Thursday, December 11, 2025
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Kis Kisko Pyaar Karoon 2 Review: धर्म, दुल्हनियां और ढेर सारी गड़बड़ियां, कपिल की नई फिल्म में मस्ती का विस्फोट

'किस किसको प्यार करूं 2' एक हल्की-फुल्की पारिवारिक कॉमेडी है, जिसमें कपिल शर्मा चार शादियों के कंफ्यूजन में फंसकर हंगामा मचा देते हैं। फिल्म में साफ-सुथरा हास्य, अच्छी टाइमिंग और मजेदार किरदार हैं। फिल्म कैसी है जानने के लिए नीचे स्क्रोल करें।

Jaya Dwivedi
Published : Dec 11, 2025 09:40 pm IST, Updated : Dec 11, 2025 09:40 pm IST
kis kisko pyaar karoon 2 review- India TV Hindi
Photo: INSTAGRAM/@GULATI06 किस किसको प्यार करूं 2 मूवी रिव्यू
  • फिल्म रिव्यू: किस किसको प्यार करूं 2 मूवी रिव्यू
  • स्टार रेटिंग: 3 / 5
  • पर्दे पर: Dec 12, 2025
  • डायरेक्टर: Anukalp Goswami
  • शैली: Romantic Comedy

कपिल शर्मा का नाम आते ही हमारे जेहन में सबसे पहले कॉमेडी का ख्याल आता है। उनकी टाइमिंग, उनकी मासूमियत और आम इंसान से जुड़ा उनका हास्य, इन सबने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बनाया है। लंबे समय बाद कपिल अपनी नई फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं 2’ लेकर लौटे हैं। पहली फिल्म ने दर्शकों को गुदगुदाया था, लेकिन क्या दूसरी किस्त भी वही जादू दिखा पाती है? क्या यह फिल्म थिएटर में आपका समय और पैसा दोनों वसूल करा पाएगी? आइए, इसी सवाल का जवाब तलाशते हैं इस विस्तृत समीक्षा में।

कहानी

यदि आपने 'किस किसको प्यार करूं' का पहला भाग देखा है तो कहानी की नींव आपको बिल्कुल परिचित लगेगी। फिल्म की शुरुआत होती है मोहन से एक भोला-भाला हिंदू लड़का, जिसे कपिल शर्मा ने अपने अंदाज़ में जिया है। मोहन दिल से चाहता है सान्या को, जिसे निभाया है हीरा वरीना ने। प्यार के लिए मोहन किसी भी हद तक जाने को तैयार है, यहां तक कि धर्म बदलने तक। मगर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर होता है। सान्या से शादी की जटिलताओं में उलझते-उलझते मोहन की जिंदगी एक ऐसे मोड़ पर पहुंचती है, जहां वह एक नहीं बल्कि तीन अलग-अलग धर्मों की महिलाओं से शादी कर लेता है। यह सुनकर ही आप समझ सकते हैं कि फिल्म की जमीन कैसी कॉमेडी को जन्म देने वाली है।

मीरा (त्रिधा चौधरी), जिससे वह हिंदू बनकर शादी करता है।

रूही (आयशा खान), जिसे पाने के लिए वह महमूद बनने का ढोंग करता है।
जेनी (पारुल गुलाटी), जिसके लिए वह माइकल बन जाता है।

मोहन की मंशा बुरी नहीं, वह सभी को खुश रखने वाला दिल का साफ इंसान है। पर यही अच्छाई, कहानी को एक उलझी हुई लूप में फंसा देती है। तीन पत्नियां, तीन पहचान और एक बेचारा मोहन,ये सबकुछ तब और मुश्किल हो जाता है जब उसकी पहली मोहब्बत सान्या फिर उसके जीवन में दस्तक देती है। जैसे ही मोहन चौथी शादी की दहलीज पर पहुंचता है, तीनों पत्नियों को उसकी सच्चाई पता चल जाती है। आगे क्या होता है? इसके जवाब के लिए निर्देशक आपको थिएटर की सीट पर टिकाए रखना चाहता है।

फिल्म कैसी है?

