसी विवाह के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे का विवाह शालिग्राम भगवान से कराना चाहिए।

Q3: तुलसी विवाह के बाद क्या परंपरा होती है?

विवाह के बाद तुलसी माता को भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दिया जाता है।

Q4: तुलसी विवाह पर क्या प्रसाद चढ़ाएं?

तुलसी मां और भगवान शालिग्राम को पंचामृत का भोग जरुर लगाएं। इसके अलावा खीर और पूरी का भोग भी लगा सकते हैं।

Q5: तुलसी विवाह में जल कैसे चढ़ाएं?

तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे पर जल ना चढ़ाएं, धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

Q6: तुलसी विवाह के बाद तुलसी के पौधे का क्या करें?

तुलसी विवाह के बाद तुलसी के पौधे को दान कर दिया जाता है। लेकिन कई लोग तुलसी जी को घर में ही रख लेते हैं।

(नोट- तुलसी विवाह की कथा, आरती, मंत्र, भजन, गीत, चालीसा समेत अन्य जानकारी के लिए बने रहिए इस लाइव ब्लॉग पर)

Tulsi Vivah 2025

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  • 8:37 PM (IST) Posted by Naveen Khantwal

    तुलसी तोड़ते समय क्या बोलें?

    तुलसी तोड़ते समय नीचे दिए गए मंत्र का जप करना चाहिए-

    • मंत्र- मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी, नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।
  • 7:07 PM (IST) Posted by Naveen Khantwal

    तुलसी जी को प्रसन्न करने का मंत्र क्या है?

    देवी तुलसी को प्रसन्न करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जप करना चाहिए। 

    • ऊं तुलसी दैव्ये च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्
  • 6:22 PM (IST) Posted by Naveen Khantwal

    तुलसी पर श्रृंगार सामग्री चढ़ाने से क्या होता है?

    अगर कुंवारी कन्याएं तुलसी पर श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं तो उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है। वहीं विवाहित लोगों को तुलसी पर श्रृंगार सामग्री चढ़ाने से वैवाहिक जीवन में सुख-संपन्नता प्राप्ति होती है। 

  • 6:03 PM (IST) Posted by Naveen Khantwal

    तुलसी विवाह करने से क्या लाभ मिलता है?

    तुलसी विवाह करने से कन्यादान जितना पुण्य फल प्राप्त होता है। तुलसी विवाह करवाने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है और करियर के क्षेत्र में भी आप सुखद फल पाते हैं। 

  • 5:10 PM (IST) Posted by Naveen Khantwal

    तुलसी विवाह पर जरूर करें इन मंत्रों का जप

    ॐ तुलस्यै नमः। 
    ॐ शालिग्रामाय नमः। 

  • 4:57 PM (IST) Posted by Naveen Khantwal

    तुलसी विवाह के दिन क्या-क्या अर्पित करना चाहिए?

    तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता को नारियल, कपूर, धूप, लाल रंग के वसत्र, चंदन आदि अर्पित करना चाहिए। इन चीजों को अर्पित करने से आपको मां तुलसी के साथ ही देवी लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है। 

  • 3:42 PM (IST) Posted by Naveen Khantwal

    तुलसी विवाह के दिन शुक्र-चंद्रमा गोचर

    2 नवंबर को तुलसी विवाह है। इस दिन शुक्र और चंद्रमा राशि भी बदलेंगे। इन ग्रहों के राशि परिवर्तन से तुलसी विवाह का दिन कन्या, तुला और मीन राशि के लोगों के लिए खास रह सकता है। इन राशियों को वैवाहिक, प्रेम और करियर क्षेत्र में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

  • 2:25 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    नमो नमो तुलसी महारानी लिरिक्स

