प्रतीक हजेला ने कहा, मैं दबाव की परवाह नहीं करता। यह महाभारत के अर्जुन वाली बात है जिसे केवल मछली की आंख दिखती थी।
एनआरसी विवाद 2019 के आम चुनावों तक जारी रह सकता है।
शाह ने कहा, क्या राहुल गांधी देश के सामने स्पष्ट करेंगे कि कांग्रेस ओबीसी विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने में सहायता करेगी या नहीं। वहीं से तय हो जाएगा कि कांग्रेस पिछड़ों का कल्याण चाहती है कि नहीं।
असम एनआरसी को लेकर भारतीय सियासत में पिछले कुछ दिनों से तो उबाल आया ही हुआ है, सात समुंदर पार अमेरिका में भी यह मुद्दा उठाया जा रहा है।
असम में नेशनल सिटिजन रजिस्टर के मसौदे पर शिवसेना ने केंद्र का साथ दिया है, लेकिन साथ ही कश्मीरी पंडितों की वापसी पर सवाल भी दाग दिया।
टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने इस मामले पर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। असम के एनआरसी रिपोर्ट में चालीस लाख लोगों के नाम शामिल होने होने के कारण टीएमसी का एक डेलीगेशन कल सिलचर गया था लेकिन इस डेलीगेशन को एयरपोर्ट पर रोक दिया गया।
ये वीडियो उस एक सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट का हिस्सा है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असम में घुसपैठ की स्थिति का पता लगाने के लिए गठित किया था। ऑडियो-विजुअल की शक्ल में कमेटी की जांच रिपोर्ट को तो वैसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा गया था लेकिन इसमें जो बातें दिखाई और बताई गईं हैं वो बेहद चौंकाने वाले हैं।
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने संवाददाताओं से कहा कि पश्चिम बंगाल में एक करोड़ से अधिक अवैध प्रवासी हो सकते हैं और सुझाव दिया कि उनकी पहचान के लिए सीमावर्ती राज्यों में एनआरसी होना चाहिए।
रावत ने कहा, "चुनाव आयोग (ईसी) का मतदाता नामांकन कार्य एनआरसी से अलग है। अंतिम रूप से मतदाता सूची चार जनवरी, 2019 को प्रकाशित की जाएगी, जो आम चुनाव के लिए इस्तेमाल की जाएगी।"
भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी समेत विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के साथ मुलाकात पर उन्होंने कहा, मैं सात बार संसद की सदस्य रही हूं। मैंने सभी से अच्छे संबंध बनाकर रखे हैं।
दरअसल एनआरसी का सवाल संसद से सड़क तक सभी पार्टियों के लिए नाक का सवाल बन गया है। बीजेपी के इस फैसले ने सबको उलझा दिया है। बीजेपी बोल रही है, असम के बाद नंबर बंगाल का है और बीजेपी की सरकार आ गई तो वहां भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को खोला जाएगा।
जरा सोचिए कि दुनिया में कोई भी देश लाखों-विदेशी लोगों को अपनी जमीन पर रहने और वोट देने की इजाजत कैसे दे सकता है? यह अपने ही देश के नागरिकों का हक छीनने जैसा हुआ।
एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट में इसके अलावा दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के भतीजे का नाम भी गायब है जिसका नाम जियाउद्दीन है।
मायावती ने कहा कि इस घटनाक्रम से प्रभावित लोगों में शामिल धार्मिक अल्पसंख्यकों में ज्यादातर बंगाली मुसलमान हैं, जबकि भाषाई अल्पसंख्यकों में बंगला बोलने वाले गै़र-मुस्लिम बंगाली हैं।
रिजीजू ने ट्वीट कर कहा, "राहुल गांधी कहते हैं कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) कांग्रेस की देन है और इसका कार्यान्वयन भाजपा सरकार में सुस्त रहा है, जिसका मतलब है कि इसे और सख्ती के साथ क्रियान्वित किया जाना चाहिए।"
तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि एनआरसी असम में एक सूची जारी की गई है और 40 लाख लोगों के नाम हटा दिये गए हैं। इनमें से ज्यादातर बंगाली है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ताज्जुब की बात है कि इनमें से काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके पास आधार, पासपोर्ट और पहचान पत्र है।
संपादक की पसंद