Sunday, April 28, 2024
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पानी को लेकर ‘सागर’ में सेना और किसान आमने-सामने, चितौरा डैम पर जवान तैनात

राज्य की राजधानी भोपाल से 165 किलोमीटर दूर सागर जिले में चितौरा डैम पर पानी को लेकर संग्राम होता दिखाई दे रहा है।

Anurag Amitabh Reported by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Published on: December 14, 2019 10:05 IST
Army deployed at Chitora Dam- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Army deployed at Chitora Dam

सागर (मध्य प्रदेश): राज्य की राजधानी भोपाल से 165 किलोमीटर दूर सागर जिले में चितौरा डैम पर पानी को लेकर संग्राम होता दिखाई दे रहा है। यहाँ सेना के एक दर्जन जवानों को तैनात किया गया है, जो 12 किलोमीटर लम्बी नदी और चितौरा एनीकट डैम पर पेट्रोलिंग करते हैं। सेना के इस पहरे की वजह कैंट इलाके में गर्मियों के मौसम में होने वाला जलसंकट है। दरअसल, सागर में सेना की छावनी है, जिसे नगर पालिक निगम, बेबस नदी पर बनी राजघाट परियोजना के जरिए चितौरा डैम एनीकट पर पानी देता है। जिसके बाद यहाँ से सागर के कैंट इलाके में पानी की सप्लाई की जाती है। लेकिन, डैम के आसपास किसान खेती के लिए इसके पानी का इस्तेमाल करते है। जिस कारण गर्मी के मौसम में (खास कर मई और जून के महीने में) कैंट इलाके में जलसंकट हो जाता है। 

इस जल संकट से बचने के लिए सेना अभी से सतर्क हो गयी है और जो किसान सिचाई के लिए मोटर लगाकर पानी का उपयोग करते हैं, उन्हें सेना द्वारा रोक दिया जाता है। सेना के जवान किसानों की मोटर भी जप्त कर लेते हैं। वहीं इस सब से किसानों और सेना में तनाव भी होने लगा है। इसी के चलते सागर शहर से 10 किलोमीटर दूर चितौरा डेम पर सेना के जवान हाथों में बंदूक लेकर पहरा दे रहे हैं और किसानों को बेबस नदी पर बने राजघाट परियोजना से लेकर चितौरा डैम के 12 किलोमीटर लम्बी नदी से पानी लेने से रोक लगा दी है। आसपास के 6 गांव के किसानों के मुताबिक, जो किसान इस स्टॉप डेम से पानी निकालते हैं, उनके मोटर, सेक्सन, कंडेशन, इलेक्ट्रिक तार वहां से जप्त कर लिए जाते हैं। इसके साथ ही सेना ने हिदायत दी है कि आगे से इस डेम के पानी का उपयोग ना करें। 

बताया जा रहा हैं कि राजघाट से सेना डेम की दूरी करीब 12 किलोमीटर है और इस रास्ते में पड़ने वाले जितने भी गांव हैं उनके किसानों पर सिंचाई के लिए पानी पर प्रतिबंध लगा है। अब सिचाई नहीं होने से किसानों की फसलें सूख रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, सेना के अधिकारियों का कहना है कि 1995 में सागर नगर निगम द्वारा डैम के पानी से जल निकाय को सेना को इस्तेमाल के लिए दिया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, यह पहली बार नहीं है जब वह इस तरीके से डैम के पानी की रखवाली के लिए जवानों की तैनाती कर रहे हैं इसकी अनुमति सागर निगम ने पहले ही दे रखी है क्योंकि पिछली बार गर्मियों में पानी की कमी का सामना करना पड़ता था, इसलिए इस बार पानी की सुरक्षा के लिए सेना ने सख्त योजना बनाई है।

चितौरा गांव के सरपंच बृजेंद्र सिंह ने इंडिया टीवी को बताया सेना के जवान चितौरा डैम से पानी लेने के लिए मना करते हैं। इसके चलते 6 गांव से ज्यादा के किसान परेशान हैं, पंद्रह सौ एकड़ से ज्यादा की फसल खराब हो रही है, पानी के लिए अगर मोटर लगाते हैं तो जवान मोटर ले जाते हैं। वहीं, भाजपा विधायक प्रदीप लारिया का मानना है कि किसानों को अगर परेशानी हो रही है तो प्रशासन को इसका समाधान निकालना चाहिए। अगर सेना दावा कर रही है कि इस पानी पर उनका हक है तो प्रशासन ने किसानों के लिए क्या व्यवस्था की है यह भी तय किया जाना चाहिए।

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