    • नमो नमो तुलसा महारानी,
    • नमो नमो हर जी पटरानी।
    • कौन से महीने बीज को बोया,
    • तो कोनसे महीने में हुई हरियाली ।
    • नमो नमो….
    • सावन में मैया बीज को बोया ,
    • तो भादो मास हुई हरियाली ।
    • नमो नमो….
    • कौन से महीने में हुई तेरी पूजा तो,
    • कौन से महीने में हुई पटरानी ।
    • नमो नमो….
    • कार्तिक में हुई तेरी पूजा,
    • तो मंगसर मास हुई पटरानी ।
    • नमो नमो….
    • बाई तुलसी थे जपतप कीन्हा,
    • सालगराम हुई पटरानी ।
    • नमो नमो….
    • बारह बरस जीजी कार्तिक नहाई,
    • सालगराम हुई पटरानी ।
    • नमो नमो….
    • छप्पन भोग धरे हरि आगे,
    • तो बिन तुलसा हरि एक न मानी ।
    • नमो नमो….
    • सांवरी सखी मईया तेरो जस गावे ,
    • तो चरणा में वासो छीजो महारानी।
    • नमो नमो तुलसा महारानी
    • नमो नमो हर जी पटरानी।
  • 1:30 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    तुलसी विवाह गीत लिरिक्स (Tulsi Vivah Geet Lyrics)

    • मेरी प्यारी तुलसा जी बनेंगी दुल्हनियां...
    • सजके आयेंगे दूल्हे राजा।
    • देखो देवता बजायेंगे बाजा...
    • सोलह सिंगार मेरी तुलसा करेंगी।
    • हल्दी चढ़ेगी मांग भरेगी...
    • देखो होठों पे झूलेगी नथनियां।
    • देखो देवता...
    • देवियां भी आई और देवता भी आए।
    • साधु भी आए और संत भी आए...
    • और आई है संग में बरातिया।
    • देखो देवता...
    • गोरे-गोरे हाथों में मेहंदी लगेगी...
    • चूड़ी खनकेगी ,वरमाला सजेगी।
    • प्रभु के गले में डालेंगी वरमाला।
    • देखो देवता...
    • लाल-लाल चुनरी में तुलसी सजेगी...
    • आगे-आगे प्रभु जी पीछे तुलसा चलेगी।
    • देखो पैरो में बजेगी पायलियां।
    • देखो देवता...
    • सज धज के मेरी तुलसा खड़ी है...
    • डोली मंगवा दो बड़ी शुभ घड़ी है।
    • देखो आंखों से बहेगी जलधारा।
    • देखो देवता...
  • 12:49 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    तुलसी विवाह रंगोली

    तुलसी विवाह रंगोली

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  • 12:09 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    tulsi mata ka vivah kisse hua tha: तुलसी माता का विवाह किससे हुआ था?

    तुलसी माता का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम भगवान से हुआ था। कहते भगवान विष्णु ने खुद तुलसी को ये वरदान दिया था कि जो कोई कार्तिक महीने के आखिरी दिनों में तुलसी और शालिग्राम भगवान का विवाह कराएगा उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।

  • 11:16 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    तुलसी विवाह के दिन तुलसी को कैसे सजाएं?

    • तुलसी विवाह से पहले तुलसी के चौरे को अच्छी तरह साफ करें। फिर उसे गंगाजल से शुद्ध कर लें।
    • तुलसी चौरे को गोबर और मिट्टी से लीपकर भी शुद्ध कर सकते हैं। (तुलसी चौरा एक चौकोर या वृत्ताकार उठा हुआ चबूतरा होता है, जहां तुलसी का पौधा लगाया जाता है। ये आमतौर पर घर के आंगन या बालकनी में बनाया जाता है।)
    • इस पर सुदंर रंगोली बना लें।
    • अगर चौरा नहीं बनवा रखा है तो आप तुलसी के गमले को किसी टेबल पर रख सकते हैं।
    • अब तुलसी के गमले को चावल के आटे, रोली, गेरू और हल्दी से सजा लें। साथ ही गमले पर शुभ चिन्ह जैसे स्वास्तिक बना लें।
    • फिर घर के आंगन में भी एक सुदंर रंगोली बनाएं।
    • तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाएं। उन्हें लाल या पीले रंग की साड़ी या चुनरी ओढ़ाएं।
    • कांच की चूड़ियां पहनाएं। बिंदी, मांग टीका, मेहंदी और कुमकुम भी लगाएं।
    • चाहें तो तुलसी माता को छोटा सा मुकुट या घूंघट भी लगा सकते हैं।
    • इसके बाद भगवान शालिग्राम को पीले वस्त्र, फूलमाला, तिलक और गहनों से सजाएं।
    • विवाह कराने के लिए एक छोटा सा मंडप भी जरूर तैयार कर लें।
    • मंडप को केले के पत्तों, आम के पत्तों और फूलों से अच्छे से सजा लें।
    • मंडप के बीच में तुलसी माता और भगवान शालिग्राम को विराजित करें।
    • तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त में विवाह विधि शुरू करें।
    • तुलसी माता और भगवान विष्णु का पूजन करें।
    • मंत्रों के साथ माला की अदला-बदली कराएं। ये प्रक्रिया जयमाला की रस्म का प्रतीक होती है।
    • इसके बाद शालिग्राम भगवान को हाथ में उठाकर तुलसी के पौधे की 7 बार परिक्रमा करनी है। ये रस्म सात फेरे का प्रतीक मानी जाती है।
    • अंत में आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित कर दें।
  • 10:32 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Tulsi Vivah Katha (तुलसी माता की कहानी)