कपिल शर्मा हों और कॉमेडी का चटपटा तड़का न लगे ऐसा होना लगभग नामुमकिन है। फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसका साफ-सुथरा हास्य है। आजकल जहां कॉमेडी अक्सर डबल मीनिंग चुटकुलों के सहारे बनाई जाती है, वहाँ यह फिल्म ताजगी देती है। न कोई अश्लीलता, न किसी को नीचा दिखाने की हरकत, बस हल्की-फुल्की, पारिवारिक और सरल कॉमेडी। फिल्म आपको कई पलों पर 90 के दशक का सिनेमा याद दिलाती है, विशेषकर गोविंदा की मस्ती से भरी फिल्में, जिनमें वे एक साथ दो या अधिक रिश्तों को संभालते दिखाए जाते थे। यहां भी वही हंगामा, वही कन्फ्यूजन और वही गलती पर गलती का मनोरंजक माहौल दिखता है। हां, यह भी सच है कि कहानी में तर्क की उम्मीद करके न जाएं। कई दृश्य ऐसे हैं जो अवास्तविक लग सकते हैं। कई बार लगता है कि फिल्म अपनी पुरानी शैली से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करती। लेकिन यदि आप दिमाग को थोड़ा आराम देकर बस मस्ती करने के लिए गए हैं, तो फिल्म आपको निराश नहीं करती। कहानी धर्मों के बीच समानता का संदेश भी देती है, कहती है कि हर धर्म में प्रेम समान होता है। लेकिन फिल्म यह भी हल्के अंदाज़ में दिखाती है कि यह समानता का अर्थ यह नहीं कि हर धर्म से एक-एक दुल्हन लाकर घर भर लिया जाए! यह व्यंग्यपूर्ण प्रस्तुति फिल्म को और रोचक बनाती है।

अभिनय: मंच पर हंसी का संगम

फिल्म के अभिनेताओं की बात करें तो कपिल शर्मा एक बार फिर साबित करते हैं कि उनका अंदाज़ किसी और के जैसा नहीं। उन्होंने इस बार अपने अभिनय में पहले से ज्यादा नियंत्रण और पकड़ दिखाई है। भावनात्मक दृश्यों में भी वह पहले से बेहतर नजर आए हैं। त्रिधा चौधरी अपने संतुलित अभिनय से प्रभावित करती हैं। आयशा खान अपनी खूबसूरती और स्क्रीन प्रेजेंस से आकर्षित करती हैं। पारुल गुलाटी का किरदार भले ही सबसे छोटा है, लेकिन वह अपनी भूमिका को ईमानदारी से निभाती हैं। सबसे कमजोर कड़ी बनती हैं हीरा वरीना, जिनके संवादों में जरूरी भावनाएं नहीं उभरतीं और जिनके हावभाव अक्सर ओवर एक्टिंग की तरफ चले जाते हैं। फिल्म में असरानी को पर्दे पर दोबारा देखना एक सुखद अनुभव है। उनकी उपस्थिति ही माहौल को हल्का और मनोरंजक बना देती है। वहीं, जॉनी लीवर की बेटी जैमी लीवर ने कमाल कर दिया। उन्होंने दिखाया कि कॉमेडी का हुनर उनकी नसों में है। उनकी टाइमिंग शार्प है और उनकी मौजूदगी स्क्रीन पर ताजगी भर देती है।

फिल्म की कमजोरियां

कहानी में नए ट्विस्ट्स की कमी खलती है। यह फिल्म अपने पहले भाग की छाया से बाहर निकलने में पूरी तरह सफल नहीं होती। लॉजिक खोजेंगे तो निराश होंगे, क्योंकि कई स्थितियां अव्यावहारिक लगती हैं। कुछ सीन घिसे-पिटे फॉर्मूले पर आधारित महसूस होते हैं।

फाइनल वर्डिक्ट

फिल्म पूरी तरह पारिवारिक है, न कोई बोल्ड कंटेंट, न कोई ऐसा दृश्य जिसे देखकर आप असहज हों। कई संवाद ऐसे हैं जो ठहाके लगवा देते हैं। हालांकि यह फिल्म अपने पहले हिस्से जितनी प्रभावी नहीं बन पाई है, फिर भी मनोरंजन का कोटा पूरा करने में कामयाब रहती है। अगर आप अपने परिवार के साथ एक हल्की-फुल्की, दिमाग आराम देने वाली कॉमेडी देखने का मन बना रहे हैं, तो ‘किस किसको प्यार करूं 2’ आपके लिए ठीक-ठाक विकल्प है। यह फिल्म न तो बहुत बड़ी यादें छोड़ जाती है, न ही निराश करती है यानी एक परफेक्ट वन-टाइम वॉच।India TV की तरह, इस फिल्म को 3 स्टार देना बिल्कुल उचित है। हंसना चाहते हैं, तनाव भूलना चाहते हैं तो थिएटर में जाकर यह फिल्म एक बार जरूर देखी जा सकती है।

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