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छत्तीसगढ़ की बिजली नेपाल में भी बिखेर रही है उजियारा

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बिजली का खजाना समय के साथ-बढ़ता जा रहा है। इसके साथ-साथ छत्तीसगढ़ की जगमगाहट भी बढ़ती जा रही। नवोदित तेलंगाना राज्य छत्तीसगढ़ से एक हजार मेगावाट बिजली खरीदने का इच्छुक है। छत्तीसगढ़

IANS
Published : Dec 30, 2015 09:28 pm IST, Updated : Dec 30, 2015 09:28 pm IST
electricity of chhattisgarh is also gleaming in nepal- India TV Hindi
electricity of chhattisgarh is also gleaming in nepal

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बिजली का खजाना समय के साथ-बढ़ता जा रहा है। इसके साथ-साथ छत्तीसगढ़ की जगमगाहट भी बढ़ती जा रही। नवोदित तेलंगाना राज्य छत्तीसगढ़ से एक हजार मेगावाट बिजली खरीदने का इच्छुक है। छत्तीसगढ़ की बिजली देश के विभिन्न राज्यों के साथ देश की सीमाओं के बाहर स्थित पड़ोसी देश नेपाल में भी उजियारा बिखेर रही है। पावर ट्रेडिंग कार्पोरेशन के माध्यम से नेपाल छत्तीसगढ़ से तीस मेगावाट बिजली ले रहा है। मध्यप्रदेश को तीन सौ मेगावाट बिजली दी जा रही है। वहीं केरल भी छत्तीसगढ़ से एक सौ मेगावाट बिजली ले रहा है।

नया राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य बिजली कंपनी के उत्पादन संयंत्रों की क्षमता में जहां 1064.70 मेगावाट की बढ़ोतरी हुई है, वहीं एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ के निजी बिजली घरों में अगले 3-4 महीनों में करीब चार हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू होगा। निजी कंपनियों और राज्य शासन तथा छत्तीसगढ़ पावर कंपनी के मध्य हुए एमओयू की शर्तो के अनुसार, ये निजी कंपनियां अपनी बिजली उत्पादन क्षमता की साढ़े सात प्रतिशत बिजली लागत मूल्य पर छत्तीसगढ़ पावर कंपनी को दंेगी और कुल उत्पादन क्षमता की तीस प्रतिशत बिजली पर पहला अधिकार छत्तीसगढ़ सरकार का होगा। निजी बिजली घरों में उत्पादन शुरू होने का लाभ छत्तीसगढ़ सहित देश के दूसरे राज्यों को भी मिलेगा।

आज देश के कई राज्य बिजली के गंभीर संकट जूझ रहे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता ने यहां खेती-किसानी, उद्योग-वाणिज्य और व्यवसायों को फलने-फूलने का अच्छा अवसर प्रदान किया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किसानों, उद्योगों और घरेलू उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता की बिजली प्रदेश के अन्य राज्यों की तुलना में कम दरों पर उपलब्ध कराई जा रही है। प्रदेश के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों द्वारा खेती किसानी में उपयोग की जा रही पूरी बिजली राज्य सरकार द्वारा नि:शुल्क कर दी गई है।

राज्य शासन के इस फैसले से इन वर्गो के प्रदेश के लगभग 80 हजार किसान लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य सरकार किसानों को सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण के लिए अनुदान उपलब्ध कराती है। राज्य शासन द्वारा आवश्यक विद्युत लाइन विस्तार के लिए दी जाने वाली अनुदान की राशि प्रति पंप कनेक्शन पचास हजार रुपये से बढ़ाकर 75 हजार रुपये कर दी गई है। यदि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के किसानों से पम्प कनेक्शन पर इस सीमा से ज्यादा खर्च आने का अनुमान होता है, तो यह राशि अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण, बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण तथा सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र आदिवासी प्राधिकरण के माध्यम से दी जाती है।

अब तक लगभग 65.51 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता से इन वर्गो के असाध्य पंप धारक 7435 किसानों को लाभान्वित किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में किसानों के सिंचाई पम्पों को विद्युत कनेक्शन प्रदान करने का कार्य प्राथमिकता के साथ किया गया। राज्य गठन के समय प्रदेश में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या 72 हजार 400 थी, जो माह जून 2015 की स्थिति में बढ़कर तीन लाख 39 हजार 385 हो गई है।