    तुलसी माता अपने पिछले जन्म में वृंदा थीं। जो अपने पतिव्रता धर्म के लिए जानी जाती थीं। उनका पति दैत्य राजा जालंधर था जिसने सब जगह आतंक मचा रखा था। लेकिन वृंदा के पतिव्रता धर्म की शक्ति के कारण उसे हरा पाना किसी के बस की बात नहीं थी। इसीलिए जालंधर का वध करने के लिए वृंदा के पतिव्रत धर्म को भंग करना जरूरी था। इसी कारण भगवान विष्णु एक ऋषि का वेश धारण कर वन में जा पहुंचे जहां वृंदा अकेली भ्रमण कर रही थीं। भगवान के साथ दो मायावी राक्षस भी थे, जिन्हें देखकर वृंदा डर गईं। ऋषि ने वृंदा के सामने पल में ही दोनों को भस्म कर दिया। उनकी शक्ति के बारे में जानकर वृंदा ने कैलाश पर्वत पर महादेव के साथ युद्ध कर रहे अपने पति के बारे में पूछा।

    ऋषि ने तुरंत ही अपने माया जाल से दो वानर प्रकट किए जिसमें से एक वानर के हाथ में जालंधर का सिर था तो दूसरे के हाथ में धड़। अपने पति की मृत्यु देखकर वृंदा मूर्छित हो गईं। होश में आने पर उन्होंने ऋषि से विनती की कि वह कुछ भी करके उसके पति को जीवित करें। भगवान ने अपनी माया से जालंधर का सिर धड़ से जोड़ दिया। लेकिन स्वयं भी भगवान उसी शरीर में प्रवेश कर गए। वृंदा को इस छल का पता न चल सका। भगवान विष्णु को जालंधर समझकर वृंदा उनके साथ पतिव्रता का व्यवहार करने लगीं, जिससे उसका सतीत्व भंग हो गया और युद्ध में उनका पति मारा गया।

    जब वृंदा को इस छल के बारे में पता चला तो उसने क्रोध में भगवान विष्णु को ह्रदयहीन शिला होने का श्राप दे दिया और भगवान विष्णु शालिग्राम पत्थर बन गये। भगवान के पत्थर का बन जाने से ब्रम्हांड में असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई। यह देखकर सभी देवी देवता भयभीत हो गए और वृंदा से प्रार्थना करने लगे कि वह भगवान विष्णु को श्राप मुक्त कर दें। वृंदा ने भगवान विष्णु को श्राप मुक्त कर स्वयं आत्मदाह कर लिया। कहते हैं जहां वृंदा भस्म हुईं वहीं तुलसी का पौधा निकल आया। 

    तब भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा: तुम अपने सतीत्व के कारण मुझे लक्ष्मी से भी अधिक प्रिय हो गई हो। अब तुम तुलसी के रूप में सदा मेरे साथ रहोगी। कहते हैं तब से ही हर साल कार्तिक महीने की देव-उठनी एकादशी से पूर्णिमा तक का दिन तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है। भगवान ने वृंदा से कहा कि जो मनुष्य इस दौरान मेरे शालिग्राम रूप के साथ तुलसी का विवाह करेगा उसे इस लोक और परलोक में यश प्राप्त होगा।

  • 10:00 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    भगवान शालिग्राम कौन हैं?

