साउथ इंडस्ट्री के दिग्गज कमल हासन को फिल्म जगत में 65 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने बेहद कम उम्र में ही एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। कमल हासन ने मात्र 6 साल की उम्र में अपनी पहली फिल्म के लिए राष्ट्रीय स्तर का अवॉर्ड हासिल किया था। यह अवॉर्ड उन्हें उनकी फिल्म 'कलाथुर कन्नम्मा' के लिए मिला था, जो उस समय बेहद खास था। 1960 में मिली यह उपलब्धि न केवल कमल हासन के लिए बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा के लिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे पहले किसी बच्चे ने इतना प्रतिष्ठित पुरस्कार नहीं जीता था। इतना ही नहीं, इस रिकॉर्ड को 65 साल तक कोई नहीं तोड़ पाया।
कमल हासन का टूटा रिकॉर्ड
अब इस ऐतिहासिक रिकॉर्ड को तोड़ते हुए चार साल की नन्ही अभिनेत्री त्रेशा ठोसर ने नेशनल अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। त्रेशा ठोसर को उनकी फिल्म 'नाल 2' में निभाए गए चिन्नी के किरदार के लिए बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। इस उपलब्धि ने न केवल कमल हासन के पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा बल्कि उन्हें भी गर्व महसूस कराया। जब कमल हासन को त्रेशा ठोसर के इस कारनामे के बारे में पता चला, तो उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। कमल हासन ने लिखा, 'प्यारी मिस त्रेशा ठोसर, आपको मेरी तरफ से बहुत हौसलाफजाई। आपने मेरा रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जब मैं 6 साल का था तब मुझे मेरा पहला अवॉर्ड मिला था। अभी आपके लिए लंबा सफर बाकी है। ऐसे ही अपने शानदार टैलेंट पर काम करते रहिए। आपके परिवार के बड़ों को भी मेरी ओर से शुभकामनाएं।'
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कमल हासन ने दी बधाई
कमल हासन की इस पोस्ट पर फैंस और सोशल मीडिया यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कीं। एक यूजर ने कहा, 'मैंने 20 साल या उससे ज्यादा उम्र के कलाकारों को नेशनल अवॉर्ड लेते देखा है, लेकिन इतनी कम उम्र में ये अवॉर्ड मिलना वाकई कमाल की बात है। ढेर सारी बधाई त्रेशा ठोसर।' वहीं एक अन्य ने लिखा, 'जब आप अपनी उपलब्धियां आने वाली पीढ़ियों को बताएंगे तो लोग दंग रह जाएंगे। नन्ही एक्ट्रेस पर सभी का प्यार बरस रहा है।' साल 2025 की नेशनल अवॉर्ड सेरेमनी कई मायनों में खास रही। इस सेरेमनी में शाहरुख खान, रानी मुखर्जी और विक्रांत मैसी जैसे बड़े सितारों को भी अपना पहला नेशनल अवॉर्ड मिला।
65 साल के रिकॉर्ड को तोड़ा
साथ ही साउथ के महानायक मोहनलाल को उनके शानदार करियर के लिए दादासाहेब फाल्के सम्मान से नवाजा गया। लेकिन इस भव्य समारोह की असली चमक नन्ही त्रेशा ठोसर थीं, जिन्होंने मात्र 4 साल की उम्र में बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। यह अवॉर्ड उनके लिए भी खास था क्योंकि इससे पहले कमल हासन ने 1960 में 'कलाथुर कन्नम्मा' के लिए प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल जीता था, जो लगभग 65 वर्षों तक टूटता नहीं दिखा। अब त्रेशा ठोसर के रूप में इस रिकॉर्ड को तोड़ना भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है।
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