राज्य शासन द्वारा कृषक जीवन ज्योति योजना के हितग्राहियों को अक्टूबर 2013 से फ्लैट रेट पर बिजली प्राप्त करने का विकल्प भी दिया गया है। विकल्प चुनने वाले किसानों से एक सौ रुपये प्रतिमाह प्रति एचपी के मान से शुल्क लिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि पांच हार्स पावर तक के सिंचाई पम्प वाले किसानों के लिए दो अक्टूबर 2009 से संचालित इस योजना के तहत प्रत्येक सिंचाई पम्प के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क दी जा रही थी। इस सुविधा का विस्तार करते हुए वर्ष 2012-13 से तीन हार्स पावर तक के सिंचाई पम्पों को एक वर्ष में छह हजार यूनिट और तीन से पांच हार्स पावर तक के सिंचाई पम्पों पर साढ़े सात हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क दी जा रही है। इसके साथ पांच हार्स पावर तक के सिंचाई पम्पों के लिए मीटर किराया एवं फिक्स चार्ज में छूट दी गई है।

राज्य शासन द्वारा किसानों के साथ-साथ कमजोर वर्ग के हितग्राहियों को भी उदारता के साथ बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। एकल बत्ती कनेक्शन धारी हितग्राहियों की संख्या राज्य गठन के समय लगभग छह लाख तीस हजार से बढ़कर वर्तमान में पंद्रह लाख 54 हजार हो गई है। प्रत्येक एकल बत्ती कनेक्शन धारी को प्रतिमाह चालीस यूनिट बिजली नि:शुल्क प्रदान की जा रही है।

राज्य गठन के बाद प्रदेश में बिजली उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। राज्य गठन के समय प्रदेश में बिजली उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट थी, जो माह जून 2015 की स्थिति में बढ़कर 2424.76 मेगावाट हो गयी है। इस अवधि में ताप विद्युत क्षमता 1240 मेगावाट से बढ़कर 2286 मेगावाट और जल विद्युत क्षमता 120 मेगावाट से बढ़कर 138.70 मेगावाट हो गई है।

वर्ष 2008 से छत्तीसगढ़ बिजली के मामले में आत्मनिर्भर और देश का इकलौता बिजली कटौती मुक्त राज्य है। समय-समय पर बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्ष 2008 में प्रदेश की ऊर्जा नगरी कोरबा में लगभग बीस वर्ष बाद पांच सौ मेगावाट क्षमता के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप बिजली संयंत्र में बिजली का व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ हुआ। इसके बाद 16 सितंबर 2013 को कोरबा पश्चिम ताप बिजली घर की पांच सौ मेगावाट की इकाई का लोकार्पण किया गया।

नया राज्य बनने के बाद प्रदेश में बिजली की अधोसंरचना विस्तार का काम भी तेजी से किया गया। राज्य गठन के समय प्रदेश के 17682 गांव विद्युतीकृत थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 19055 हो गई है। गांवों के विद्युतीकरण का प्रतिशत इस अवधि में 91 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान में 97.38 प्रतिशत हो गया है। इस अवधि में प्रदेश में अति उच्च दाब केंद्रों की संख्या 27 से बढ़कर 84 नग, 33/11 केवी क्षमता के उपकेंद्रों की संख्या 248 नग से बढ़कर 888 नग, 11/04 केवी उपकेंद्रों की संख्या 29692 नग से बढ़कर 99833 नग हो गई है।

इसी तरह अति उच्च दाब लाइनों की लंबाई 5205 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर 10340 सर्किट किलोमीटर, 33 केवी लाइनों की लंबाई 6988 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर 17273 सर्किट किलोमीटर और 11 केवी लाइनों की लंबाई 40566 किलोमीटर से बढ़कर 82553 किलोमीटर तथा निम्न दाब लाइनों की लंबाई 51314 किलोमीटर से बढ़कर एक लाख 46 हजार 500 किलोमीटर हो गई है।

प्रदेश के बिजलीघरों में 50, 120 और 210 मेगावाट की बिजली उत्पादन इकाइयां स्थापित की गई थीं। नए बिजलीघरों में अब 250 और 500 मेगावाट क्षमता की बिजली उत्पादन इकाइयां बिजलीघरों में स्थापित की गई हैं।

राज्य शासन द्वारा प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों के 85 विकासखंडों में 13 लाख वनवासी परिवारों को सौर ऊर्जा आधारित सोलर लैम्प और 16 लाख पचास हजार स्कूली बच्चों को सोलर स्टडी लैम्प नि:शुल्क बांटे जा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट में बीस हजार सिंचाई पम्पों के बिजली कनेक्शन के अनुदान के लिए 148 करोड़ रुपये तथा सिंचाई पम्पों को नि:शुल्क बिजली प्रदाय योजना के लिए तीन सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

बिजली उत्पादन में समय-समय पर बढ़ोतरी, समाज के सभी वर्गो तक बिजली की पहुंच, खेती-किसानी और उद्योग-धंधों को सतत और सस्ती बिजली की आपूर्ति ने लोगों के जीवन स्तर में सकारात्मक परिवर्तन लाने के साथ प्रदेश के विकास को गति प्रदान की है।

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