Wednesday, April 17, 2024
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Uttrakhand Glacier Burst: पहले प्रोजेक्ट से 32 और दूसरे प्रोजेक्ट से 121 लोग लापता- DGP

डीजीपी अशोक कुमार ने मीडिया को बताया कि तपोवन में कल छोटी टनल से कल 12 लोगों को बचाया गया है। ग्लेशियर टूटने से रैणी पावर प्रोजेक्ट पूरा बह गया और तपोवन भी क्षतिग्रस्त हुआ। पहले प्रोजेक्ट से 32 लोग लापता हैं और दूसरे प्रोजेक्ट से 121 लोग लापता हैं।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 08, 2021 9:38 IST

चमोली. उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने से भीषण आपदा आई। इस आपदा के वजह से भीषण नुकसान हुआ है। घटना के बाद से ही राहत और बचाव कार्य जारी है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने मीडिया से कहा कि तपोवन में कल छोटी टनल से कल 12 लोगों को बचाया गया है। ग्लेशियर टूटने से रैणी पावर प्रोजेक्ट पूरा बह गया और तपोवन भी क्षतिग्रस्त हुआ। पहले प्रोजेक्ट से 32 लोग लापता हैं और दूसरे प्रोजेक्ट से 121 लोग लापता हैं। इनमें से 10 शव बरामद हो गए हैं। तपोवन प्रोजेक्ट में दो टनल थीं। उन्होंने कहा कि अब तक 10 शव बरामद किए गए हैं- जिनमें से 3 शव तपोवन में मिले जबकि 7 कर्णप्रयाग के रास्ते में। बड़ी सुरंग को खोलने के प्रयास जारी हैं। इससे मलबा हटाया जा रहा है।

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एयरफोर्स ने भी शुरू किया रेस्क्यू ऑपरेशन

भारतीय वायुसेना ने बताया कि देहरादून से जोशीमठ के लिए एमआई-17 और ALH हेलीकॉप्टर के उड़ान भरने के साथ हवाई राहत और बचाव अभियान फिर से शुरू हुआ। चमोली में आई आपदा के बाद वायुसेना के विमान तथा हेलिकॉप्टर रविवार को ही जौलीग्रांट हवाईअड्डा पहुंच गए थे। हवाईअड्डे के निदेशक डीके गौतम ने यहां बताया कि वायु सेना के सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस के दो भारी परिवहन विमान व दो अन्य विमान रविवार देर शाम यहां पहुंच गए। उन्होंने बताया कि इसके अलावा एमआई-17 के तीन व एक एएलएच हेलीकॉप्टर भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने के लिए आए हैं।

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ताजा हुईं केदारनाथ आपदा की भयावह यादें
 उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को हिमखंड टूटने से नदियों में आई विकराल बाढ़ ने आठ साल पहले की केदारनाथ आपदा की भयावह यादें फिर से ताजा कर दीं। हांलांकि, गनीमत यह रही कि वर्ष 2013 की तरह इस बार बारिश नहीं थी और आसमान पूरी तरह साफ था जिससे हेलीकॉप्टर उड़ाने में मौसम बाधा नहीं बना । राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की टीमें जल्द ही प्रभावित स्थान पर पहुंच गईं और बचाव अभियान तुरंत शुरू कर दिया गया। 

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मुख्यमंत्री ने लिया आपदा स्थल का जायजा
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बिना समय गंवाए आपदा की सूचना मिलते ही तत्काल हेलीकॉप्टर से प्रभावित स्थल पर पहुंचे और मौके का जायजा लिया। वह स्वयं बचाव और राहत कार्य कार्य की निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रभावित स्थलों पर बचाव और राहत कार्य मुस्तैदी से चलाया जा रहा है। इसके उलट वर्ष 2013 में आई आपदा में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को आपदा की गंभीरता को समझने में समय लगने के कारण तीखी आलोचना झेलनी पड़ी थी जिसके चलते उन्हें सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा था।

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