आज भारतीय क्रिकेटर बुनियादी स्तर पर लंबा चौड़ा पारिश्रमिक और भत्ते के अधिकारी भी उन्हीं की वजह से हैं और हां, अपने प्रथम कार्यकाल के दौरान उन्होंने ही पूर्व खिलाड़ियों की पेंशन भी शुरू की। बोर्ड के अन्य मुखिया पद पर आसीन लोगों की कार्य शैली के विपरीत डालमिया कामकाज में पारदर्शिता के किस कदर कट्टर समर्थक थे, यह उनका एक अलग ही वैशिष्ट्य था।
अस्सी और नब्बे के दशक के दौरान उनसे अक्सर भेंट होती रहती। जब भी मिलते, पूरी आत्मीयता से पूछते, कोई दिक्कत तो नहीं? पहले रिलायंस कप और फिर 1996 के विश्वकप के सफलतम आयोजन का पूरी क्रिकेट बिरादरी ने लोहा माना। उनके दिल में यह खेल रच बस गया था।