Friday, December 13, 2024
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Explainer : भारत, चीन और पाकिस्तान... किसकी इकोनॉमी में है कितना दम? आंकड़ों से समझिए

बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही यानी जनवरी 2024 से मार्च 2024 के बीच भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी रही। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूत ग्रोथ इसके पीछे एक बड़ी वजह रही।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Jun 02, 2024 13:39 IST, Updated : Jun 02, 2024 13:39 IST
भारत की इकोनॉमी- India TV Hindi
Image Source : REUTERS भारत की इकोनॉमी

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। बड़े देशों में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट सबसे तेज है। साल 2014 से 2023 के बीच भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 55 फीसदी बढ़ी है। भारत दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी से अब पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन चुका है। सतत विकास के चलते देश की इकोनॉमी लगातार मजबूत हो रही है। कुछ विश्लेषकों के अनुसार, भारत साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है। वहीं, दूसरी तरफ पड़ोसी देशों की अर्थव्यवस्थाओं का बुरा हाल है। पाकिस्तान दिवालिया होने के करीब है, तो चीन सुस्ती और बेरोजगारी से जूझ रहा है।

दिवालिया होने के करीब है पाकिस्तान

हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें, तो वह हाल ही में दिवालिया होते-होते बचा है। पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान को अब और कर्ज मिलने में भी काफी मुश्किलें आ रही हैं। आईएमएफ ने खुद पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की क्षमता पर सवाल उठाए हैं। पाकिस्तान के रेवेन्यू का 57 फीसदी हिस्सा तो सिर्फ कर्ज का ब्याज चुकाने में चला जाता है। भारत की एक कंपनी एलआईसी का एयूएम भी पाकिस्तान की जीडीपी से दोगुना है। इससे आप समझ सकते हैं कि पाकिस्तान और भारत की दूर-दूर तक कोई तुलना ही नहीं है। पाकिस्तान की जीडीपी केवल 338.24 अरब डॉलर है। वहीं, एलआईसी का एयूएम 616 अरब डॉलर है। पाकिस्तान इस समय भारी-भरकम कर्ज के अलावा, महंगाई और बेरोजगारी से भी बुरी तरह परेशान है। वहां वस्तुओं के दाम आसमान पर हैं।

सुस्त पड़ी चीनी इकोनॉमी

वहीं, हमारे दूसरे पड़ोसी देश चीन की हालत कोविड महामारी के बाद से ही खराब है। यह देश अभी भी पूरी तरह रिकवर नहीं कर पाया है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि चीन की मैन्यूफैक्चरिंग एक्टिविटी मई में गिरी है। चीन की 18.6 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी अपने पैरों पर खड़े होने के लिए संघर्ष कर रही है। चीन की अर्थव्यवस्था का बेड़ागर्क किया है, यहां के प्रॉपर्टी मार्केट ने। चीन के प्रॉपर्टी मार्केट को लेकर आपने खूब खबरें सुनी होंगी। बड़े-बड़े बिल्डर दिवालिया हो गए। इससे इकोनॉमी पर काफी बुरा असर पड़ा है। चीन का हाउसिंग सेक्टर लगातार तबाह हो रहा है। घरेलू डिमांड काफी कम है और रिटेल सेल्स भी मजबूत नहीं है। यही नहीं, चीन इस समय बेरोजगारी की बड़ी समस्या से जूझ रहा है। अप्रैल में युवा बेरोजगारी दर 14.7 फीसदी पर थी।

भारत की शानदार ग्रोथ

भारत की इकोनॉमी के जो आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने सभी को चौंका दिया है। सरकार ने शुक्रवार को बीते वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी किये। इन आंकड़ों ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ दिया है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) द्वारा जारी डेटा के अनुसार, बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही यानी जनवरी 2024 से मार्च 2024 के बीच भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी रही। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूत ग्रोथ इसके पीछे एक बड़ी वजह रही। वहीं, सभी अनुमानों को पीछे छोडते हुए पूरे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 8.2 फीसदी रही। यह वित्त वर्ष 2022-23 में 7 फीसदी थी।

चीन का विकल्प बन रहा भारत

भारत को बड़े स्तर पर चीन के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। वैश्विक कंपनियां और देश अपनी सप्लाई चेन्स में विविधता लाने के लिए भारत में निवेश कर रहे हैं। इसकी एक वजह अमेरिका और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंध भी हैं। एपल के सप्लायर फॉक्सकॉन सहित दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियां पहले ही भारत में अपने प्लांट डाल चुकी हैं। चीन के बाद भारत ही ऐसी अकेली इकोनॉमी है, जो बड़े पैमाने पर ग्रोथ कर सकती है। इसकी वजह है हमारा काफी बड़ा मार्केट।

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