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इजराइल से कन्नी काटने लगे यूरोप के देश, नीदरलैंड कोर्ट ने सरकार से कहा, बंद करें फाइटर जेट पुर्जों की सप्लाई

नीदरलैंड की कोर्ट ने सरकार को कहा है कि वह इजराइल को फाइटर जेट के पार्ट्स देना बंद करे। इजराइल के ताजा हमलों में गाजा में बड़ी संख्या में फिलिस्तिनियों की मौत हो रही है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Feb 13, 2024 11:58 IST, Updated : Feb 13, 2024 11:58 IST
इजराइल से कन्नी काटने लगे यूरोप के देश- India TV Hindi
Image Source : AP इजराइल से कन्नी काटने लगे यूरोप के देश

Isreal Hamas War: इजराइल और हमास में संघर्ष और खतरनाक हो गया है। खासकर इजराइल हमास पर लगातार हमले कर रहा है। इसी बीच गाजा में भीषण नरसंहार के कारण यूरोपीय देश भी अब इजराइल से कन्नी काटने लगे हैं। यूरोपीय देश नीदरलैंड की एक अदालत ने नीदरलैंड सरकार को गाजा पट्टी पर इजराइल की भारी बमबारी और उससे बड़ी संख्या में लोगों के मरने की खबरों के बीच इजराइल द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे एफ 35 फाइटर जेट के पुर्जों की डिलिवरी रोकने का आदेश दिया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डच कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस बात का स्पष्ट खतरा है कि ​नीदरलैंड जिन पुर्जों को इजराइल को बेच रहा है और उनका इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघन में किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी संभावना है कि इस्राइल गाजा पर हमलों में अपने एफ-35 का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे आम नागरिक हताहत हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी डच सरकार

हालांकि, सोमवार के फैसले के जवाब में, डच सरकार ने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी और तर्क देगी कि हथियार के पुर्जे इजराइल की क्षेत्र में उदाहरण के तौर पर ईरान, यमन, सीरिया और लेबनान से खतरों से खुद को बचाने के लिए महत्वपूर्ण थे। 

रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला पिछले साल निचली अदालत के फैसले के खिलाफ एमनेस्टी इंटरनेशनल और ऑक्सफैम की अपील के बाद आया। इसमें उनके तर्क को खारिज कर दिया गया था कि पुर्जों की आपूर्ति ने कथित तौर पर गाजा में इजराइल द्वारा मानवीय कानून के व्यापक पैमाने पर और गंभीर उल्लंघन में योगदान दिया। 

मानवाधिकार संगठनों ने लगाए सरकार पर आरोप

इधर, मानवाधिकार संगठनों ने सरकार पर डिलीवरी को बनाए रखकर युद्ध अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाया है। दिसंबर में एक अदालत ने मामले को खारिज कर दिया। इसमें कहा गया था कि सरकार को हथियारों के निर्यात पर राजनीतिक और नीतिगत मुद्दों को तौलने में काफी हद तक स्वतंत्रता है। हालांकि, अदालत ने अपील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि राजनीतिक और आर्थिक चिंताएं युद्ध के कानूनों के उल्लंघन के स्पष्ट जोखिम को मात नहीं देतीं।

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