प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की एक पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत के अनुरोध को खारिज कर दिया। कामत ने कहा था कि परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिए मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के बीच एक बैनर्स से बवाल मच गया है। जिसपर लिखा पाया गया कि ऐसे लोगों को कारोबार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जो कानून का सम्मान नहीं करते। जो एकता के खिलाफ हैं।
कर्नाटक हाईकोर्ट के वकील उमापति को सोशल मीडिया पर एक वीडिया मिला है। जिसमें एक व्यक्ति कहता सुनाई दे रहा है कि- हम जानते हैं कि चीफ जस्टिस मॉर्निंग वॉक के लिए कहां जाते हैं।
कर्नाटक उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन की विशेष पीठ ने कक्षाओं में हिजाब की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए रेखांकित किया था कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
यशपाल सुवरना ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली छात्राओं पर कहा, 'हैदराबाद से एक आतंकवादी संगठन यहां आया और उन्हें प्रशिक्षण दिया कि मीडिया में कौन से बयान दिए जाने चाहिए।'
बंद की अपील मुस्लिम संगठन अमीर-ए-शरीयत ने किया है। वहीं पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया और कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया जैसे संगठनों ने इस बंद को समर्थन दिया है।
16 मार्च छात्र कार्यकर्ताओं ने हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बुधवार को ‘निराशाजनक’ बताते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों की वर्दी में सामाजिक और धार्मिक प्रथाएं समाहित होनी चाहिए।
हिजाब सिर्फ़ पहनावे का मामला है और यह इस्लाम मानने की बुनियादी शर्त नहीं है। लेकिन बहुत से मौलाना यह मानने को तैयार नहीं हैं। बस इतना कहते हैं कि यह सब मुसलमानों के खिलाफ सियासी चाल है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी। अब इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर होली के बाद सुनवाई होगी।
कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में कल चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट में छात्रा निबा नाज़ ने वकील अनस तनवीर के माध्यम से याचिका दाखिल की थी।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट के तीनों जजों ने कर्नाटक सरकार के फैसले को सही करार दिया है। हिजाब पर ओवैसी, अबू आजमी समेत तमाम नेताओं ने अपना विरोध जताया है। इस मुद्दे को लेकर लगातार साजिश भी की गई । लेकिन हकीकत क्या है हिजाब का। देखिए आज की बात में रजत शर्मा बता रहे हैं हाई कोर्ट के 129 पन्नों के जजमेंट का सच।
आज कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब के फैसले को बदलने से इनकार कर दिया। यानी स्कूलों में कॉलेजों में इंस्टीट्यूशंस में धार्मिक पोशाक पहनने की आजादी नहीं होगी। आपको तय किए गए यूनिफॉर्म कोड का पालन करना होगा। सबसे खास बात हाईकोर्ट की टिप्पणी रही। हाईकोर्ट ने 2 बड़ी बातें कहीं। सबसे पहला हाईकोर्ट ने ये साफ कर दिया कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। दूसरा अगर स्कूल और कॉलेज ने ड्रेस तय किए हैं तो सभी बच्चे, छात्र वही पहनेंगे। तय यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते।
पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले की सराहना की है। इंडिया टीवी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में प्रसाद ने कहा कि अदालत का यह फैसला लंबे समय तक एक ऐसे फैसले के रूप में याद रखा जाएगा, जिसने भारत की बेटियों को सशक्त बनाया।
हिजाब विवाद पर आज कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया। कोर्ट ने कहा है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। और हिजाब पर बैन जारी रहेगा।
कोर्ट ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं।
स्कूल-कॉलेज में हिजाब पर रोक को लेकर महबूबा मुफ्ती का भी रिएक्शन आया है। महबूबा मुफ्ती ने फैसले को निराशाजनक बताया और कहा कि महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। महबूबा ने कहा कि ये धर्म का नहीं, आजादी का मामला है।
कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी. सी. नागेश ने कहा, हम उन लड़कियों के दिल जीतने की कोशिश करेंगे जो ‘गुमराह’ हो गयी हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता एएम धर ने कहा, 'हिजाब पहनना इस्लाम में एक अनिवार्य प्रथा है। हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला गलत है। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। हम उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में न्याय की जीत होगी।'
आज कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब पर बड़ा फैसला दिया है। इसे लेकर ओवैसी ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में फैसले को नामंजूरी दी और कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को इस फैसले को चुनौती देनी चाहिए।
ओवैसी ने ट्वीट किया- मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं, फैसले से असहमत होना मेरा हक है। मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
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