Friday, April 26, 2024
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जामनगर में WHO केंद्र की स्थापना के साथ शुरू होगा पारंपरिक चिकित्सा का युग: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि यहां WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (जीसीटीएम) की स्थापना से विश्व में पारंपरिक चिकित्सा के युग की शुरुआत होगी।

Swayam Prakash Edited by: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: April 19, 2022 22:03 IST
PM Modi in Jamnagar- India TV Hindi
Image Source : PTI PM Modi in Jamnagar

Highlights

  • जामनगर में वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना
  • WHO के महानिदेशक के साथ PM ने आधारशिला रखी
  • "विश्व में पारंपरिक चिकित्सा के युग की शुरुआत होगी"

जामनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि यहां WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (जीसीटीएम) की स्थापना से विश्व में पारंपरिक चिकित्सा के युग की शुरुआत होगी। मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ ट्रेडोस गेब्रेयसस और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के साथ केंद्र की आधारशिला रखी। 

उल्लेखनीय है कि मोदी और गेब्रेयसस के बीच बैठक भारत द्वारा देश में कोविड-19 से संबंधित मौतों की संख्या का अनुमान लगाने संबंधी WHO की कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताए जाने के कुछ दिनों बाद हुई। मोदी ने इस अवसर पर कहा, "जब भारत अभी अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, इस केंद्र के लिए यह शिलान्यास समारोह अगले 25 वर्षों के दौरान दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।" 

उन्होंने कहा, "समग्र स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए मुझे विश्वास है कि पारंपरिक चिकित्सा और यह केंद्र 25 साल बाद दुनिया के प्रत्येक परिवार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाएगा, जब भारत आजादी के 100 साल का जश्न मनाएगा।" उन्होंने कहा कि हालांकि "रोगमुक्त" होना महत्वपूर्ण है, लेकिन अंतिम लक्ष्य "अच्छा स्वास्थ्य" होना चाहिए। मोदी ने कहा, "कोविड-19 महामारी के दौरान, हमने स्वास्थ्य के महत्व को महसूस किया। यही कारण है कि दुनिया स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी के नए रास्ते तलाश रही है।" 

प्राचीन शास्त्रों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि आयुर्वेद और अन्य भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियां केवल उपचार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्हें समग्र विज्ञान माना जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय पारंपरिक ज्ञान आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी नयी बीमारियों और रोगों से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने मोटा अनाज को महत्व देने संबंधी भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करने और 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का धन्यवाद व्यक्त किया। 

पीएम मोदी ने कहा, "भारत में एक समय था जब हमारे बुजुर्ग मोटे अनाज के उपयोग पर जोर देते थे। लेकिन हमने गुजरते वर्षों में इसके उपयोग में गिरावट देखी। लेकिन लोग एक बार फिर इसके बारे में बात कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि संयुक्त राष्ट्र ने भी हमारे आहार में मोटे अनाज के इस्तेमाल को लोकप्रिय बनाने के लिए भारत के प्रस्ताव को स्वीकार किया है।" प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को सूचित किया कि वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है। मोदी ने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों पर आधारित ‘फॉर्मूलेशन’ की आज दुनियाभर में भारी मांग में है। 

पीएम ने कहा कि योग दुनियाभर में मधुमेह, मोटापा, अवसाद और ऐसी कई बीमारियों से लड़ने में लोगों की मदद कर रहा है। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि केंद्र विश्व स्तर पर योग को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने WHO-GCTM के लिए भी पांच लक्ष्य निर्धारित किए। उन्होंने कहा, ‘‘आपका पहला लक्ष्य दुनिया में उपलब्ध सभी पारंपरिक दवाओं का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना होना चाहिए। इस केंद्र में ऐसे सभी पारंपरिक ज्ञान का वैश्विक भंडार होना चाहिए। इससे हमें विभिन्न देशों की पारंपरिक चिकित्सा के बारे में अगली पीढ़ियों के लिए इस ज्ञान को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’ 

पीएम मोदी ने कहा कि जीसीटीएम को पारंपरिक दवाओं के परीक्षण और प्रमाणन के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित करने की दिशा में भी काम करना चाहिए। मोदी ने कहा, "इससे पारंपरिक दवाओं के बारे में विश्वास पैदा करने में मदद मिलेगी। हालांकि भारत की कई पारंपरिक दवाएं विदेशों में लोकप्रिय हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानकों की कमी के कारण आपूर्ति सीमित है।" तीसरे लक्ष्य के रूप में प्रधानमंत्री ने केंद्र को पारंपरिक चिकित्सा महोत्सव जैसे वार्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करने का सुझाव दिया ताकि दुनियाभर के विशेषज्ञ एक साथ आ सकें। 

उन्होंने कहा, "आपका चौथा उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान के लिए धन जुटाना होना चाहिए। जैसे फार्मा क्षेत्र को अनुसंधान के लिए अरबों का धन मिलता है, हमें इस क्षेत्र के लिए समान संसाधन विकसित करने की आवश्यकता है।" अंत में, प्रधानमंत्री ने केंद्र से कुछ विशिष्ट बीमारियों के लिए "समग्र उपचार प्रोटोकॉल" विकसित करने का भी आग्रह किया।

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