    भगवान शालिग्राम श्री हरि विष्णु भगवान का स्वरूप माने जाते हैं। जो एक शिला के रूप में पूजे जाते हैं और ये शिला नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाया जाता है। यह कोई साधारण शिला या पत्थर नहीं होता, बल्कि इसमें भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। इन पर शंख, चक्र, गदा, पद्म जैसे चिन्ह बने होते हैं। ये स्वयंभू होने की वजह से इनकी प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं होती। यानी भक्त इन्हें घर में लाकर सीधे पूज सकते हैं। 

  • 8:56 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Tulsi Vivah: तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाएं?

    • इस दिन तुलसी माता को दुल्हन का रूप दिया जाता है।
    • तुलसी के पौधे पर लाल या पीले रंग की साड़ी या चुनरी ओढ़ाएं।
    • कांच की चूड़ियां, बिंदी, मांग टीका और कुमकुम से सजाएं।
    • तुलसी के पत्तों में गेंदे, गुलाब या चमेली के फूलों की माला डालें।
    • यदि चाहें तो तुलसी माता के पास छोटा सा मुकुट या घूंघट भी लगा सकते हैं।
  • 8:26 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Tulsi Rangoli Design: तुलसी रंगोली डिजाइन

    तुलसी विवाह के दिन तुलसी के गमले के पास रंगोली जरूर बनानी चाहिए। आप इस दिन कुछ इस तरह की रंगोली बना सकते हैं।

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  • 7:47 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    तुलसी विवाह के फायदे

    तुलसी विवाह कार्तिक मास की एकादशी के ठीक एक दिन बाद होता है। कहा जाता है कि तुलसी विवाह में कन्यादान सबसे बड़ा दान है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी को एक दुल्हन की तरह सजाया जाता है। वहीं भगवान विष्णु की प्रतिमा को दूल्हा बनाया जाता है। उसके बाद दोनों को एक साथ रेशम की एक डोर से बांधा जाता है। कहते हैं तुलसी विवाह कराने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पापों का नाश हो जाता है।

  • 6:52 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    शालिग्राम भगवान की आरती (Shaligram Ji Ki Aarti)

    • शालीग्राम सुनो विनती मेरी।
    • यह वरदान दयाकर पाऊं।।  
    • प्रातः   समय  उठी   मंजन  करके । 
    • प्रेम सहित  स्नान  कराऊं।।  
    • चन्दन धूप दीप तुलसीदल ।
    • वरण - वरण के   पुष्प   चढ़ाऊं।। 
    • तुम्हरे   सामने  नृत्य   करूं   नित ।
    • प्रभु  घण्टा   शंख   मृदंग  बजाऊं ।। 
    • चरण धोय   चरणामृत लेकर । 
    • कुटुम्ब  सहित  बैकुण्ठ   सिधारूं।। 
    • जो  कुछ   रूखा - सूखा   घर  में । 
    • भोग लगाकर भोजन पाऊं।। 
    • मन   बचन   कर्म  से  पाप  किये । 
    • जो   परिक्रमा  के  साथ   बहाऊं।। 
    • ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
    • जम   के   द्वारे   जाने   न   पाऊं ।। 
    • माधोदास  की  विनती   यही   है।
    • हरि दासन  को  दास  कहाऊं ।। 
  • 6:15 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    2 नवंबर 2025 शुभ मुहूर्त

    • ब्रह्म मुहूर्त 04:50 AM से 05:42 AM
    • प्रातः सन्ध्या 05:16 AM से 06:34 AM
    • अभिजित मुहूर्त 11:42 AM से 12:26 PM
    • विजय मुहूर्त 01:55 PM से 02:39 PM
    • गोधूलि मुहूर्त 05:35 PM से 06:01 PM
    • सायाह्न सन्ध्या 05:35 PM से 06:53 PM
    • अमृत काल 09:29 AM से 11:00 AM
    • निशिता मुहूर्त 11:39 PM से 12:31 AM, नवम्बर 03
  • 10:54 PM (IST) Posted by Arti Azad

    इन बातों का रखें विशेष ख्याल

    तुलसी तोड़ना तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पत्ते बिल्कुल नहीं तोड़ने चाहिए। आप भगवान को तुलसी दल का भोग लगाना चाहते हैं तो एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लें। कहा जाता है कि तुलसी को अशुद्ध अवस्था में नहीं छूना चाहिए। तुलसी विवाह के दिन स्नान किए बगैर या गंदे हाथों से तुलसी के पौधे को स्पर्श न करें। 

