Sunday, April 28, 2024
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भारत तो आना ही होगा! अब चीन में अंधा निवेश नहीं कर पाएंगी अमेरिकी कंपनियां, बाइडेन लेने वाले हैं बड़ा फैसला

बताया जा रहा है कि बाइडेन का लक्ष्य आने वाले हफ्तों में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करना है जो अमेरिकी व्यवसायों द्वारा चीन में निवेश को सीमित करेगा। महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कुछ प्रकार के नए निवेश प्रतिबंधित होंगे, जबकि अन्य में कंपनियों को अमेरिकी सरकार को सूचित करने की जरूरत होगी।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: May 02, 2023 7:41 IST
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन- India TV Hindi
Image Source : AP अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन

अमेरिका में जो बाइडेन प्रशासन कथित तौर पर चीन में अमेरिकी कंपनियों के निवेश पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करने वाला है। जेफरीज के विख्यात विश्लेषक क्रिस्टोफर वुड ने एक शोध नोट में यह जानकारी दी है। वुड ने लिखा, बताया जा रहा है कि बाइडेन का लक्ष्य आने वाले हफ्तों में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करना है जो अमेरिकी व्यवसायों द्वारा चीन में निवेश को सीमित करेगा। कार्यकारी आदेश कथित तौर पर सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग को कवर करेगा।

फैसले पर G7 शिखर सम्मेलन में समर्थन मांगेगा अमेरिका

वुड ने कहा कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कुछ प्रकार के नए निवेश प्रतिबंधित होंगे, जबकि अन्य में कंपनियों को अमेरिकी सरकार को सूचित करने की जरूरत होगी। अमेरिका को उम्मीद है कि जापान में 19 मई से शुरू होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में इस तरह के निवेश प्रतिबंधों पर G7 भागीदारों से समर्थन प्राप्त होगा। अमेरिकी व्यापार द्वारा चीन में संचयी प्रत्यक्ष निवेश 2021 के अंत में कुल 118 अरब डॉलर था, जिसमें 57 अरब डॉलर या 48 प्रतिशत विनिर्माण क्षेत्र में था। यूएस ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन का 20 अप्रैल का भाषण बहुत कुछ कहता है। विशेष रूप से, येलेन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएं हमारे लिए प्रतिस्पर्धात्मक आर्थिक लाभ हासिल करने या चीन के आर्थिक और तकनीकी आधुनिकीकरण को रोकने के लिए नहीं बनाई गई हैं।

क्या सेमीकंडक्टर्स की सप्लाई रोकने का मकसद? 
यह स्पष्ट रूप से चीन को उन्नत सेमीकंडक्टर्स की आपूर्ति को अवरुद्ध करने के लिए अमेरिकी वाणिज्य विभाग की घोषित नीति का संदर्भ था। वुड ने कहा कि बीजिंग के दृष्टिकोण से यह चीन को अपनी अर्थव्यवस्था को उन्नत करने से रोकने के लिए वाशिंगटन की राष्ट्रीय सुरक्षा लॉबी द्वारा लक्षित प्रयास के रूप में भी प्रतीत होता है, जिसके परिणामस्वरूप यह जोखिम होता है कि यह चीन की बिगड़ती जनसांख्यिकी को देखते हुए खतरनाक मध्य-आय जाल में फंस गया है। इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान या विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन जैसे देर से आने वाली बयानबाजी को नरम करने के प्रयास के रूप में येलेन के स्वर का स्वागत किया जाना चाहिए, जो समय-समय पर चीन के साथ लड़ाई करने के लिए सामने आते हैं। 

प्रतिबंधों से कैसे होगा भारत का फायदा?
वुड ने कहा, येलेन का भाषण मिश्रित संदेशों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है। दरअसल, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि वाशिंगटन का साफ इरादा चीन को उसके विकास अधिकारों से वंचित करना है। यह पूरे तरीके से आर्थिक जबरदस्ती है। लिहाजा चीन और अमेरिका की इस खींच-तान में फायदा भारत को ही होने वाला है। चीन में निवेश करते वक्त अमेरिकी कंपनियों पर जब नए प्रतिबंध लगेंगे तो उन्हें निश्चित तौर पर नए विकल्प की ओर जाना ही होगा। ऐसे में निवेश और व्यवसाय के लिए भारत आज पूरी दुनिया की पहली पसंद बना हुआ है। अगर सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां भारत आती हैं तो ये पहले से आईटी क्षेत्र में बादशाहत हासिल कर चुके भारत को और मजबूत बनाएगा।

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