बिहार में आगामी चुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी महागठबंधन अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुका है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद 15 दिन बाद अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मैदान में उतर रहे हैं।
तेजस्वी ने अभी-अभी राहुल गांधी के साथ मिलकर पूरे बिहार में रोड शो किया। फिर अलग से रोड शो निकालना किस बात का इशारा कर रहा है? राहुल की यात्रा के तुरंत बाद ही तेजस्वी को बिहार यात्रा निकालने की जरूरत क्यों पड़ गई? कहीं दोनों पार्टियों में कोई खटपट तो नहीं? ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि कल ही तेजस्वी ने मुजफ्फरपुर के कांटी में मंच से ये ऐलान किया है कि राजद सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
16 सितंबर से नई यात्रा पर तेजस्वी
तेजस्वी 16 सितंबर से बिहार अधिकार यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। यात्रा की शुरुआत जहानाबाद से होगी और समापन 20 सितंबर को वैशाली में होगा। यात्रा को लेकर जहानाबाद में तैयारियां जोरों पर हैं। राजद कार्यकर्ता स्वागत की तैयारियों में जी-जान से जुटे हैं। शहर में बड़े पैमाने पर बैनर और पोस्टर लगाए गए हैं।

यात्रा के पहले दिन तेजस्वी यादव जहानाबाद के गांधी मैदान में जनसभा को संबोधित करेंगे। इस मौके पर राजद प्रवक्ता डॉ. शशिरंजन उर्फ पप्पू यादव ने बताया कि यह यात्रा पांच दिनों तक चलेगी और 10 जिलों से होकर गुजरेगी। इनमें जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर और वैशाली शामिल हैं। राजद प्रवक्ता ने दावा किया कि तेजस्वी यादव युवाओं के बीच एक आइकन हैं और जनता को उनसे उम्मीद है कि अगर वे सत्ता में आए तो आम लोगों को उनका हक और अधिकार दिलाएँगे। उन्होंने यह भी बताया कि गांधी मैदान की सभा में लाखों लोगों के जुटने की संभावना है और इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
अलग से यात्रा क्यों निकाल रहे तेजस्वी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का यह कदम सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। वह यह यात्रा किसी और के लिए नहीं, बल्कि अपने ही गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस के लिए कर रहे हैं। राहुल गांधी की यात्रा ने बिहार कांग्रेस को एक नई ऊर्जा दी है। राहुल की यात्रा का सियासी लाभ आरजेडी को कम, कांग्रेस को ज्यादा मिला है। कांग्रेस यह बताने में जुट गई है कि वो आरजेडी के बैसाखी के सहारे नहीं, बल्कि उसका अपना जनाधार और राजनीतिक कद है।
क्यों जरूरी है तेजस्वी के लिए यह यात्रा?
पिछले कुछ सालों से हाशिए पर चल रही कांग्रेस अब सीटों के बंटवारे में ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है। इस मांग को काउंटर करने के लिए तेजस्वी का यह कदम जरूरी है। वह यह साबित करना चाहते हैं कि आरजेडी आज भी महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है और वह अकेले ही जनता को अपने पक्ष में कर सकते हैं।
माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव अपनी खुद की यात्रा से यह साबित करना चाहते हैं कि वह महागठबंधन के निर्विवाद नेता हैं और मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में जनता की पहली पसंद हैं।
243 सीटों पर तेजस्वी के चुनाव लड़ने के मायने क्या?
दरअसल, शनिवार को मुजफ्फरपुर में आयोजित एक जनसभा में पूर्व डिप्टी सीएम और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बड़ा ऐलान करते हुए सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी। तेजस्वी ने खुले मंच से कहा कि इस बार बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर तेजस्वी चुनाव लड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी संघर्ष करेगा। मेरी आपसे अपील है कि आप मेरे नाम पर वोट करें। तेजस्वी के चेहरे को देख कर वोट दीजिए। तेजस्वी बिहार को आगे ले जाने के लिए काम करेगा। इस सरकार को हटाने के लिए हम सभी को एक साथ काम करना चाहिए।
ब्रांड तेजस्वी को मुकाबले में उतारने की तैयारी?
तेजस्वी का ये कहना कि लोग समझें कि हर सीट पर तेजस्वी यादव ही उम्मीदवार हैं, ये दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और पीएम मोदी के वोट मांगने की तरीके की तरफ इशारा कर रहे हैं। 2014 के आम चुनाव के कैंपेन के आखिरी दौर में नरेंद्र मोदी खुद के नाम पर वोट मांगने लगे थे। 2019 में तो ब्रांड मोदी को ही पेश कर दिया गया। तो क्या अब RJD बिहार में ब्रांड नीतीश के मुकाबले ब्रांड तेजस्वी को मुकाबले में उतारने की तैयारी कर रहा है?
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