  • 10:27 PM (IST) Posted by Arti Azad

    देवउठनी एकादशी पर खत्म चातुर्मास

    हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। तुलसी विवाह के साथ ही इसी दिन चातुर्मास का समापन हो जाता है। साल 2025 में देवउठनी एकादशी तिथि की शुरुआत 1 नवंबर को होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत 1 नवंबर को सुबह 9:11 बजे होगी और 2 नवंबर को सुबह 7:31 बजे इसका समापन होगा। 2 नवंबर को एकादशी का व्रत खोला जाएगा। 

  • 9:08 PM (IST) Posted by Arti Azad

    लक्ष्मी-नारायण को प्रसन्न करने का उपाय

    देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए ये उपाय जरूर करें। सबसे पहले तुलसी माता के सामने देशी घी का दीपक जलाएं और उनकी 5 या 7 बार परिक्रमा करें। 

    ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं और घर में सुख, शांति  बनी रहती है। 

    अगर आपके घर में पैसे की तंगी बनी रहती है, तो इस दिन तुलसी पूजा के दौरान तुलसी की जड़ में गन्ने का रस अर्पित करें। माना जाता है कि इस उपाय से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन, वैभव और समृद्धि का प्रवाह शुरू होता है। 

    अगर आप चाहते हैं कि आपके करियर या व्यापार में लगातार प्रगति हो, तो देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें केसर मिले दूध से स्नान कराएं। ऐसा करने से कार्यों में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और भाग्य चमकने लगता है। 

  • 9:03 PM (IST) Posted by Arti Azad

    हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का है विशेष महत्व

    यह पर्व हर वर्ष देवउठनी एकादशी या द्वादशी तिथि को मनाया जाता है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि में पुनः शुभता और सौभाग्य का संचार होता है। तुलसी विवाह को माता तुलसी (देवी लक्ष्मी का रूप) और भगवान विष्णु (शालिग्राम स्वरूप) के पवित्र मिलन का प्रतीक माना गया है। इस दिन घर पर तुलसी विवाह करना अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना गया है, क्योंकि यह अनुष्ठान कन्यादान के समान फल प्रदान करता है। 

  • 8:04 PM (IST) Posted by Arti Azad

    तुलसी विवाह का आध्यात्मिक महत्व

    घर पर तुलसी विवाह का अनुष्ठान केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी फलदायी है। जो भक्त तुलसी विवाह श्रद्धा से करते हैं, उनके परिवार में सौभाग्य-समृद्धि, शांति और आपसी प्रेम बना रहता है। जिनके जीवन में विवाह में देरी या वैवाहिक कलह हो, उनके लिए यह विशेष रूप से शुभ माना गया है। तुलसी विवाह आत्मा और भक्ति के मिलन का प्रतीक है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और दांपत्य जीवन में संतुलन प्रदान करता है।

  • 7:31 PM (IST) Posted by Arti Azad

    तुलसी विवाह की तैयारी

    तुलसी विवाह की तैयारी श्रद्धा और पवित्रता के साथ की जाती है। यह तैयारी भक्तों के मन में भक्ति, प्रेम और शुभता का भाव जगाती है। विवाह के दिन तुलसी के पौधे को वधू के रूप में सजाया जाता है। तुलसी माता को चुनरी, फूल, गहनों, बिंदी और नारियल से अलंकृत किया जाता है, जिससे उनका रूप देवी लक्ष्मी जैसा प्रतीत होता है। विवाह के लिए जरूरी सामग्री में भगवान शालिग्राम या विष्णु प्रतिमा, दीपक, फूल, चावल, तुलसी दल, गंध, धूप, मिठाई और पंचामृत शामिल होते हैं। 

  • 7:18 PM (IST) Posted by Arti Azad

    देव उठाने के लिए गाया जाने वाला गीत

    इस दिन पूजा करते समय भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाया जाता है और साथ में देव उठाने का गीत गाया जाता है। देवों को उठाने के बाद विष्णु भगवान की आरती करें। 

