नई दिल्ली। शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीसी जोशी को पत्र लिखकर विभिन्न विभागों और संकायों से एमफिल, पीएचडी करने वाले शोधार्थियों के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है। थीसिस जमा करने की समयावधि समाप्त होने पर उन्हें 6 महीने का अतिरिक्त समय दिए की मांग की गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन से यह भी मांग की है कि इस संबंध में तुरंत सभी विभागों और संकायों के डीन को एक सकरुलर जारी कर शोधार्थियों को 6 महीने का अतिरिक्त समय दिया जाए, ताकि वे अपनी शिक्षा निरंतर जारी रख सकें।
कोरोना महामारी के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 16 संकाय और 86 शैक्षणिक विभागों से एमफिल और पीएचडी करने वाले शोधार्थियों की थीसिस जमा कराने की समयावधि अप्रैल, मई और जून में समाप्त हो रही है। डीटीए के प्रभारी व पूर्व एकेडेमिक काउंसिल के सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने बताया है कि हर विभाग में 5 से लेकर 10 या उससे अधिक शोधार्थी हैं, जिन्हें पीएचडी थीसिस जमा करनी है। लॉक डाउन के कारण आए संकट में शोधार्थियों की प्रयोगशाला, पुस्तकालय, कम्प्यूटर सेंटर, टाइपिंग सेंटर बंद है।
ऐसी स्थिति में शोधार्थियों को अपनी थीसिस जमा कराने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया है कि थीसिस से पूर्व शोधार्थियों को सेमिनार पेपर जमा करना व उसे पढ़ना होता है। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती वह थीसिस जमा नहीं करा सकते।
प्रोफेसर सुमन ने यह भी बताया है कि कुछ पीएचडी शोधार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने 5 साल की शोध अवधि पूर्ण होने पर अपने संकाय या विभाग से शोध अध्ययन मंडल से अपना शोध प्रबंध जमा करने के लिए 6 महीने की अवधि भी अप्रैल, मई में पूर्ण हो जाएगी। ऐसी स्थिति में शोधार्थी अपना पीएचडी का शोध प्रबंध लॉक डाउन के कारण अपना थीसिस कैसे जमा करा सकते हैं। इसलिए उन्हें छह महीने का अतिरिक्त समय दिया जाए।
शोध अध्ययन मंडल विशेष परिस्थितियों में अपने शोधार्थियों को 6 महीने का समय दे सकता है। इसके अतिरिक्त विशेष परिस्थितियों में अन्य 6 महीने का शोधार्थियों को विस्तार देने का अधिकार वाइस चांसलर को होता है। डीटीए ने वाइस चांसलर से मांग की है कि उन्हें दिसंबर 2021 तक का समय दिया जाए ताकि वे अपना शोध कार्य पूर्ण कर सकें।
थीसिस जमा कराने से पूर्व शोधार्थियों को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है जैसे सेमिनार पेपर, आलेख पाठ, टाइपिंग, प्रूफ रीडिंग, शोध निर्देशक से थीसिस पास कराना, पुस्तकालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र, हेल्थ सेंटर से अनापत्ति प्रमाण पत्र, कम्प्यूटर सेंटर से अनापत्ति प्रमाण पत्र, परीक्षा विभाग से, प्लेगरिजम आदि का प्रमाण पत्र के अलावा, विभाग व अन्य कार्यालयों से सारी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद ही थीसिस जमा होती है।
कई शोधार्थियों का कहना है कि उनके विभाग में सेमिनार पेपर, आलेख पाठ हो चुके हैं, कुछ विभागों ने तिथि तय करनी थी। इस पूरी प्रक्रिया को पूर्ण करने में शोधार्थियों को कई महीने लग सकते हैं। इसलिए उन्हें 6 महीने का समय दिया जाए ताकि वे अपनी उच्च शिक्षा जारी रख पीएचडी थीसिस जमा करा सके और उन्हें समय पर पीएचडी की डिग्री मिल सकें।