दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित हुमायूं का मकबरा कैंपस में एक मस्जिद के पास कमरे की छत गिरने से कई लोग मलबे में दब गए। इनमें से 11 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है जिसमें से 6 लोगों की मौत हो गई है। हुमायूं के मकबरा के कैम्पस में मस्जिद के पास एक कमरा बना हुआ है। इसी कमरे की छत गिरी है, जिसमें 11 लोग दब गए। अधिकारियों ने बताया कि मलबे से सभी को रेस्क्यू किया गया। उन्होंने बताया कि 11 लोगों में से 9 को एम्स ट्रॉमा सेंटर, एक को राम मनोहर लोहिया अस्पताल और एक अन्य को LJPN अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल लाए गए इन घायलों में से 6 की मौत हो गई।
रेस्क्यू टीमें मौके पर मौजूद
हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस, फायर बिग्रेड और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंची। पूरे इलाके को खाली कराया गया और रेस्क्यू ऑरपरेशन शुरू किया गया। दिल्ली अग्निशमन सेवा के एक अधिकारी के अनुसार शाम करीब साढ़े चार बजे गुंबद का एक हिस्सा गिरने की सूचना मिली। हालांकि, गुंबद नहीं गिरा है। मस्जिद के पास बने एक कमरे की छत गिरी है। दिल्ली में लगातार बारिश हो रही है। इसी वजह से हादसा होने की आशंका है। इससे पहले एक पुराना पेड़ बाइक सवार पर गिर गया था। इस हादसे में बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं, एक महिला घायल हो गई थी। एक कार को भी इस हादसे में नुकसान पहुंचा था।
16वीं सदी में बना था हुमांयूं का मकबरा
हुमायूं का मकबरा दिल्ली में 1565-1572 के बीच बनाया गया था। इसे हुमायूं की पत्नी, हाजी बेगम ने बनवाया था। यह मकबरा मुगल स्थापत्य कला का पहला प्रमुख उदाहरण है। इसी से प्रेरणा लेकर ताजमहल जैसे अन्य स्मारकों बनाए गए। इस मकबरे का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से किया गया है, जो उस समय की उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री थी। ये पत्थर टिकाऊ और मौसम प्रतिरोधी होते हैं, जिसने इमारत को सदियों तक संरक्षित रखा। मुगल कारीगरों ने मजबूत नींव और संतुलित संरचना के साथ निर्माण किया। दोहरे गुंबद की तकनीक ने संरचना को स्थिरता दी और भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में मदद की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अन्य संगठनों द्वारा समय-समय पर किए गए संरक्षण कार्यों ने इसकी मजबूती को बनाए रखा है।
हाल के वर्षों में, आगा खान ट्रस्ट द्वारा 2007-2013 में बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार किया गया, जिससे संरचना को और सुदृढ़ किया गया। मकबरा आज भी मजबूत और अच्छी स्थिति में है, हालांकि पर्यावरणीय प्रदूषण और मौसम के प्रभाव से कुछ हिस्सों को नुकसान हुआ है। इस हादसे में भी मकबरा नहीं गिरा है, बल्कि मकबरा कैंपस के अंदर एक कमरे की छत गिरी है।
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