Explainer: जहां एक ओर रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को रोकने के लिए बातचीत की पहल चल रही है वहीं रूस ने एक बार फिर यूक्रेन पर जोरदार हमला बोला है। रूस ने शनिवार रात को यूक्रेन पर मिसाइल और ड्रोन से बड़ा हमला किया। रूस ने 653 ड्रोन और 51 मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए यूक्रेन को दहला दिया। रूस का हमला शुरू होते है पूरे यूक्रेन में एयर रेड अलर्ट जारी हो गए। रूस ने यूक्रेन पर जो हमले किए उसके निशाने पर यूक्रेन की एनर्जी फैसिलिटी थी। रूस यूक्रेन के बिजली घरों को खासतौर पर निशाना बना रहा है। वहीं यूक्रेन की ओर से रूस पर जो हमले किए जा रहे हैं उनमें रिफाइनरी को निशाना बनाया जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों? इस तरह की रणनीति के पीछे वजह क्या है, यह इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे।
रूस ने अपने ताजा हमले में यूक्रेन के कई इलाकों में पावर स्टेशनों और दूसरे एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर पर मिसाइल और ड्रोन से बड़ा हमला किया। एनर्जी फैसिलिटी को निशाना बनाना सैन्य रणनीति का हिस्सा होता है जिसका उद्देश्य युद्ध लड़ने की क्षमता और मनोबल को कमजोर करना है। इसके कई उद्देश्य हैं
- यूक्रेन के बिजली घरों और अन्य ऊर्जा सेंटरों पर हमले से बिजली की आपूर्ति बाधित होती है। बिजली जाने से सैना से जुड़ी कई इकाइयां भी प्रभावित होती हैं जिससे उनके कार्य पर असर पड़ता है। सेना का कम्यूनिकेशन, लॉजिस्टिक और कारखानों का संचालन मुश्किल हो जाता है।
- बड़े पैमाने पर बिजली कटौती से आम नागरिकों की भी परेशानियां बढ़ जाती हैं। पानी की कमी, यूक्रेन जैसे ठंडे प्रदेश में बिजली के जरिए घर-घर में हीटर का इस्तेमाल होता है। बिजली जाने पर हिटिंग के अभाव में आम लोग परेशान हो जाते हैं। इससे लोगों का सरकार पर दबाव बनता है।
- एनर्जी प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन की सुविधाओं को तबाह करके यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को रूस बुरी तरह से तोड़ देना चाहता है। इन फैसिलिटिज के बर्बाद होने के बाद फिर से स्थापित करने में बड़ा खर्चा आता है। इसका देश की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ता है।
- 2025 में गैस उत्पादन क्षमता के 60% हिस्से को नष्ट किया गया, जिससे 6 लाख से ज्यादा लोग बिना बिजली के रह गए। 2025 में यूक्रेन के गैस उत्पादन साइट्स पर हमलों से 8 करोड़ क्यूबिक मीटर उत्पादन प्रभावित।
यूक्रेन पर रूस के ताजा हमले
- 6 दिसंबर 2025 को रूस ने 704 हथियारों (653 ड्रोन, 51 मिसाइलें) से यूक्रेन पर सबसे बड़े हमलों में से एक किया, जिसमें 8 क्षेत्रों की ऊर्जा सुविधाएं निशाना बनीं। कीव, खार्किव, ड्निप्रो आदि में बिजली-पानी कटौती हुई।
- 29 नवंबर 202 को भी रूस ने यूक्रेन पर बड़ा हमला बोला था। 600 ड्रोन और मिसाइलों से हमले में एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान। कीव में पावर और वॉटर कटौती। ये हमले सर्दी के चरम पर हो रहे हैं, जब तापमान शून्य से नीचे जाने की उम्मीद है, जिससे मानवीय संकट बढ़ सकता है।
यूक्रेन भी रूस की तेल रिफाइनरियों को निशाना बना रहा है। इसके पीछे एक स्पष्ट रणनीतिक उद्देश्य है कि दुश्मन के उर्जा ठिकानों को तबाह कर उसे चोट पहुंचाई जाए। यूक्रेन रूस की ऊर्जा के बुनियादी ढांचे पर हमला कर उसे आर्थिक और सैन्य रूप से चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।
- रूस की अर्थव्यवस्था तेल और गैस के निर्यात पर बहुत हद तक निर्भर है। ऐसे में यूक्रेन रूस की पेट्रोलियम उत्पादों को प्रोसेस करने और बेचने की क्षमता को बाधित करना चाहता है ताकि उसकी युद्ध के लिए फंडिंग कम हो सके।
- रूस की रिफाइनरियां रूसी सेना के लिए ईंधन का उत्पादन करती हैं। ऐसे में इन पर हमला करके यूक्रेन अग्रिम मोर्चे पर मौजूद रूसी टैंकों, अन्य वाहनों और विमानों की ईंधन सप्लाई में बाधा डालना चाहता है।
- रिफाइनरियों का नुकसान होने से रूस के घरेलू बाजार में ईंधन की कमी हो सकती है जिससे कीमतों में उछाल आ सकती है। जनता में असंतोष पनप सकता है।
यूक्रेन ने रूस की इन रिफाइनरियों को बनाया निशाना
- किरीशी रिफाइनरी (Kirishi Oil Refinery)
- तुआपसे तेल रिफाइनरी (Tuapse Oil Refinery)
- वोल्गोग्राद (Volgograd) क्षेत्र की रिफाइनरी
रिफाइनरियों के अलावा, यूक्रेन ने तेल डिपो और पाइपलाइनों को भी निशाना बनाया है, जैसे कि काला सागर में गुजर रहे रूसी तेल टैंकरों पर हमला किया गया।