Saturday, December 14, 2024
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आरक्षण 65 या 50 फीसदी, बिहार में गर्माया मुद्दा, तेजस्वी यादव बोले- जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के 65 फीसदी आरक्षण वाले फैसले को रद्द कर दिया है। इस मामले पर अब तेजस्वी यादव ने बयान देते हुए कहा है कि अगर जदयू इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी तो राजद इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगा।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Jun 20, 2024 18:22 IST, Updated : Jun 20, 2024 18:26 IST
Patna High Court gave its verdict on reservation limit Tejashwi Yadav said If JDU does not go RJD wi- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO तेजस्वी यादव

नीतीश की सरकार द्वारा बिहार में आरक्षण सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का फैसला लिया गया था। इस मामले पर अब नीतीश सरकार को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के 65 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को रद्द कर दिया है। इस मामले पर अब राजद नेता तेजस्वी यादव ने बयान दिया है। उन्होंने कहा, "हमने अति पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े समाज के लिए आरक्षण बढ़ाया था। उस समय भी हमने भारत सरकार से इसे अनुसूची 9 में डालने का अनुरोध किया था।"

तेजस्वी बोले- जदयू नहीं जाएगी तो राजद जाएगी सुप्रीम कोर्ट

तेजस्वी यादव ने कहा, "भाजपा के कुछ लोग हमेशा जनहित याचिका दायर कर ऐसे कामों को रोकना चाहते हैं और जाति आधारित जनगणना को भी इसी तरह से रोका गया था। इससे हम आहत हैं और यह काम निष्पक्ष तरीके से हुआ था। पता नहीं जदयू के लोग चुप क्यों हैं। अगर बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाती है तो राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीम कोर्ट जाएगा।" बता दें कि पटना हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण की समय सीमा वाले फैसले को रद्द किए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी बयान दिया है। उन्होंने इस बाबत सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। 

जीतन राम मांझी ने भी दिया बयान

अपने पोस्ट में जीतन राम मांझी ने लिखा, "मैं उच्च न्यायलय के आदेश पर तो टिप्पणी नहीं कर सकता पर एक बात स्पष्ट है कि आरक्षण वंचितों का अधिकार है जिसके सहारे वह अपने सपनों को पूरा करने की सोंचते है। मैं बिहार सरकार से आग्रह करता हूं कि उच्च न्यायलय के फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करें जिससे आरक्षण को बचाया जा सके।" बता दें कि बिहार सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया गया था, यानि सामान्य वर्ग के लिए मात्र 35 फीसदी ही सीटों को खाली छोड़ा गया था। 

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