    उठो देव बैठो देव
    पाटकली चटकाओ देव
    सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
    गन्ने का भोग लगाओ देव
    सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥ 
    उठो देव बैठो देव
    उठो देव, बैठो देव
    देव उठेंगे कातक मोस
    नयी टोकरी, नयी कपास
    ज़ारे मूसे गोवल जा  
    गोवल जाके, दाब कटा  
    दाब कटाके, बोण बटा
    बोण बटाके, खाट बुना
    खाट बुनाके, दोवन दे
    दोवन देके दरी बिछा
    दरी बिछाके लोट लगा
    लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
    गोरी गाय, कपला गाय
    जाको दूध, महापन होए,
    सहापन होएI
    जितनी अम्बर, तारिइयो
    इतनी या घर गावनियो
    जितने जंगल सीख सलाई
    इतनी या घर बहुअन आई
    जितने जंगल हीसा रोड़े
    जितने जंगल झाऊ झुंड
    इतने याघर जन्मो पूत
    ओले क़ोले, धरे चपेटा
    ओले क़ोले, धरे अनार
    ओले क़ोले, धरे मंजीरा
    उठो देव बैठो देव

  • 7:11 PM (IST) Posted by Arti Azad

    तुलसी विवाह के कुछ जरूरी नियम

    तुलसी और शालिग्राम विवाह के दौरान हो रही पूजा में शालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ाना चाहिए। इस पूजा में तिल, फूल और तुलसी दल का प्रयोग करें। विवाह सायंकाल में ही करें, दीपक जलाकर भगवान विष्णु से प्रार्थना करें। कुंवारी कन्याएं तुलसी को चुनरी चढ़ाएं। माना जाता है कि इससे अच्छा जीवनसाथी मिलने का योग बनता है।

  • 6:56 PM (IST) Posted by Arti Azad

    घर पर तुलसी विवाह करने की आसान विधि

    शाम के समय परिवार के सभी सदस्य नए कपड़े पहनकर तैयार हो जाएं। 
    तुलसी का पौधा आंगन या पूजा घर में रखें और गन्ने से मंडप सजाएं
    तुलसी को लाल चुनरी और सुहाग सामग्री चढ़ाएं
    गमले में भगवान शालिग्राम को रखें
    दूध में भीगी हल्दी से दोनों का शृंगार करें
    मंडप पर हल्दी लगाकर पूजा करें
    मंगलाष्टक का पाठ करें
    मूली, बेर, आंवला, चने की भाजी आदि पूजा में चढ़ाएं
    आरती करें और प्रसाद अर्पित करें
    तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें और फिर तुलसी नामाष्टक का पाठ करें

  • 6:03 PM (IST) Posted by Arti Azad

    देवउठनी एकादशी व्रत की कथा

    एक राज्य में एक धर्मनिष्ठ और न्यायप्रिय राजा राज करते थे। उनके शासन में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे। उस दिन कोई अन्न ग्रहण नहीं करता था। एक दिन दूसरे राज्य से एक व्यक्ति नौकरी की तलाश में उस राजा के दरबार में पहुंचा। राजा ने कहा, 'तुम्हें नौकरी मिल सकती है, लेकिन हमारे राज्य का एक नियम है कि एकादशी के दिन कोई अन्न नहीं खाता, केवल फलाहार करता है। उस व्यक्ति ने यह नियम मानते हुए, नौकरी की शुरुआत की।

    इसके बाद जब एकादशी आई, तब सभी लोग फलाहार ग्रहण कर रहे थे। उस व्यक्ति को भी दूध और फल दिए गए, लेकिन फलाहार करके उसकी भूख नहीं मिटी। तब वह राजा के पास पहुंचा और बोला महाराज मैं बिना अन्न ग्रहण किए नहीं रह सकता, कृपया मुझे अन्न ग्रहण करने की अनुमति दे दीजिए।

    राजा ने उस व्यक्ति को बहुत समझाया लेकिन वह व्यक्ति नहीं माना। अंततः राजा ने कहा, "ठीक है, जो तुम्हें उचित लगे, वही करो।"

    वह व्यक्ति नदी किनारे गया, स्नान किया और वहीं अन्न पकाने लगा। जब भोजन तैयार हो गया, तो उसने भगवान विष्णु को पुकारा "हे प्रभु! आइए, भोजन तैयार है।"

