बीजिंग: जीतने वाली सेना पराजित देश में क्या तबाही मचाती है, यह किसी से छिपा नहीं है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हमलावर जापानी सैनिक महज मनोरंजन के लिए चीन के लोगों पर या चीन में रहने वाले अन्य देशों के लोगों पर बहुत जुल्म ढाते थे।
सोइशी नाकाजिमा नाम के सैनिक ने अपने एक ऐसे ही इकरारनामे में लिखा है कि उसने एक रूसी महिला पर सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए जुल्म किया था।
नाकाजिमा 1932 में जापानी सेना का हिस्सा बना था। उसे आज के हेलोंगजियांग प्रांत में तैनात किया गया था। 1945 में पकड़े जाने से पहले उसने भी अन्य जापानी सैनिकों की तरह जुल्म किए थे।
नाकाजिमा ने लिखा है, "हम लोगों ने एक रूसी महिला को पकड़ा था। उससे पूछताछ के दौरान हमने नहाने के दौरान निकला गंदा पानी पिलाया। जब महिला का पेट फूल गया तो मैंने उसके पेट को दबाना शुरू किया। मैं दबाता था और उसके मुंह से थोड़ा-थोड़ा पानी निकलता जाता था। मैं उसकी कोठरी में भी गया। मैंने पाया कि वह दर्द की वजह से अपना फूला हुआ पेट पकड़े हुए है। मुझे यह देखकर बहुत मजा आया।"
नाकीजामा वह गार्ड था जिसने एक चीनी का सिर कलम कर उसके दिमाग को पका कर खाया था। उसे लगा था कि इससे उसकी बीमारी दूर हो जाएगी। पका हुआ दिमाग उसने कुछ अन्य जापानी सैनिकों को भी खाने के लिए दिया था।
जापानी आधिपत्य के खिलाफ जंग के 70 साल पूरा होने पर चीन का अभिलेखागार विभाग उन जापानी सैनिकों की लिख कर दी गई बातों को जारी कर रहा है जिन्होंने खुद ही चीन में अकथनीय जुल्म करने की बात मानी है। 1954 में लिखे गए ऐसे 31 इकरारनामों में से अब तक 11 को जारी किया जा चुका है।
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