भारत की नई संसद में अखंड भारत के मैप को लेकर नेपाल में कुछ दल आपत्ति जाहिर कर रहे हैं। नेपाली दलों का कहना है कि भारत ने उनके कुछ हिस्से को अपना दिखाया है। प्रचंड ने अपनी संसद में जवाब दिया कि वह नक्शा सांस्कृतिक है, राजनीतिक नहीं।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड 31 मई से ही भारत दौरे पर हैं। उन्होंने आज उज्जैन में भगवान महाकाल के गर्भगृह का दर्शन कर रुद्राक्ष भेंट किया।
दोनों देशों के बीच 2022-23 में व्यापार 8.9 अरब डॉलर का था जो 2021-22 में 11 अरब डॉलर का था।
बैठक के बाद मीडिया को दिए बयान में मोदी ने कहा कि उन्होंने और प्रचंड ने भविष्य में दोनों देशों के बीच साझेदारी को ‘सुपर हिट’ बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' पीएम का पद संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर आज नई दिल्ली पहुंचे। वे अपने चार दिनों के दौरे में पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के मुलाकात करेंगे।
नेपाल के पीएम प्रचंड का उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करने का भी कार्यक्रम है। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री प्रचंड का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से शिष्टाचार भेंट करने का कार्यक्रम है।
काफी उतार चढ़ावों के बाद अब फाइनली नेपाल के प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आ रहे हैं। वे 31 मई को भारत आएंगे।
इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण संबंधी परियोजनाओं पर खर्च के लिए नेपाल को चीन 80 अरब ‘नेपाली‘ रुपये देगा। इस बात पर सहमति महत और काठमांडू स्थित चीन के राजदूत चेन सोंग के बीच बातचीत में बनी।
दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की ओर इशारा करते हुए प्रचंड ने कहा, ‘नेपाल और चीन मैत्रीपूर्ण, सौहार्दपूर्ण और सहकारी संबंधों का एक लंबा इतिहास संजोए हुए हैं। नेपाल और चीन के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का इतिहास बहुत पुराना है।‘
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड अब जून तक भारत आएंगे। हालांकि उन्हें इसके पहले ही आना था, लेकिन यह यात्रा टल गई है। यात्रा टलने से चीन को राहत महसूस हो रही थी, लेकिन जून में यात्रा का कार्यक्रम बनने की सूचना से फिर चीन के पेट में दर्द शुरू हो गया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की सरकार ने भारत के साथ लंबे समय से चले आ रहे कालापानी लिपुलेख और लिंपियाधुरा जैसे सीमा विवादों को कूटनीति के माध्यम से सुलझाने की बात कही है। ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में बनी 10 पार्टियों की गठबंधन सरकार ने बृहस्पतिवार को अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) की घोषणा की।
नेपाल में पिछले दो महीने में ही सत्ता में आए बदलाव के बाद संवैधानिक बाध्यता के कारण पीएम दहल को एक बार फिर विश्वास मत की अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा। इसमें वे विजयी हुए।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले सहयोगी पार्टियों ने एक के बाद एक करके समर्थन वापस लेना शुरू किया और अब उन पर 5 हजार हत्याओं का जिम्मेदार होने का गंभीर आरोप लगाया गया है।
प्रचंड ने भारत की बजाय कतर की यात्रा को तरजीह दी। इससे पहले कि वे कतर दौरे पर जाते, उन्हें कतर का दौरा ही रद्द करना पड़ा। अपनी सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बीच पुष्प कमल दहल को यह यात्रा रद्द करना पड़ी है।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड ने अपने ही विदेश मंत्री डा. बिमला पौडेल का विदेश दौरा रद्द करते हुए उन्हें एयरपोर्ट से वापस आने को कहा है। नेपाल की विदेश मंत्री डा पौडेल ने आज दोपहर ही पत्रकार सम्मेलन करते हुए शाम को 6 बजे जिनेवा में आयोजित यूएन के मानवाधिकार काउंसिल के सम्मेलन में जाने की जानकारी दी थी।
नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘‘प्रचंड’’ ने अपने सबसे पुराने और भरोसेमंद पड़ोसी भारत को झटका दे दिया है। उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत का चुनाव न करके कतर को चुना है। जबकि पहले प्रचंड प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा था कि वह सबसे पहले भारत की यात्रा पर जाएंगे।
नेपाल में सात पार्टियों के सत्तारूढ़ गठबंधन में एक प्रमुख भागीदार राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने राजनीतिक समीकरण में बदलाव का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष और नेपाल के गृहमंत्री रहे रवि लामिछाने और उनकी पार्टी के दो अन्य नेताओं के इस्तीफे के बाद आप राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के अध्यक्ष और उप प्रधानमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री राजेंद्र लिंगडेन समेत पार्टी के चार मंत्रियों ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया है।
सबसे बड़ी बात यह कि नेपाल का लगभग पूरा कारोबार भारत पर निर्भर है। भारत यदि हाथ खींच ले तो नेपाल की इकोनॉमी डगमगा सकती है। कुल मिलाकर भारत को नजरअंदाज करना नेपाल के लिए संभव नहीं है। भले ही चीन नेपाल को कितने ही प्रलोभन क्यों न दे रहा हो।
नेपाल में सत्तारूढ़ गठबंधन से आरएसपी के समर्थन वापसी के बाद प्रचंड की सरकार लगातार मुश्किलों का सामना कर रही है। लामिछाने के जाने के बाद उनकी पार्टी के तीन और मंत्रियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया है।
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