Friday, April 19, 2024
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स्कूल में बच्चियों को मिलना चाहिए मुफ्त सैनिटरी पैड! सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांगा जवाब

यह याचिका मध्य प्रदेश की डॉक्टर जया ठाकुर ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि दुनिया भर में तीन में से एक लड़की को अपर्याप्त स्वच्छता का सामना करना पड़ता है और कई अन्य को अपनी अवधि के दौरान सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाओं का सामना करना पड़ता है।

India TV News Desk Edited By: India TV News Desk
Updated on: November 29, 2022 13:06 IST
Supreme Court - India TV Hindi
Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देशभर के सरकारी स्कूलों में कक्षा छह से 12वीं तक पढ़ने वाली लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराने के लिए दायर याचिका पर केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा राव ने कहा कि याचिका में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्राओं की स्वच्छता का एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है और इस मामले में उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मदद मांगी है।

'मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराया जाना चाहिए'

अधिवक्ता वरिंदर कुमार शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि 11 से 18 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियां, जो गरीब पृष्ठभूमि से आती हैं, शिक्षा तक पहुंच की कमी के कारण शिक्षा प्राप्त करने में भारी कठिनाइयों का सामना करती हैं, जो एक अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 21अ के तहत और यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत मुफ्त और अनिवार्य है। याचिका में कहा गया है, "ये किशोरियां, जिन्हें मासिक धर्म और मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में अपने माता-पिता से जानकारी नहीं मिली है, आर्थिक स्थिति और जागरूकता नहीं रहने के कारण गंभीर स्वास्थ्य परिणाम की शिकार होती हैं, इसलिए इन्हें मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराया जाना चाहिए।"

जया ठाकुर ने दायर की है याचिका

यह याचिका मध्य प्रदेश की डॉक्टर जया ठाकुर ने दायर की है। याचिका में कहा गया है, "दुनिया भर में तीन में से एक लड़की को अपर्याप्त स्वच्छता का सामना करना पड़ता है और कई अन्य को अपनी अवधि के दौरान सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाओं का सामना करना पड़ता है।" इसमें कहा गया है कि मासिक धर्म चक्र के दौरान महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित स्वच्छता तक पहुंच बेहद महत्वपूर्ण है। याचिका में एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है कि उचित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन सुविधाओं की कमी के कारण हर साल लगभग 2.3 करोड़ लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं। दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले में केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया।

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