Friday, December 13, 2024
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PM मोदी के सख्त नेतृत्व का दिखने लगा असर, कनाडा ने पहली बार 2 खालिस्तानियों के खिलाफ सुनाया बड़ा फैसला

इटली में हुए जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की मुलाकात के बाद कनाडाई अदालत का खालिस्तानियों पर एक महत्वपूर्ण फैसला आया है। कनाडा की अदालत ने पहली बार खालिस्तानियों आतंकियों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उनकी अपील को खारिज कर दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jun 21, 2024 18:03 IST, Updated : Jun 21, 2024 18:03 IST
कनाडा कोर्ट।- India TV Hindi
Image Source : REUTERS कनाडा कोर्ट।

ओटावाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सख्त नेतृत्व के आगे कनाडा का रुख अब नरम पड़ता दिख रहा है। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों पर भारत के सख्त रुख अपनाने और उनके दावे को खारिज करने के बाद से ही कनाडा बैकफुट पर है। भारत की सख्ती का असर अब कनाडा की अदालतों पर भी पड़ता दिख रहा है। अब पहली बार कनाडा की एक अदालत ने देश की ‘उड़ान-प्रतिबंधित’ सूची से बाहर किए जाने की 2 खालिस्तानियों की अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने दो सिख चरमपंथियों के प्रयास को यह कहते हुए नाकाम कर दिया कि यह संदेह करने के लिए ‘पुख्ता आधार’ हैं कि वे आतंकवादी घटना को अंजाम देने के वास्ते परिवहन सुरक्षा या हवाई यात्रा के लिए खतरा होंगे।

कनाडा की समाचार एजेंसी ने वैंकूवर से बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में ‘संघीय अपीलीय अदालत’ द्वारा पिछले सप्ताह जारी आदेश के हवाले से कहा है कि अपीलीय अदालत ने भगत सिंह बराड़ और पर्वकर सिंह दुलाई की अपील खारिज कर दी है। इन दोनों का नाम कनाडा के सुरक्षित विमान यात्रा अधिनियम के तहत ‘उड़ान प्रतिबंधित’ सूची में शामिल किया गया था। इससे पहले दोनों सिख चरमपंथियों ने इस सूची की संवैधानिकता को चुनौती दी थी और उनकी याचिका निरस्त हो गयी थी। इसके बाद उन्होंने अपीलीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दोनों को 2018 में वैंकूवर में विमानों में चढ़ने की अनुमति नहीं दी गयी थी।

कोर्ट ने फैसले में कही ये बात

फैसले में कहा गया है कि यह अधिनियम सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री को लोगों को उड़ान भरने से प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है, बशर्ते ‘‘यह संदेह करने का उचित आधार हो कि वे परिवहन सुरक्षा को खतरा पहुंचाएंगे या आतंकवादी घटना को अंजाम देने के लिए हवाई यात्रा करेंगे।’’ आदेश में कहा गया, ‘‘एक समय, अपीलकर्ताओं ने उड़ान भरने की कोशिश की, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। उनका नाम (प्रतिबंधित) सूची में शामिल था और मंत्री ने उन्हें उड़ान न भरने देने का निर्देश दिया था।’’ अपीलीय अदालत ने पाया कि गोपनीय सुरक्षा जानकारी के आधार पर मंत्री के पास ‘‘यह संदेह करने के लिए उचित आधार थे कि अपीलकर्ता आतंकवाद की घटना अंजाम देने के लिए हवाई यात्रा करेंगे।’’

भारत में प्रतिबंधित संगठन का सदस्य है दुलाई

बराड़ और दुलाई ने वर्ष 2019 में इस सूची से अपना नाम हटाने के लिए कनाडा की संघीय अदालत का रुख किया था, लेकिन न्यायमूर्ति साइमन नोएल ने 2022 में उन दोनों के खिलाफ फैसला सुनाया। इस फैसले के खिलाफ दोनों ने अपीलीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत के फैसले पर बराड़ और दुलाई के वकीलों से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। नई दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि दुलाई प्रतिबंधित संगठन ‘बब्बर खालसा’ का सदस्य है। उन्होंने बताया कि दुलाई विपक्षी ‘न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी’ के नेता जगमीत सिंह का करीबी है। दुलाई सरे से ‘चैनल पंजाबी’ और चंडीगढ़ से ‘ग्लोबल टीवी’ चैनलों का संचालन करता है। सूत्रों के अनुसार, दोनों चैनल खालिस्तानी दुष्प्रचार करते हैं।

ऐसे वक्त में फैसला है महत्वपूर्ण

अदालत का यह फैसला ऐसे समय पर आया है, जब कथित सिख अलगाववादी व खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री द्वारा भारत पर आरोप लगाए जाने से दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं। पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता का आरोप लगाया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को “बेतुका और प्रेरित” बताते हुए खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा अपनी धरती से गतिविधियां चला रहे खालिस्तान समर्थक तत्वों को बिना किसी रोक-टोक के जगह दे रहा है। भारत ने बार-बार कनाडा के समक्ष अपनी “गहन चिंता” जाहिर की है।

नई दिल्ली को उम्मीद है कि ओटावा ऐसे तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करेगा। इस बीच, कनाडा की संसद ने मंगलवार को ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में मौन रखकर निज्जर की मृत्यु की पहली बरसी मनाई। पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।  (भाषा)

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