प्राधिकरणों ने यह भी कहा कि वे पट्टे को रद्द करने जैसी कार्रवाई इस कंपनी के खिलाफ नहीं कर सकते हैं, जो (कंपनी) नियमित रूप से बहुत अधिक संख्या में मकान खरीदार होने और राजनीतिक रसूख रखने के चलते रकम चुकाने में नाकाम रही है।
रियल एस्टेट फर्मों को दिवालिया घोषित करने के लिए कार्यवाही शुरू होने पर लाखों मकान खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसके तहत NCLT ने जेपी बिल्डर्स को दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई शुरू की थी।
इसके अलावा एनसीएलटी एक अधिकारी नियुक्त करेगी, जो 270 दिनों में जेपी के फाइनेंस की जांच करेगा। ये अधिकारी 7 अकाउंटिंग कंपनियों में से चुना जाएगा। खबरों के मुताबिक एनसीएलटी ने साफ कह दिया है कि अगर 270 दिनों में जेपी ग्रुप के हालात नहीं बदले तो जेपी इं
सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक लिमिटेड से 39 फ्लैट खरीदारों द्वारा जमा कराई गई 16.55 करोड़ रुपए की मूल राशि पर 14 फीसदी की दर से ब्याज जमा करने का आदेश दिया है।
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