छत्तीसगढ़ में आज कुल 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनके पास से 153 हथियार बरामद हुए हैं। यह अब तक की सबसे बड़ी सामूहिक आत्मसमर्पण कार्रवाई मानी जा रही है। इसके साथ ही अबूझमाड़ क्षेत्र लगभग नक्सल मुक्त घोषित किया जा सकता है, और उत्तर बस्तर से लाल आतंक का अध्याय समाप्त होने जा रहा है। अब केवल दक्षिण बस्तर का क्षेत्र शेष है, जहां सुरक्षाबल और राज्य सरकार मिलकर अंतिम चरण की तैयारी में हैं। छत्तीसगढ़ में शांति और विकास की दिशा में यह एक निर्णायक कदम है।
प्रशासन ने क्या कहा?
बस्तर के महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पट्टिलिंगम ने बताया- "माओवादी कैडर हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के इरादे से आगे आए। समाज और हम सभी ने उन्हें स्वीकार किया। उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने एके-47, इंसास, एलएमजी और एसएलआर सहित कुल 153 हथियार आत्मसमर्पण किए। यह एक ऐतिहासिक घटना थी। इतनी बड़ी संख्या में माओवादी कैडर पहले कभी नहीं थे। हिंसा छोड़ एक ही दिन में मुख्यधारा में शामिल हो गए। हमें उम्मीद है कि भविष्य में अन्य नक्सली भी, जो अभी भी जंगलों में हैं, मुख्यधारा में शामिल होंगे।"
इससे पहले दो अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के बीजापुर जिले में 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें से 49 पर कुल 1.06 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सल समस्या की समाप्ति का संकल्प लिया है।
CM क्या बोले?
नक्सलियों के सामूहिक सरेंडर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा- "आज का दिन केवल बस्तर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के लिए ऐतिहासिक है। आज बस्तर में 210 नक्सली, जो कभी माओवाद के झूठ में उलझकर वर्षों तक अंधेरी राहों पर भटकते रहे, उन्होंने संविधान और हमारी नीतियों पर विश्वास जताते हुए विकास की मुख्यधारा को अपनाया है। आज उन्होंने अपने कंधों से बंदूक उतारकर, अपने हाथों में संविधान को थामा है। आज बस्तर में बंदूकें छोड़कर सुशासन पर विश्वास जताने वाले इन युवाओं से मुलाकात मेरे जीवन के सबसे भावनात्मक और संतोष देने वाले पलों में से एक है।"
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा- "हमारी “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025”, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी योजनाएं, विश्वास और परिवर्तन का आह्वान है। इन्हीं नीतियों की ताकत है कि आज नक्सली हमारी सरकार की विश्वास और विकास की प्रतिज्ञा को स्वीकार कर रहे हैं, बंदूक छोड़कर आत्मसमर्पण की राह चुन रहे हैं। आज का यह दृश्य इस बात का प्रमाण है कि बदलाव नीतियों और विश्वास से आता है। यह क्षण हमारी सरकार की उपलब्धि से बढ़कर, छत्तीसगढ़ के शांतिपूर्ण भविष्य का शिलान्यास है। हमारी सरकार आत्मसमर्पितों के पुनर्वास और बेहतर भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है। डबल इंजन सरकार की प्रतिज्ञा है, छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त करने की और यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के नेतृत्व में यह प्रतिज्ञा पूर्ण हो रही है। जय हिंद! जय छत्तीसगढ़!"
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