Monday, April 29, 2024
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5वीं पास शख्स ने किया इतना बड़ा घोटाला कि हैरान रह गई पुलिस, केंद्र सरकार को लिखेगी चिट्ठी

सूरत पुलिस ने फर्जी सरकारी दस्तावेज तैयार करने के मामले में बड़ा खुलासा किया है। पुलिस ने बाद में जिन और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया उन्हें लेकर कई बड़े खुलासे हुए हैं। पुलिस ने फर्जी दस्तावेज बनाने वाली 50 और वेबसाइटों का पता लगाया है, जिसे इन दोनों आरोपियों ने बनाई थी।

Reported By : Nirnay Kapoor Edited By : Malaika Imam Updated on: September 12, 2023 9:26 IST
फेक सरकारी दस्तावेज कर रहे थे तैयार- India TV Hindi
फेक सरकारी दस्तावेज कर रहे थे तैयार

सूरत पुलिस को बीते दिनों एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी थी। सूरत शहर में एक वेबसाइट का इस्तेमाल कर फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था। अब इस मामले में राष्ट्रव्यापी घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है। दरअसल, सूरत शहर के उमरा पुलिस स्टेशन में एक मामला दर्ज किया गया था। इसके मुताबिक, शिकायतकर्ता (एचडीएफसी बैंक) ने कहा था कि 17 लोन आवेदकों की ओर से फर्जी दस्तावेजों के जरिए 92 लाख रुपये का कुछ लोगों ने लोन लिया था। बैंक की शिकायत के आधार पर पुलिस ने शुरुआत में 6 लोगों को गिरफ्तार किया और इस मामले में आगे की जांच जारी है। 

राजस्थान और उत्तर प्रदेश के हैं आरोपी

इस दौरान पूछताछ में एक आरोपी प्रिंस से पता चला कि ऐसे दस्तावेज एक वेबसाइट https://premsinghpanel.xyz/ से बनाए गए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच में तेजी लाई गई और वेबसाइट, बैंक अकाउंट्स, पेमेंट गेटवे, सीडीआर के गहन तकनीकी विश्लेषण के बाद दो व्यक्ति राजस्थान के श्रीगंगानगर के सोमनाथ और उत्तर प्रदेश के उन्नाव के प्रेम सिंह की पहचान की गई और फील्ड ऑपरेशन को सावधानीपूर्वक अंजाम दिया गया, जिसमें पुलिस को दोनों आरोपियों को पकड़ने में कामयाबी मिल गई। दिलचस्प बात यह है कि मुख्य आरोपी सिर्फ 5वीं पास है।

2 लाख से ज्याादा बनाए गए पहचान पत्र

पोर्टल रिटेलर आईडी के लिए 199 रुपये और डिस्ट्रीब्यूटर आईडी के लिए 999 रुपये ले रहा था। पोर्टल का इस्तेमाल नकली आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र और असली आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर कार्ड, आयुष्मान कार्ड आदि प्रिंट करने के लिए किया जा रहा था, जिसे 15 रुपये से 200 रुपये तक में बेच रहे थे। सी पैनल के आगे के विश्लेषण से पता चला कि इस पोर्टल से तीन सालों में करीब 2 लाख से अधिक पहचान पत्र बनाए गए थे। भुगतान पेटीएम और एक एक्सिस बैंक खाते में किए गए। 

पुलिस ने 50 और वेबसाइटों का पता लगाया

आगे की जांच में आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offence Wing) ने ऐसी 50 और वेबसाइटों का पता लगाया है, जो सोमनाथ और प्रेम सिंह द्वारा बनाई गई थीं। ऐसे में अब सूरत पुलिस केंद्र को अपनी साइटों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए पत्र लिखने जा रही है, क्योंकि इन सभी साइटों से बिना कोई निशान छोड़े डेटा चुराया गया था। 

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