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घर बनवाते समय वास्तु शास्त्र का पालन करना बेहद जरूरी है, इससे घर में पॉजिटिविटी, सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। खासतौर पर सीढ़ियों का स्थान, दिशा और डिजाइन घर की ऊर्जा पर गहरा असर डालते हैं। गलत दिशा या गलत तरीके से बनी सीढ़ियां परेशानी, विवाद और आर्थिक हानि का कारण बन सकती हैं। इसलिए सीढ़ियां बनवाते समय वास्तु नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
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सीढ़ियों का वास्तु में महत्व: वास्तु के अनुसार, सीढ़ियां पंचतत्वों के संतुलन को प्रभावित करती हैं। यह सिर्फ घर के एक हिस्से का निर्माण नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह का मुख्य मार्ग मानी जाती हैं। सही दिशा में बनी सीढ़ियां सौभाग्य, प्रगति और शांति लाती हैं, जबकि गलत दिशा या गलत ढंग से बनी सीढ़ियां अशांति पैदा करती हैं।
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क्या होनी चाहिए सीढ़ियों की सही दिशा?: वास्तु एक्सपर्ट्स के अनुसार, घर के भीतर सीढ़ियों की शुरुआत दक्षिण या पश्चिम दिशा से करनी चाहिए। यह दिशा स्थिरता और मजबूती का प्रतीक मानी जाती है। सीढ़ियां हमेशा घड़ी की सुई की दिशा (Clock wise) में ऊपर की ओर बढ़नी चाहिए। ध्यान रखें कि सीढ़ियों की पैड़ियों की संख्या 12 से ज्यादा न हो, इससे ऊर्जा प्रवाह में संतुलन बना रहता है।
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घर में कहां न बनाएं सीढ़ियां?: वास्तु शास्त्र में कुछ स्थानों पर सीढ़ियां बनाना वर्जित माना गया है। कभी भी मेन डोर के ठीक सामने सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए। घर के ब्रह्मस्थान (मध्य भाग) में सीढ़ियां बनाना बड़ा दोष माना जाता है। ऐसी सीढ़ियां घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाती हैं और गृह क्लेश तथा आर्थिक समस्याओं का कारण बनती हैं।
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सीढ़ियों पर गेट लगाना क्यों जरूरी?: वास्तु के अनुसार सीढ़ियों के दोनों ओर गेट लगवाना शुभ माना गया है। इससे घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा नियंत्रित रहती है। ध्यान रखें कि नीचे वाले गेट की तुलना में ऊपर वाला गेट थोड़ा छोटा होना चाहिए। यह वास्तु संतुलन को बनाए रखता है और सीढ़ियों की शुभता को बढ़ाता है।
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सीढ़ियों के नीचे क्या न बनवाएं?: सीढ़ियों के नीचे जगह खाली रखना बेहद जरूरी है। वास्तु के अनुसार, सीढ़ियों के नीचे किचन, बाथरूम, पूजा स्थान, स्टडी रूम बिल्कुल नहीं होने चाहिए। यहां शू रैक भी नहीं रखना चाहिए। ये सभी चीजें बड़ा वास्तु दोष उत्पन्न करती हैं, जिससे घर में तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं और धन हानि की आशंका रहती है।
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अधूरी या गलत डिजाइन वाली सीढ़ियां: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के भीतर अधूरी, टेढ़ी-मेढ़ी या बहुत छोटी-बड़ी सीढ़ियां अशुभ मानी जाती हैं। ऐसी सीढ़ियां असंतुलन और नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती हैं। सीढ़ियों का डिजाइन हमेशा एक समान, संतुलित और पूर्ण होना चाहिए, ताकि ऊर्जा का प्रवाह सुचारु रहे और घर में समृद्धि बनी रहे।
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ईशान कोण में सीढ़ियां क्यों वर्जित?: उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में सीढ़ियां नहीं बनानी चाहिए। यह दिशा देवताओं की दिशा मानी जाती है, यहां सीढ़ियां बनवाने से बड़े वास्तु दोष लगते हैं। इससे धन हानि, तनाव और अचानक होने वाली परेशानियां बढ़ती हैं। यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।