Highlights
- अविश्वास प्रस्ताव हारे इमरान खान
- किन नेताओं ने निभाई अहम भूमिका
- विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार शहबाज
इस्लामाबाद: पाकिस्तान नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शनिवार की आधी रात हुए मतदान में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। खान देश के इतिहास में ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गये, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाया गया है। मतदान के समय 69 वर्षीय खान भले ही निचले सदन में उपस्थित नहीं थे लेकिन उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए समूचा विपक्ष एकजुट खड़ा था। संयुक्त विपक्ष ने पहले ही ऐलान किया था कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ उनके संयुक्त उम्मीदवार होंगे।
जब से ही इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था, खान ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। शनिवार को पूरे दिन में पल-पल बदलते घटनाक्रम के बाद देर रात को शुरू हुए मतदान के नतीजे में संयुक्त विपक्ष को 342-सदस्यीय नेशनल असेंबली में 174 सदस्यों का समर्थन मिला, जो प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने के लिए आवश्यक बहुमत 172 से अधिक रहा। लेकिन इस पूरे सत्ता बेदखली के मैच में विपक्षी नेताओं के वह कौनसे नाम हैं जो 'स्टार प्लेयर' रहे-
शहबाज शरीफ-
तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ इमरान खान की जगह लेने के लिए मुख्य उम्मीदवार हैं। विपक्ष पहले ही कह चुका है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ उनके संयुक्त उम्मीदवार होंगे। शहबाज को एक कड़े नेता माना जाता है। अक्सर उन्हें अपने भाषणों में क्रांतिकारी कविताएं पढ़ने के लिए जाना जाता है। पाकिस्तान में शरीफ की छवि एक कर्मठ नेता की है।
हालांकि शहवाज शरीफ कई शादियों और अपने संपत्ति पोर्टफोलियो, जिसमें लंदन और दुबई में लक्जरी अपार्टमेंट शामिल हैं, के बारे में सुर्खियों में रहने के बावजूद भी लोकप्रिय हैं।
आसिफ अली ज़रदारी-
एक अमीर सिंध परिवार से ताल्लुक रखने वाले, जरदारी एक वक्त पर अपनी प्लेबॉय लाइफस्टाइल के लिए काफी मशहूर रहे। इसके बाद उनकी बेनजीर भुट्टो के पहली बार प्रधानमंत्री बनने से कुछ समय पहले शादी हो गई। जरदारी को कथित तौर पर सरकारी ठेकों में अपने हिस्से को लेकर "मिस्टर टेन परसेंट" का भी नाम दिया गया। आसिफ अली ज़रदारी भ्रष्टाचार, ड्रग तस्करी और हत्या से संबंधित आरोपों में दो बार जेल भी जा चुके हैं, हालांकि उन्हे कभी भी मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ा।
67 साल के जरदारी, 2007 में भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष बने और एक साल बाद पीएमएल-एन के साथ गठबंधन में देश के राष्ट्रपति बने।
बिलावल भुट्टो ज़रदारी-
बेनजीर भुट्टो और आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल राजनीतिक राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। वह अपनी मां की हत्या के बाद महज 19 साल की उम्र में पीपीपी के अध्यक्ष बन गए थे। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई लिखाई करने वाले 33 साल के भुट्टो को अपनी मां की छवि की ही तरह एक प्रगतिशील नेता माना जाता है। बिलावल अक्सर महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात करते हैं।
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले भुट्टो युवाओं अपने देश के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। हालांकि अपने देश की राष्ट्रीय भाषा, उर्दू की कमजोर समझ के लिए उनका अक्सर मजाक उड़ाया जाता है।
मौलाना फजलुर रहमान-
एक तेजतर्रार इस्लामी कट्टरपंथी के रूप में राजनीतिक सफर शुरू करने के बाद, मुस्लिम मौलवी ने बीते कई सालों में अपनी सार्वजनिक छवि को नरम किया है, जिसमें उन्हें लेफ्ट और राइट, दोनों ओर की धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ गठबंधन करते देखा गया है। मदरसे के हजारों छात्रों को लामबंद करने की क्षमता रखने वाली, उनकी जमीयतुल उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) पार्टी को कभी भी अपने दम पर सत्ता के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, लेकिन आमतौर पर किसी भी सरकार में वह एक प्रमुख खिलाड़ी होते हैं।
इमरान खान के साथ रहमान की दुश्मनी गहरी मानी जाती है। ब्रिटान जेमिमा गोल्डस्मिथ से इमरान की पूर्व शादी को लेकर फजलुर रहमान उन्हें "एक यहूदी" बुलाते हैं। वहीं इमरान खान, ईंधन लाइसेंस से जुड़े भ्रष्टाचार में रहमान की कथित भागीदारी के लिए उन्हें "मुल्ला डीजल" कहते हैं।