Monday, April 29, 2024
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पूर्व DGP वीरेंद्र बने पश्चिम बंगाल के नए सूचना आयुक्त, विपक्ष के नेता बैठक से रहे नदारद

बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने ‘आवेदन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन दिशा-निर्देशों’ के उल्लंघन का हवाला देते हुए बैठक में हिस्सा नहीं लिया।

India TV News Desk Edited By: India TV News Desk
Published on: February 15, 2023 22:26 IST
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Image Source : PTI पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) वीरेंद्र को बुधवार को राज्य सूचना आयुक्त (SIC) नियुक्त किया गया। वीरेंद्र को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। नये SIC का चयन करने के लिए राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कक्ष में बैठक हुई, जिसमें विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भाग नहीं लिया। वीरेंद्र को SIC नियुक्त किए जाने की जानकारी राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री सोभनदेब चट्टोपाध्याय ने दी।

‘SIC के पद के लिए 15 आवेदन आए थे’

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने ‘आवेदन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन दिशा-निर्देशों’ के उल्लंघन का हवाला देते हुए बैठक में हिस्सा नहीं लिया। बैठक की अध्यक्षता बनर्जी ने की। चट्टोपाध्याय ने बैठक के बाद कहा, ‘पद के लिए 15 आवेदन आए थे, जिनमें से 10 वैध पाए गए। मुख्यमंत्री ने वीरेंद्र के नाम का प्रस्ताव दिया और हमने इसका समर्थन किया। वीरेंद्र को राज्य का नया सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है।’

‘यह बैठक अवैध थी, पहले भी हो चुकी है’
बाद में, राज्य के नये सूचना आयुक्त के रूप में वीरेंद्र की नियुक्ति पर शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘बैठक अवैध है, यह पहले भी 2 बार हो चुकी है। राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किए। मुझे उम्मीद है कि राज्यपाल इस बार भी हस्ताक्षर नहीं करेंगे। इसके लिए अखिल भारतीय स्तर के विज्ञापन की आवश्यकता है। ऐसा नहीं किया गया।’ अधिकारी के बैठक में शामिल न होने के बारे में चट्टोपाध्याय ने कहा, ‘हमें शुभेंदु अधिकारी का पत्र मिला है कि वह बैठक में उपस्थित नहीं होंगे।’

प्रोटोकॉल के तहत शुभेंदु की मौजूदगी जरूरी
चट्टोपाध्याय ने कहा, ‘हमें उनकी अनुपस्थिति का कोई वैध कारण नहीं दिखता। हमने उन्हें 15 दिन पहले पत्र भेजा था। हमने 12 दिन पहले मूल पत्र को संशोधित करते हुए एक और पत्र दोबारा भेजा। यदि उन्हें कोई आपत्ति थी तो उनके पास इसे उठाने के लिए पर्याप्त समय था।’ बता दें कि प्रोटोकॉल के मुताबिक जिस बैठक में सूचना आयुक्त की नियुक्ति की जानी है, उसमें मुख्यमंत्री, राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री और विपक्ष के नेता की सहमति होनी जरुरी है।

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