Wednesday, June 11, 2025
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Explainer: Vibe Coding क्या है? IT सेक्टर में इसे लेकर क्यों मचा है हंगामा?

Vibe Coding: सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग का यह नया तरीका आईटी सेक्टर में चर्चा का विषय बना हुआ है। कोडिंग के इस नए तरीके को लेकर कई प्रोफेशनल खुशी मना रहे हैं तो कुछ लोगों का मानना है कि यह आने वाले दिनों में समस्या पैदा कर सकता है।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : Jun 10, 2025 15:21 IST, Updated : Jun 10, 2025 15:25 IST
What is vibe coding
Image Source : FILE वाइब कोडिंग क्या है

कोडिंग (Coding) एक ऐसी तकनीक है, जिसके जरिए सॉफ्टवेयर से लेकर ऐप्स और वेबसाइट आदि डिजाइन किए जाते हैं। आप कम्प्यूटर या फिर स्मार्टफोन में अगर कोई ऐप ओपन कर रहे हैं तो उसे भी कोडिंग के जरिए ही बनाई गई है। टेक्नोलॉजी समय के साथ तेजी से बदल रही है। एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने के बाद एक नया टर्म इन दिनों आईटी सेक्टर में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जिसे वाइब कोडिंग कहा जाता है।

वाइब कोडिंग सॉफ्टवेयर प्रोग्राम लिखने का नया तरीका है, जो नई जेनरेशन के इंजीनियर्स को काफी पसंद आ रहा है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि Vibe Coding से आने वाले समय में परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। आइए, विस्तार से जानते हैं आईटी सेक्टर में हंगामा मचाने वाले इस नए टर्म के बारे में... 

क्या है Vibe Coding?

किसी भी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को लिखने के लिए आईटी प्रोफेशनल्स को घंटो कम्प्यूटर के सामने बैठना पड़ता है। उन्हें लाइन-बाई-लाइन इंस्ट्रक्शन के लिए कोडिंग करनी पड़ती है। इसके लिए टेक्निकल स्किल के साथ-साथ प्रैक्टिस की भी जरूरत होती है। वाइब कोडिंग सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को लिखने का नया तरीका है। भले ही लोग इसे किसी सोशल मीडिया ट्रेंड की तरह मान रहे हों लेकिन यह एआई का इस्तेमाल करके कोडिंग को आसान बनाने की तकनीक है।

Vibe Coding

Image Source : FILE
वाइब कोडिंग

Vibe Coding किसी भी सॉफ्टवेयर की जटिल कोडिंग को आसान बनाता है। आप इसके जरिए कम्प्यूटर में साधारण इंस्ट्रक्शन देकर सॉफ्टवेयर या ऐप क्रिएट कर सकते हैं। हाल में आए Codex, Deep Reserch जैसे AI टूल्स कोडिंग को आसान बना रहे हैं। आपको बस इन टूल्स में अपने सॉफ्टवेयर या ऐप का आइडिया लिखना है। कुछ सेकेंड्स में ये जेनरेटिव एआई टूल्स आपके लिए बेसिक सॉफ्टवेयर की कोडिंग कर देंगे। हालांकि इन एआई टूल्स को अपने आइडिया को अच्छी तरह से समझाना होगा, ताकि आपके मन मुताबिक रिजल्ट मिल सके।

कहां से आया Vibe Coding का आइडिया?

वाइब कोडिंग का आइडिया Tesla और OpenAI में काम कर चुके Andrej Karpathy लेकर आए हैं। ट्रेडिशनल ओल्ड स्कूल कोडिंग को आसान बनाने के लिए उन्हें इसका आइडिया आया है। आंद्रेज को लगा कि जितना समय हम कोडिंग करने में लगाते हैं उतना समय अगर हम अपने आइडिया को मास्टर करने में लगाएं तो सॉफ्टवेयर को और बेहतर तरीके से डेवलप किया जा सकता है। वाइब कोडिंग के लिए आपको प्रो कोडर होने की जरूरत नहीं है। एआई टूल आपको बेसिक सॉफ्टवेयर की कोडिंग करके दे देगा। इसके बाद आप उस सॉफ्टवेयर को अपने हिसाब से मास्टर कर सकते हैं।

Vibe Coding

Image Source : FILE
वाइब कोडिंग

कैसे काम करता है Vibe Coding?

  1. वाइब कोडिंग का इस्तेमाल काफी आसान है। आपको सबसे पहले ChatGPT, Google Gemini, Replit, Cursor जैसे टूल में जाना होगा।
  2. फिर आपको अपने आइडिया को विस्तार के तौर पर समझाना होगा। उदाहरण के तौर पर आप इन टूल्स में बच्चों के लिए किसी गेम को डिजाइन करने के लिए टाइप करें "I want to create a colorful hide and seek game for children below 5 years of age"
  3. आपके द्वारा कमांड टाइप करते ही ये एआई टूल आपको लिए इस तरह के गेम का कोड जेनरेट कर देंगे।
  4. इस कोड को आप टेस्ट कर सकते हैं। अगर, आपको कोडिंग में कुछ बदलना है या कोई दिक्कत आ रही है तो आप कमांड के जरिए उसे ठीक भी कर सकते हैं।

क्या Vibe Coding बढ़ा रहा टेंशन?

IT सेक्टर के कुछ लोगों का मानना है कि वाइब कोडिंग के आने से सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग करने वाले प्रोफेशनल्स आलसी हो सकते हैं। एआई द्वारा बेसिक कोडिंग की जा सकती है, जिसके आधार पर प्रभावशाली सॉफ्टवेयर तैयार नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, कॉम्पलेक्स सॉफ्टवेयर या ऐप डेवलप करने के लिए आईटी प्रोफेशनल्स को ट्रेडिशनल कोडिंग ही करनी पड़ेगी।

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