बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सीमांचल क्षेत्र (पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज जिलों की 24 सीटें) को एक बार फिर राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना दिया है। असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने यहां 2020 जैसा ही शानदार प्रदर्शन दोहराते हुए 5 सीटें जीतीं, जबकि प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज पार्टी (JSP) पूरी तरह फ्लॉप साबित हुई। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी बिहार में एक भी सीट नहीं जीत पाई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिम वोटों का बंटवारा महागठबंधन (RJD-कांग्रेस गठबंधन) के लिए घातक साबित हुआ, जिससे NDA को सीधा फायदा हुआ है।
सीमांचल में NDA और महागठबंधन का रिपोर्ट कार्ड
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र के नतीजों की बात करें NDA का दबदबा यहां भी रहा है। सीमांचल की कुल 24 सीटों में से NDA ने 14 सीटें जीतीं हैं। इसमें BJP ने 7, JD(U) ने 5, LJP(RV) ने 2 सीटें जीती हैं। सीमांचल क्षेत्र से महागठबंधन को महज 5 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को 4 और RJD के खाते में सिर्फ एक आई है।
AIMIM ने जीती 5 सीटें
सीमांचल क्षेत्र से AIMIM ने 5 सीटें अपने नाम कीं हैं। इसमें, अमौर, बहादुरगंज, कोचाधामन, बायसी और जोकीहाट जैसी मुस्लिम बहुल सीटें हैं। सीमांचल ही क्या पूरे बिहार में जन सुराज पार्टी का खाता तक नहीं खुला है। कई सीटों पर पीके की पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।
RJD के पारंपरिक वोट बैंक पर AIMIM ने लगाई सेंध
2020 में AIMIM ने भी यहीं 5 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार पार्टी ने अपना वोट बैंक बरकरार रखते हुए RJD के पारंपरिक MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण में गहरी सेंध लगाई है। कई सीटों पर AIMIM दूसरे या तीसरे स्थान पर रही, जिससे महागठबंधन के उम्मीदवार तीसरे-चौथे नंबर पर खिसक गए और NDA को सीधा फायदा हुआ।
जोकीहाट में चौथे नंबर रहा RJD उम्मीदवार
सीमांचल से आने वाली जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में RJD के शाहनवाज चौथे नंबर पर रहे। कोचाधामन में AIMIM ने RJD को 23,000 से ज्यादा वोटों से हराया। ओवैसी ने चुनाव बाद कहा, 'सीमांचल की जनता ने विकास और न्याय के लिए हमें चुना है।'
जन सुराज रही फ्लॉप, वोट कटवा बने PK
प्रशांत किशोर की बिहार में दो साल की पदयात्रा और भारी प्रचार के बावजूद जन सुराज को जीरो सीट मिली हैं। पार्टी ने 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन ज्यादातर जगहों पर NOTA से भी कम वोट मिले। सीमांचल में JSP ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे और शिक्षा-रोजगार जैसे मुद्दों पर फोकस किया, लेकिन मुस्लिम वोटरों को लुभा नहीं पाई। हालांकि, कुछ सीटों पर JSP के 5-10 प्रतिशत वोटों ने महागठबंधन के वोट काटे, जिससे NDA को फायदा हुआ।
सीमांचल में मुस्लिम वोटरों के बीच हावी रहे ये मुद्दे
सीमांचल में मुस्लिम आबादी 40-65 प्रतिशत तक है। इस बार वोटिंग में कई प्रमुख मुद्दे हावी रहे। इसमें वक्फ संशोधन बिल भी रहा, जिसमें मुस्लिमों में गुस्सा, इसे संपत्ति पर सरकारी कब्जे की साजिश माना गया। इसके साथ ही वोटर लिस्ट से संशोधन (SIR) का मुद्दा यहां हावी रहा। ओवैसी ने सीमांचल में अपने वोटरों के बीच CAA-NRC का डर लोगों में भरा। AIMIM ने पुराना मुद्दा यहां फिर गरमाया, ओवैसी ने इसे जोर-शोर से उठाया। स्थानीय मुद्दे यहां पहले से ही बने हुए हैं, इसमें बेरोजगारी, पलायन, बाढ़, गरीबी और विकास की कमी है।
RJD-कांग्रेस को चेतावनी है सीमांचल का चुनावी परिणाम
सीमांचल में AIMIM की इस जीत ने बिहार में मुस्लिम राजनीति को नया आयाम दिया है। महागठबंधन के साथ ही RJD और कांग्रेस के लिए यह चेतावनी है कि मुस्लिम वोट अब एकमुश्त नहीं है। वह अपने अनुसार उम्मीदवार देखकर वोट करता है। वहीं, NDA ने सीमांचल क्षेत्र में हिंदू वोटों को एकजुट रखते हुए फायदा उठाया है। विश्लेषक का मानना है कि आने वाले सालों में सीमांचल की राजनीति और भी ज्यादा रोचक होगी।