Friday, December 12, 2025
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PHOTOS: फिर फटा भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी, कई दिनों से उगल रहा है आग और राख

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX Published : Oct 11, 2025 05:23 pm IST, Updated : Oct 11, 2025 05:23 pm IST
  • शायद ही कोई होगा जिसने ज्वालामुखी विस्फोट की तस्वीरें न देखी हों, या उनके बारे में न सुना हो। अक्सर इस तरह की खबरें विदेश से ही आती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में भी एक सक्रिय ज्वालामुखी है? जी हां, अंडमान सागर में बसा बैरन आइलैंड भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है, जो अपनी रहस्यमयी खूबसूरती और प्रकृति के करिश्मे के लिए जाना जाता है। यह छोटा सा टापू अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का हिस्सा है और पोर्ट ब्लेयर से करीब 138 किलोमीटर दूर है। इस ज्वालामुखी की उम्र 16 लाख साल है और यह 106 मिलियन साल पुराने समुद्री क्रस्ट पर खड़ा है।
    Image Source : PTI
    शायद ही कोई होगा जिसने ज्वालामुखी विस्फोट की तस्वीरें न देखी हों, या उनके बारे में न सुना हो। अक्सर इस तरह की खबरें विदेश से ही आती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में भी एक सक्रिय ज्वालामुखी है? जी हां, अंडमान सागर में बसा बैरन आइलैंड भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है, जो अपनी रहस्यमयी खूबसूरती और प्रकृति के करिश्मे के लिए जाना जाता है। यह छोटा सा टापू अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का हिस्सा है और पोर्ट ब्लेयर से करीब 138 किलोमीटर दूर है। इस ज्वालामुखी की उम्र 16 लाख साल है और यह 106 मिलियन साल पुराने समुद्री क्रस्ट पर खड़ा है।
  • इस ज्वालामुखी के फटने की घटना पहली बार 1787 में दर्ज की गई थी। उसके बाद से लेकर 2022 तक यह कई बार लावा और राख उगल चुका है। सितंबर से यह फिर सक्रिय है और 2 अक्टूबर 2025 को इसने 10000 फीट की ऊंचाई तक राख का गुबार उड़ाया। बैरन आइलैंड का ज्वालामुखी न सिर्फ भारत का, बल्कि सुमात्रा से म्यांमार तक फैली ज्वालामुखी श्रृंखला का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी है। यह हिंद महासागर की प्लेट के बर्मा प्लेट के नीचे धंसने से बना है। यहां का लावा ज्यादातर बेसाल्ट और बेसाल्टिक एंडेसाइट से बना होता है, जो स्ट्रॉमबोलियन और हवाईयन शैली में फटता है। यानी, यह लावा फव्वारे और छोटे-छोटे राख के बादल बनाता है।
    Image Source : Indian Navy
    इस ज्वालामुखी के फटने की घटना पहली बार 1787 में दर्ज की गई थी। उसके बाद से लेकर 2022 तक यह कई बार लावा और राख उगल चुका है। सितंबर से यह फिर सक्रिय है और 2 अक्टूबर 2025 को इसने 10000 फीट की ऊंचाई तक राख का गुबार उड़ाया। बैरन आइलैंड का ज्वालामुखी न सिर्फ भारत का, बल्कि सुमात्रा से म्यांमार तक फैली ज्वालामुखी श्रृंखला का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी है। यह हिंद महासागर की प्लेट के बर्मा प्लेट के नीचे धंसने से बना है। यहां का लावा ज्यादातर बेसाल्ट और बेसाल्टिक एंडेसाइट से बना होता है, जो स्ट्रॉमबोलियन और हवाईयन शैली में फटता है। यानी, यह लावा फव्वारे और छोटे-छोटे राख के बादल बनाता है।
