Sunday, April 28, 2024
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लंदन में भारत की धर्मनिरपेक्षता को लेकर फिर पूछा गया सवाल, विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया ऐसा बेहतरीन जवाब

भारत की सफलता से दुश्मन देशों का परेशान होना लाजमी है। ऐसे में भारत से बाहर विदेशों में कई तरह की नफरती साजिश रची जा रही है। इसीलिए बार-बार भारत में धार्मिक सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाया जाता रहा है। एक बार फिर जब ये सवाल लंदन में सामने आया तो जयशंकर ने जानदार जवाब दिया।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: November 16, 2023 16:39 IST
एस जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री। - India TV Hindi
Image Source : PTI एस जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री।

दुनिया में भारत की लगातार बढ़ती ताकत से दुश्मन हैरान और परेशान हैं। इसलिए भारत में धार्मिक विवाद पैदा करने की विदेशों में साजिश चल रही है। विदेशी पत्रकारों के जरिये दुश्मन भारत की धर्मनिर्पेक्षता पर हमला करने की साजिश रच रहे हैं। मगर हर बार उन्हें नाकामयाबी ही हाथ लगी है। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर की ब्रिटेन यात्रा के दौरान भारत की धर्मनिर्पेक्षता पर सवाल किया गया। मगर विदेश मंत्री ने ऐसा ठोस जवाब दिया कि सबकी बोलती बंद हो गई। 
 
एस जयशंकर का मानना है कि भारत के लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब गैर-धार्मिक होना नहीं, बल्कि सभी धर्मों का बराबर सम्मान करना है, लेकिन अतीत में अपनाई गई 'तुष्टीकरण' की सरकारी नीतियों ने देश के सबसे बड़े धर्म के लोगों को ऐसा महसूस कराया जैसे समानता के नाम पर उन्हें स्वयं की ही निंदा करनी पड़ी हो। लंदन के रॉयल ओवर-सीज लीग में 'दुनिया के बारे में एक अरब लोगों का नजरिया' विषय पर बुधवार शाम को आयोजित एक चर्चा के दौरान जयशंकर ने यह बात कही।

जयशंकर से पूछा गया ये सवाल

जयशंकर से पूछा गया कि क्या नेहरू युग के बाद से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार के शासनकाल में भारत उदार कम और 'बहुसंख्यकवादी हिंदू' राष्ट्र अधिक बन गया है। जयशंकर ने इस सवाल के जवाब में कहा कि भारत निश्चित रूप से बदल गया है और इस परिवर्तन का मतलब यह नहीं है कि भारत कम उदार हो गया है, बल्कि देश के लोग अब अपनी मान्यताओं को अधिक प्रामाणिक ढंग से व्यक्त करते हैं। जयशंकर ने पत्रकार एवं लेखक लियोनेल बार्बर के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘ क्या भारत नेहरूवादी युग से बदल गया है? बिल्कुल, क्योंकि उस युग की एक धारणा जिसने विदेश में देश की नीतियों और उनके क्रियान्वयन को बहुत हद तक निर्देशित किया, वह यह तरीका था, जिससे हम भारत में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित किया करते हैं।

दुनिया को बताया धर्मनिर्पेक्षता का मतलब

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ हमारे लिए, धर्मनिरपेक्षता का मतलब गैर-धार्मिक होना नहीं है, हमारे लिए धर्मनिरपेक्षता का अर्थ सभी धर्मों का बराबर सम्मान करना है। अब, वास्तव में राजनीति में जो हुआ वह सभी धर्मों के लिए बराबर सम्मान के साथ शुरू हुआ लेकिन हम एक प्रकार से अल्पसंख्यकों को बढ़ावा देने की राजनीति में शामिल हो गए हैं। मुझे लगता है कि समय के साथ इसका विरोध हो रहा है। ’’ जयशंकर ने भारतीय राजनीति को लेकर होने वाली बहस में 'तुष्टिकरण' का एक बहुत ही शक्तिशाली शब्द के रूप में उल्लेख किया, जिसने देश की राजनीति को एक अलग ही दिशा प्रदान की। उन्होंने कहा, ‘‘ देश में अधिक से अधिक लोगों को यह महसूस होने लगा कि एक तरह से, सभी धर्मों की समानता के नाम पर, वास्तव में, बहुसंख्यक समुदाय के लोगों को आत्म-निंदा करनी होगी और खुद को कमतर आंकना होगा। उस समुदाय के एक बड़े हिस्से को लगा कि यह उचित नहीं है।

भारतीयता की भावना पहसे से अधिक

जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में देखे गए राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन आंशिक रूप से गैर-बराबरी की इस भावना का बौद्धिक और राजनीतिक स्तर पर एक जवाब हैं। भारत में सहिष्णुता के कथित तौर पर कम होने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता, मैं इसके विपरीत सोचता हूं। मुझे लगता है कि आज लोग अपनी मान्यताओं, अपनी परंपराओं और अपनी संस्कृति को लेकर कम पाखंडी हैं। आज के दौर में देश के लोगों में भारतीयता और प्रामाणिकता की भावना अधिक है।’’
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