    प्रेम पूर्वक उसकी मनुहार सुन कर भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हो गए। वे उसके साथ बैठकर प्रेम पूर्वक भोजन करने के बाद वे भगवान अदृश्य हो गए।

    कुछ दिन बाद फिर एकादशी आई। उस व्यक्ति ने राजा से कहा कि महाराज, इस बार मुझे दुगना अन्न चाहिए।
    राजा ने आश्चर्य से पूछा, "दुगना क्यों?" वह बोला, "राजन, पिछली बार मेरे साथ भगवान विष्णु भी भोजन करने आए थे, इसलिए अन्न कुछ कम पड़ गया।"

    राजा यह सुनकर चकित रह गया। उसने सोचा, "मैं तो वर्षों से व्रत और पूजा करता हूं, फिर भी मुझे भगवान के दर्शन नहीं हुए"
    राजा ने निश्चय किया कि अगली एकादशी पर वह भी उसके साथ जाएगा।

    अगली एकादशी को राजा उसके साथ नदी किनारे गया और पेड़ के पीछे छिप गया। वह व्यक्ति फिर स्नान करके भोजन बनाने लगा और भगवान को पुकारने लगा "हे विष्णु! आइए, भोजन तैयार है।"

    लेकिन इस बार भगवान नहीं आए। दिन बीत गया, पर जब प्रभु नहीं आए तो वह व्यक्ति दुखी होकर बोला, "हे प्रभु, यदि आप नहीं आए तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगा।"
    इतना कहते ही वह नदी की ओर बढ़ा। उसके सच्चे भाव और प्रेम को देखकर भगवान विष्णु तुरंत प्रकट हो गए।

    भगवान ने उसके साथ फिर भोजन किया और कहा "अब तुम मेरे धाम चलो।"
    फिर उन्होंने अपने दिव्य विमान में बैठाकर उस भक्त को वैकुंठ ले गए।

    यह सब देखकर राजा स्तब्ध रह गया। उसे एहसास हुआ कि वह तो सालों से व्रत रखता रहा, लेकिन उसका मन केवल नियमों में बंधा था, भक्ति में नहीं। जबकि, उस व्यक्ति ने नियम तो तोड़ा, पर उसका भाव सच्चा था और भगवान ने उसी सच्ची भक्ति को स्वीकार किया। उस दिन से राजा का जीवन बदल गया। उसने भी पूरे भाव से पूजा शुरू कर दी और अंत में स्वर्ग प्राप्त किया।

  • 5:44 PM (IST) Posted by Arti Azad

    तुलसी चालीसा

    दोहा
    दोहा तुलसी चालीसा श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
    जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।

     तुलसी चालीसा

    नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
    दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।

    विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
    भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।

    जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
    करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।

    कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
    तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।

    कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
    वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।

    श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
    कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।

    छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
    तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।

    औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
    देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।

    वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
    नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।

    नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
    नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।

    नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
    नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।

    नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
    जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।

    निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
    करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।

    शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
    क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।

    मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
    जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।

    बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
    प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।

    चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
    करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।

    पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
    यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।

    करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
    है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।

    तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
    भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।

    यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय। 
    गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।। 

  • 4:28 PM (IST) Posted by Arti Azad

    शालिग्राम भगवान की आरती

    शालीग्राम सुनो विनती मेरी।
    यह वरदान दयाकर पाऊं।।  

    प्रातः   समय  उठी   मंजन  करके । 
    प्रेम सहित  स्नान  कराऊं।।  
    चन्दन धूप दीप तुलसीदल ।
    वरण - वरण के   पुष्प   चढ़ाऊं।। 

    तुम्हरे   सामने  नृत्य   करूं   नित ।
    प्रभु  घण्टा   शंख   मृदंग  बजाऊं ।। 
    चरण धोय   चरणामृत लेकर । 
    कुटुम्ब  सहित  बैकुण्ठ   सिधारूं।। 

    जो  कुछ   रूखा - सूखा   घर  में । 
    भोग लगाकर भोजन पाऊं।। 
    मन   बचन   कर्म  से  पाप  किये । 
    जो   परिक्रमा  के  साथ   बहाऊं।। 

    ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
    जम   के   द्वारे   जाने   न   पाऊं ।। 
    माधोदास  की  विनती   यही   है।
    हरि दासन  को  दास  कहाऊं ।। 

  • 3:41 PM (IST) Posted by Arti Azad

    देव प्रबोधनी एकादशी पर तुलसी चालीसा पाठ

    आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। आज 1 नवंबर 2025 को देश भर में बड़ी धूमधाम से तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा। देव प्रबोधनी एकादशी पर तुलसी चालीसा का पाठ करने का विधान है। तुलसी चालीसा, हरिप्रिया देवी तुलसी को समर्पित है। कार्तिक मास में तुलसी चालीसा का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी रोजाना तुलसी के पौधे के समक्ष तुलसी चालीसा का पाठ करता है, विशेष रूप से देव उठनी एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा पर। उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और वह श्रीहरि विष्णु का प्रिय होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

  • 2:30 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    तुलसी विवाह मंत्र (Tulsi Vivah Mantra)

    देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः, नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

  • 1:57 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Tulsi Vivah Samagri List (तुलसी विवाह में लगने वाली सामग्री)

    • तुलसी का पौधा
    • भगवान शालिग्राम या विष्णु की प्रतिमा
    • श्रृंगार सामग्री (लाल चुनरी, साड़ी, बिंदी, मंगलसूत्र, चूड़ियां...)
    • नारियल, कलश, गंगाजल और दीपक
    • फल, फूल, धूप, कपूर, चंदन, हल्दी और अक्षत
    • पंचामृत, मिठाई, प्रसाद, केले के पत्ते
  • 1:23 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Tulsi Vivah 2025: तुलसी माता का विवाह किससे हुआ था?

    तुलसी माता का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम पत्थर के साथ हुआ था। हर साल कार्तिक महीने में तुलसी जी और शालिग्राम भगवान का विधि विधान विवाह कराया जाता है।

  • 12:52 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Tulsi Vivah Rangoli: तुलसी विवाह रंगोली

    तुलसी विवाह रंगोली

    tulsi vivah

    Image Source : CANVA
    तुलसी विवाह रंगोली

  • 12:28 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    तुलसी महारानी की आरती (Tulsi Ji Ki Aarti)

    • तुलसी महारानी नमो-नमो,
    • हरि की पटरानी नमो-नमो ।
    • धन तुलसी पूरण तप कीनो,
    • शालिग्राम बनी पटरानी ।
    • जाके पत्र मंजरी कोमल,
    • श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥
    • तुलसी महारानी नमो-नमो,
    • हरि की पटरानी नमो-नमो ।
    • धूप-दीप-नवैद्य आरती,
    • पुष्पन की वर्षा बरसानी ।
    • छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
    • बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥
    • तुलसी महारानी नमो-नमो,
    • हरि की पटरानी नमो-नमो ।
    • सभी सखी मैया तेरो यश गावें,
    • भक्तिदान दीजै महारानी ।
    • नमो-नमो तुलसी महारानी,
    • तुलसी महारानी नमो-नमो ॥
    • तुलसी महारानी नमो-नमो,
    • हरि की पटरानी नमो-नमो ।
  • 11:28 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    तुलसी विवाह के दिन क्या करें?

    • तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह वैदिक मंत्रों से करें।
    • तुलसी को लाल चुनरी और चूड़ियां पहनाएं।
    • दीप जलाकर “तुलसी-विष्णु विवाह” का मंगल गीत गाएं।
    • प्रसाद में पंचामृत, गुड़ और नारियल अर्पित करें।
  • 10:58 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    तुलसी माता की आरती (Tulsi Mata Ki Aarti Lyrics)

    • जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
    • सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥
    • ॥ जय तुलसी माता...॥
    • सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर ।
    • रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥
    • ॥ जय तुलसी माता...॥
    • बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।
    • विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥
    • ॥ जय तुलसी माता...॥
    • हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।
    • पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥
    • ॥ जय तुलसी माता...॥
    • लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में ।
    • मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥
    • ॥ जय तुलसी माता...॥
    • हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी ।
    • प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥ 
    • हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता ॥
    • ॥ जय तुलसी माता...॥
    • जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
    • सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥
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