  • 1991 में हुए ज्वालामुखी विस्फोट ने टापू की जैव-विविधता को काफी नुकसान पहुंचाया था, और इसकी वजह से पक्षियों की कई प्रजातियां गायब हो गईं। फिर भी, कुछ जीव जैसे बकरियां और चमगादड़ यहां के कठिन माहौल में जीवित हैं। 1991 में 6 महीने तक ज्वालामुखी में चली हलचल ने टापू को काफी बदल दिया। उस समय वैज्ञानिकों ने पाया कि 16 में से सिर्फ 6 पक्षी प्रजातियां बची थीं, जिनमें पीड इंपीरियल कबूतर सबसे ज्यादा थे। रात के सर्वे में चूहे और 51 तरह के कीड़े भी दिखे।
    Image Source : PTI
    1991 में हुए ज्वालामुखी विस्फोट ने टापू की जैव-विविधता को काफी नुकसान पहुंचाया था, और इसकी वजह से पक्षियों की कई प्रजातियां गायब हो गईं। फिर भी, कुछ जीव जैसे बकरियां और चमगादड़ यहां के कठिन माहौल में जीवित हैं। 1991 में 6 महीने तक ज्वालामुखी में चली हलचल ने टापू को काफी बदल दिया। उस समय वैज्ञानिकों ने पाया कि 16 में से सिर्फ 6 पक्षी प्रजातियां बची थीं, जिनमें पीड इंपीरियल कबूतर सबसे ज्यादा थे। रात के सर्वे में चूहे और 51 तरह के कीड़े भी दिखे।
  • 2005-07 की घटना को 2004 के हिंद महासागर भूकंप से जोड़ा गया, जिसने एक लाइटहाउस को भी नष्ट कर दिया। 2017-19 में फिर से लावा के फव्वारे और राख के बादल देखे गए, जो रात में लाल चमक के साथ बेहद खूबसूरत नजारा पेश कर रहे थे। 2022 से यह ज्वालामुखी समय-समय पर आग और राख उगलता रहता है। हैरानी की बात है कि कुछ बकरियां, जो 1891 में ब्रिटिश नाविकों द्वारा लाई गई थीं, यहां ताजे पानी के 2 झरनों और घनी हरियाली की मदद से जीवित हैं। इसके अलावा, कबूतर, चमगादड़ और चूहे भी इस कठिन माहौल में जिंदा हैं।
    Image Source : Indian Navy
    2005-07 की घटना को 2004 के हिंद महासागर भूकंप से जोड़ा गया, जिसने एक लाइटहाउस को भी नष्ट कर दिया। 2017-19 में फिर से लावा के फव्वारे और राख के बादल देखे गए, जो रात में लाल चमक के साथ बेहद खूबसूरत नजारा पेश कर रहे थे। 2022 से यह ज्वालामुखी समय-समय पर आग और राख उगलता रहता है। हैरानी की बात है कि कुछ बकरियां, जो 1891 में ब्रिटिश नाविकों द्वारा लाई गई थीं, यहां ताजे पानी के 2 झरनों और घनी हरियाली की मदद से जीवित हैं। इसके अलावा, कबूतर, चमगादड़ और चूहे भी इस कठिन माहौल में जिंदा हैं।
  • यह टापू 'बैरन आइलैंड वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी' के तहत संरक्षित है। स्कूबा डाइविंग के शौकीनों के लिए भी यह किसी जन्नत से कम नहीं। बैरन आइलैंड के आसपास का पानी क्रिस्टल की तरह साफ है, जहां मंटा रे मछलियां, अनोखी बेसाल्ट संरचनाएं और तेजी से बढ़ते कोरल गार्डन देखने को मिलते हैं। इस जगह पर जहाजों या स्वराज द्वीप से स्कूबा ऑपरेटरों के जरिए पहुंचा जा सकता है।
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    यह टापू 'बैरन आइलैंड वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी' के तहत संरक्षित है। स्कूबा डाइविंग के शौकीनों के लिए भी यह किसी जन्नत से कम नहीं। बैरन आइलैंड के आसपास का पानी क्रिस्टल की तरह साफ है, जहां मंटा रे मछलियां, अनोखी बेसाल्ट संरचनाएं और तेजी से बढ़ते कोरल गार्डन देखने को मिलते हैं। इस जगह पर जहाजों या स्वराज द्वीप से स्कूबा ऑपरेटरों के जरिए पहुंचा जा सकता है।