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International Yoga Day 2021: सुबह-सुबह जरूर करें ये 5 प्राणायाम, सिर से लेकर पैर तक की बीमारियों का होगा इलाज

India TV Health Desk Written by: India TV Health Desk
Published on: June 20, 2021 20:18 IST
  • प्राणायाम यानी अपने अंदर की प्राण ऊर्जा को बढ़ाना। प्राण का अर्थ है शरीर के अंदर नाभि, दिल और दिमाग आदि में स्थित वायु जो सभी अंगों को चलित रखती है। प्राणायाम करने से 99 फीसदी बीमारियां सही हो जाती है। विश्व योग दिवस के मौके पर जानें प्राणायाम करने की विधि।
    Image Source : freepik.com

    प्राणायाम यानी अपने अंदर की प्राण ऊर्जा को बढ़ाना। प्राण का अर्थ है शरीर के अंदर नाभि, दिल और दिमाग आदि में स्थित वायु जो सभी अंगों को चलित रखती है। प्राणायाम करने से 99 फीसदी बीमारियां सही हो जाती है। विश्व योग दिवस के मौके पर जानें प्राणायाम करने की विधि।

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प्राणायाम यानी अपने अंदर की प्राण ऊर्जा को बढ़ाना। प्राण का अर्थ है शरीर के अंदर नाभि, दिल और दिमाग आदि में स्थित वायु जो सभी अंगों को चलित रखती है। प्राणायाम करने से 99 फीसदी बीमारियां सही हो जाती है। विश्व योग दिवस के मौके पर जानें प्राणायाम करने की विधि।
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    प्राणायाम यानी अपने अंदर की प्राण ऊर्जा को बढ़ाना। प्राण का अर्थ है शरीर के अंदर नाभि, दिल और दिमाग आदि में स्थित वायु जो सभी अंगों को चलित रखती है। प्राणायाम करने से 99 फीसदी बीमारियां सही हो जाती है। विश्व योग दिवस के मौके पर जानें प्राणायाम करने की विधि।

  • भस्त्रिका प्राणायाम को 3 तरह से किया जाता है। पहले में 5 सेकंड में सांस ले और 5 सेकंड में सांस छोड़े। दूसरे में ढाई सेकंड सांस लें और ढाई सेकंड में छोड़ें। तीसरा तेजी के साथ सांस लें और छोड़े।  इस प्राणायाम को लगातार 5  मिनट करें।
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    भस्त्रिका प्राणायाम को 3 तरह से किया जाता है। पहले में 5 सेकंड में सांस ले और 5 सेकंड में सांस छोड़े। दूसरे में ढाई सेकंड सांस लें और ढाई सेकंड में छोड़ें। तीसरा तेजी के साथ सांस लें और छोड़े।  इस प्राणायाम को लगातार 5  मिनट करें।

  • अनुलोम विलोम प्राणायाम के लिए सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।
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    अनुलोम विलोम प्राणायाम के लिए सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।

  • कपालभाति प्राणायाम के लिए रीढ़ की हड्डी को सीधा करके पद्मासन पर बैठ जाए। अगर आप जमीन में नहीं बैठ सकते हैं तो   कुर्सी  पर बैठे सकते है।  सबसे पहले अपनी नाक के दोनों छिद्रों के माध्यम से एक गहरी श्वास लें।  साथ ही पेट को भी अंदर की और बहार की ओर धकेले। इस प्रकिया को बार-बार दोहराएं।
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    कपालभाति प्राणायाम के लिए रीढ़ की हड्डी को सीधा करके पद्मासन पर बैठ जाए। अगर आप जमीन में नहीं बैठ सकते हैं तो   कुर्सी  पर बैठे सकते है।  सबसे पहले अपनी नाक के दोनों छिद्रों के माध्यम से एक गहरी श्वास लें।  साथ ही पेट को भी अंदर की और बहार की ओर धकेले। इस प्रकिया को बार-बार दोहराएं।

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इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है
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    इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है

  • उज्जायी प्राणायाम में गले से सांस  अंदर भरकर जितनी देर रोक सके उतनी देर रोके। इसके बाद दाएं नाक को बंद करके बाएं नाक के छिद्र से छोड़े।
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    उज्जायी प्राणायाम में गले से सांस  अंदर भरकर जितनी देर रोक सके उतनी देर रोके। इसके बाद दाएं नाक को बंद करके बाएं नाक के छिद्र से छोड़े।